Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

अब क्या करेंगे विधानसभा में हारे सांसद!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
December 5, 2023
in राज्य, विशेष
A A
26
SHARES
866
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

नई दिल्ली: चलो जीते हुए सांसद तो विधानसभा में बैठकर संतोष कर लेंगे, लेकिन जो सांसद हार गए हैं, उनका क्या होगा? इस बार पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार केंद्रीय मंत्रियों समेत 21 सांसद विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए उतारे थे. इनमें से 12 तो जीत गए परंतु 9 को पराजय का सामना करना पड़ा. कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनाव हैं, तो ये सिटिंग एमपी किस मुंह से टिकट मांगेंगे? टिकट मिल भी गई तो जीतेंगे कैसे!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी सफाई से ऐसे सांसदों को जनता के बीच उनकी हैसियत बता दी. कभी इंदिरा गांधी यही किया करती थीं. जो भी राजनेता ट्वेंटी फोर इन टू सेवन चुनावी गणित में निपुण होते हैं, उनके लिए अपने सांसदों या विधायकों की लोकप्रियता की परीक्षा लेनी जरूरी है. यही नहीं इस बहाने यह भी पता चल जाता है कि बड़बोला जन प्रतिनिधि कितने पानी में है.

इन्हें भी पढ़े

prayer charch

प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार

August 1, 2025
Supreme court

पूरा हिमाचल गायब हो जाएगा… सुप्रीम कोर्ट ने क्यों चेताया?

August 1, 2025
india turkey trade

भारत से पंगा तुर्की को पड़ा महंगा, अब बर्बादी तय

August 1, 2025
WCL

निदेशक ए. के. सिंह की सेवानिवृत्ति पर वेकोलि ने दी भावभीनी विदाई

August