नई दिल्ली l परिवहन विभाग के बस लेन ड्राइविंग अभियान के तीन हफ्ते पूरे हो गए हैं। विभाग ने बस लेन में अतिक्रमण करने, गाड़ी पार्क करने वालों के खिलाफ भी अभियान चलाया है। विभाग ने 1 से 22 अप्रैल के बीच कुल 1386 चालान किए हैं, जिसमें डीटीसी और क्लस्टर बसों के 329 ड्राइवरों पर भारी जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही बस लेन में बाधा पहुंचाने के मामले में 1057 प्राइवेट गाड़ियों के मालिकों पर भी जुर्माना लगाया गया है। 131 गाड़ियों को बस लेन से उठाया गया है। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि बस लेन ड्राइविंग अभियान के काफी अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं। शुरुआती दिनों में बस लेन में अतिक्रमण के कारण बसों की लाइनें लगने और जाम की समस्या सामने आई थी, लेकिन अब स्थिति सामान्य है।
बस लेन ड्राइविंग के नियम का पालन नहीं करने वाले बसों के ड्राइवरों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। तीन हफ्ते में 329 ड्राइवरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिनमें क्लस्टर बसों के 172 और डीटीसी बसों के 157 ड्राइवर शामिल हैं। विभाग का कहना है कि शुरुआती दिनों में ज्यादा चालान किए गए थे और अब लेन ड्राइविंग नियम का काफी हद तक पालन किया जा रहा है। अभी यह अभियान जारी है और हर रोज अलग- अलग जगहों पर टीमें तैनात की जाती हैं। कोशिश की जा रही है कि पूरी दिल्ली को कवर किया जाए। जहां पर बस लेन में कब्जे के कारण ड्राइवर बस नहीं चला पाते हैं, वहां पर विभाग की टीमें जाकर एक्शन ले रही हैं।
प्राइवेट गाड़ियों के खिलाफ भी हो रही है कार्रवाई
अभियान के शुरुआती हफ्ते में केवल बस ड्राइवरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी, लेकिन जब सामने आया कि बस लेन में अतिक्रमण भी बड़ी समस्या है। ऐसे में प्राइवेट गाड़ियों के मालिकों पर भी एक्शन लिया गया। अभी तक एक हजार से ज्यादा प्राइवेट गाड़ियों के मालिकों पर 500-500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही बस लेन में पार्क की गई 131 प्राइवेट गाड़ियों को उठाया गया है। परिवहन विभाग दिल्ली में उन जगहों पर ज्यादा कार्रवाई कर रहा है, जहां पर लोग सड़क पर बड़ी संख्या में गाड़ियां पार्क करते हैं और शॉपिंग करने चले जाते हैं। इनकी गाड़ियां उठाई जा रही हैं। उन्हें 500 रुपये का जुर्माना तो देना ही पड़ेगा। साथ ही गाड़ी उठाने का चार्ज भी देना होगा। विभाग ने लोगों से अपील की है कि बस लेन में गाड़ी पार्क न करें और बस के रास्ते में कोई रूकावट न बनें।