Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

विचार: जोशीमठ, विशेषज्ञों की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करने का नतीजा

उत्तराखंड के जोशीमठ में अनियोजित निर्माण, सड़कों के बड़े पैमाने पर चौड़ीकरण, और जलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ते देखा गया है। इन परियोजनाओं ने कई चेतावनियों को नज़रअंदाज किया है। अब जोशीमठ की ज़मीन नीचे धंसती हुई नज़र आ रही है।

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
January 11, 2023
in राज्य, विशेष
A A
जोशीमठ

जोशीमठ शहर की 2,500 इमारतों में से एक चौथाई में या तो दरारें आ गई हैं, या वे डूब रही हैं। (फोटो: पूरन भिलंगवाल)

21
SHARES
687
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

Joydeep Gupta


जनवरी 2023 की भीषण ठंड में प्राचीन तीर्थ शहर जोशीमठ के निवासियों को अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। शहर में लगभग 2,500 इमारतों में से एक चौथाई इमारतों की नींव झुक रही थी और ज़मीन में धंस रही थी। बाहर और भीतर, दीवारों में बड़ी दरारें नज़र आ रही थी। केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी शहर में रहने वाले हजारों निवासियों को होटलों में रहने के लिए ले जा रहे हैं। साथ ही, सड़क चौड़ीकरण और एक जलविद्युत परियोजना पर सभी काम को रोक दिया गया। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह एक ऐसी आपदा थी जिसका होना हमेशा से तय था क्योंकि अधिकारियों ने सड़कों और जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के तरीके के बारे में दशकों से कई चेतावनियों को नज़रअंदाज़ किया था।

इन्हें भी पढ़े

prayer charch

प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार

August 1, 2025
Supreme court

पूरा हिमाचल गायब हो जाएगा… सुप्रीम कोर्ट ने क्यों चेताया?

August 1, 2025
india turkey trade

भारत से पंगा तुर्की को पड़ा महंगा, अब बर्बादी तय

August 1, 2025
WCL

निदेशक ए. के. सिंह की सेवानिवृत्ति पर वेकोलि ने दी भावभीनी विदाई

August 1, 2025
Load More

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनर्वास की जांच करने के लिए सप्ताहांत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात की। मंत्री कार्यालय ने जोशीमठ को “भूस्खलन-अवतलन क्षेत्र” घोषित किया और विशेषज्ञों से कहा कि आगे की कार्रवाई पर शॉर्ट-टर्म और लाँग-टर्म योजना तैयार करें। .

लेकिन विशेषज्ञों की सलाह या चेतावनियों में कभी कोई कमी नहीं रही है, बात सिर्फ़ इतनी है कि इन्हें बार-बार नज़रअंदाज़ किया गया है।

इस विचार को लिखने के कुछ दिन पहले, जोशीमठ के निवासियों का एक प्रतिनिधिमंडल कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री से ये चर्चा करने गया था कि देहरादून में निर्माण कार्य के कारण उनके घरों में दरारें आने लगी हैं लेकिन कथित तौर पर उन्हें मुख्यमंत्री के साथ केवल पांच मिनट ही मिल पाया था। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर द् थर्ड पोल को बताया, “उन्होंने हमसे कहा कि हमारे डर निराधार हैं और हमारी बात बिना सुने ही हमें भेज दिया।”

यह 4 जनवरी की बात है। इसके एक दिन बाद ही जोशीमठ के कई सारे घरों और सड़कों में दरारें तेज़ी से चौड़ी हो गई। इसके बाद निवासियों ने स्थानीय तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना के प्रबंधकों को सभी सुरंग बनाने के काम को रोकने के लिए मजबूर कर दिया। उसी रात, ज़िला अधिकारियों ने दरारों से प्रभावित इमारतों की गिनती की। 8 जनवरी की शाम तक ये गिनती बढ़ चुकी थी।

जोशीमठ आपदा के पीछे की वजह
देहरादून में स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के प्रमुख कालाचंद सेन ने कहा कि जोशीमठ, जो समुद्र तल से 2,000 मीटर ऊपर है, हमेशा से संवेदनशील रहा है क्योंकि यह एक पुराने भूस्खलन के मलबे के ऊपर स्थित है। इसलिए इसकी ज़मीन बाक़ी ज़मीन के मुक़ाबले स्थिर और मज़बूत नहीं है। लेकिन इस बात का कोई भी प्रभाव जोशीमठ के निर्माण कार्य पर नहीं पड़ा। नतीजा ये है कि यहां हाल के वर्षों में इमारतें बनती गई और इस निर्माण कार्य को रोकने पर ध्यान नहीं दिया गया। यहां विकास को ठीक तरीक़े से प्लान नहीं किया गया जिसकी वजह से निर्माण कार्य वहां की मिट्टी को अस्थिर कर रहा है और अंडरग्राउंड जल चैनलों को चोक कर रहा, बहाव को रोक रहा है, जिससे पानी नींव के नीचे जमा होने लगता है।

हिमालय में स्थित एक और तीर्थस्थल बद्रीनाथ तक सड़क को चौड़ा करने के काम से इस प्रक्रिया को कई गुना तेज़ कर दिया गया है। वह सड़क चार धाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना का हिस्सा है। ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं कि वहां पेड़ काटे जा रहे हैं और प्राकृतिक जल चैनल चोक हो गए हैं क्योंकि परियोजना पहाड़ी क्षेत्र में सड़क बनाने के तरीके पर सरकार के अपने सिद्धांतों का पालन करने में विफल हो रही है। अब सड़क चौड़ीकरण का काम रोक दिया गया है।

इस ख़तरे को बढ़ाने वाला एक और फैक्टर है एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना। यह एक रन-ऑफ़-द-रिवर बिजली उत्पादन परियोजना है, जिसमें पहाड़ी के माध्यम से 12 किलोमीटर लंबी एक सुरंग खोदना और बिजली उत्पन्न करने के लिए सुरंग के माध्यम से धौली गंगा नदी के पानी को प्रवाहित करना शामिल है।

एनटीपीसी ने 5 जनवरी को ये तुरंत पॉइंट किया कि इस परियोजना की सुरंग जोशीमठ के नीचे से नहीं गुज़रती है। लेकिन यह उसी ऐक्वीफ़ायर यानी जलभृत से होकर गुज़रता है जो जोशीमठ के नीचे है।

पीयूष रौतेला उत्तराखंड राज्य सरकार के उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र के कार्यकारी निदेशक हैं। उन्होंने साल 2010 में करंट साइंस जर्नल को एक चिट्ठी लिखी था। उन्होंने पत्र में लिखा है कि 24 दिसंबर, 2009 को उन्होंने चेतावनी दी थी कि एनटीपीसी द्वारा इस्तेमाल की जा रही टनल बोरिंग मशीन ने एक जलभृत को पंचर कर दिया है जिससे पानी भूमिगत रूप से एक अलग दिशा में चला गया है। इसकी वजह से झरने सूख गए, जिस पर जोशीमठ के कई निवासी अपने घरेलू जल आपूर्ति के लिए निर्भर हैं। रौतेला ने अब कहा है कि जोशीमठ के ये हालात “संभावित रूप से जलभृत के उल्लंघन के कारण हुई है क्योंकि हम गंदे पानी को बाहर निकलते हुए देखते हैं।” हालांकि, उन्होंने कहा, “इसे हाइडल सुरंग से जोड़ने या हटाने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है।”

हाइडल सुरंग पर ही चर्चा करते हुए एक अन्य विशेषज्ञ, हेमंत ध्यानी ने कहा, “केवल एक जल परीक्षण ही बता सकता है कि क्या शहर में बहने वाली धाराएँ हाइडल सुरंग से निकल रही हैं।” उन्होंने महसूस किया है कि एनटीपीसी ने हमेशा ही जल्दबाज़ी करते हुए समय से पहले ऐसे किसी भी संबंध से इनकार ही किया है।

यह वही जलविद्युत परियोजना है, जहां 7 फरवरी, 2021 को सुरंग के भीतर अचानक आई बाढ़ में फंसने के बाद लगभग 200 श्रमिकों की मौत हो गई थी। यह बाढ़ धौला गंगा की सहायक नदी ऋषि गंगा में एक बर्फ की दीवार के गिरने के कारण आई थी। विशेषज्ञ इसके पीछे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ज़िम्मेदार मानते हैं। ये सभी नदियां भारत के सबसे बड़े नदी बेसिन गंगा बेसिन का हिस्सा हैं।

Joshimath
जोशीमठ में असुरक्षित माने जाने वाले घरों को चिह्नित करने के लिए एक बड़े X का उपयोग किया गया है। (फोटो: पूरन भिलंगवाल)

जोशीमठ आपदा के बाद

फ़िलहाल राज्य के अधिकारी उत्तराखंड में अचानक बेघर हुए लोगों को वापस बसाने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, वो एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन स्थानीय लोग फ़िलहाल दहशत में है। एक स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता, अतुल सत्ती ने द् थर्ड पोल को बताया, “हम सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग करते हैं जिसमें एनटीपीसी परियोजना को तत्काल रोकना और चारधाम ऑल वेदर रोड (हालेंग-मारवाड़ी बाईपास) को बंद करना शामिल है, साथ ही, एनटीपीसी के उस समझौते को लागू करना भी शामिल है जो सुनिश्चित करता है कि घरों की बीमा हो, पुनर्वास के लिए एक निर्धारित समय सीमा के भीतर एक समिति का गठन करना, सभी प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता प्रदान करना जिसमें मुआवजा, भोजन, आश्रय और अन्य बुनियादी सुविधाएं शामिल हो और विकास परियोजनाओं का निर्णय लेते समय स्थानीय प्रतिनिधियों की भागीदारी भी शामिल हो।”

जोशीमठ इस बात का साफ़ उदाहरण है कि हिमालय में क्या नहीं करना चाहिए।
अंजल प्रकाश, रिसर्च डायरेक्टर, भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी

भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के रिसर्च डायरेक्टर और सहायक प्रोफेसर और आईपीसीसी रिपोर्ट्स के लीड ऑथर अंजल प्रकाश ने एक बयान में कहा, “जोशीमठ समस्या के दो पहलू हैं। पहला है बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास जो हिमालय जैसे बेहद नाज़ुक इकोसिस्टम में हो रहा है… दूसरा, जिस तरह भारत के कुछ पहाड़ी राज्यों में जलवायु परिवर्तन के निशान दिख रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। 2021 और 2022 उत्तराखंड के लिए आपदा के साल रहे हैं। भूस्खलन को ट्रिगर करने वाली उच्च वर्षा की घटनाओं जैसी कई जलवायु जोखिम घटनाएं हुई हैं। हमें पहले यह समझना होगा कि ये क्षेत्र बहुत नाज़ुक है और इकोसिस्टम में छोटे बदलाव या गड़बड़ी से गंभीर आपदाएं आएंगी, जो अब हम जोशीमठ में देख रहे हैं।” उन्होंने इस तरह के नाजुक इकोसिस्टम में किसी भी विकास परियोजनाओं को शुरू करने से पहले एक “मज़बूत योजना प्रक्रिया” की आवश्यकता पर बल दिया। “जोशीमठ इस बात का साफ़ उदाहरण है कि हिमालय में क्या नहीं करना चाहिए।”

एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में भूविज्ञान विभाग के प्रमुख वाईपी सुंदरियाल ने बताया कि जोशीमठ में उचित जल निकासी व्यवस्था नहीं है, इसलिए “पानी के रिसाव ने समय के साथ चट्टानों की संसक्ति शक्ति को कम कर दिया है। इसकी वजह से भूस्खलन हुआ है, जिससे घरों में दरारें आ गई हैं। अधिक चरम मौसम की घटनाओं के साथ, जलवायु परिवर्तन इस मामले को और खराब कर रहा है। हमें कुछ मजबूत नियमों और विनियमों के गठन और इन नियमों के बलपूर्वक और समय पर कार्यान्वयन की आवश्यकता है।”

जोशीमठ एक बड़े पैटर्न का केवल उदाहरण है
जोशीमठ एक प्राचीन तीर्थ नगरी है, और इसकी दुर्दशा समाचारों की सुर्खियाँ बना रही है। लेकिन यह हिमालयी क्षेत्र में समस्याओं का सामना करने वाला अकेला क्षेत्र नहीं है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कई जलविद्युत परियोजनाओं के स्थलों के पास मकानों में दरारें आने की खबरें आई हैं। यहां तक कि भूटान, जिसने अपनी रन-ऑफ-द-रिवर जलविद्युत परियोजनाओं को पर्यावरण के अनुकूल के रूप में प्रदर्शित किया है, वहां के शहर भी टूटे-फूटे घरों वाले हैं। बात सिर्फ़ बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के प्रभावों की नहीं है, इस बात पर ग़ौर करना ज़रूरी है कि कैसे विशेषज्ञों की सलाह और चेतावनियां कहीं पीछे रह जाती है। अक्सर सरकार की चेतावनियां भी नज़रअंदाज़ हो जाती है। और हिमालय के नाज़ुक लैंडस्केप में निर्माण की हड़बड़ी में ये सारी चेतावनियां किसी कोने में पड़ी मिलती है। नतीजा ये है कि कुछ निर्माण फर्मों के लिए शॉर्ट-टर्म लाभ ज़रूर होते हैं, लेकिन इसका लाँग-टर्म और भारी जोखिम और लागत इन इलाक़ों के निवासियों और राज्यों को भुगतना पड़ता है।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
Mallikarjun Kharge

खडग़े से कांग्रेस को कितना फायदा

October 5, 2022
pm modi

जी-20 : पीएम मोदी की पहल के मायने समझ लीजिए

June 19, 2023

श्रम दिवस पर विशेष : एक ऐसा सेंटर जहाँ डाक्टर प्रिस्क्रिप्शन में लिखते है बोरे बासी

May 2, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • टैरिफ वार : भारत पर लगा दिया जुर्माना, इन आंकड़ों से बेनकाब हो गया ट्रंप का हर झूठ
  • प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार
  • पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.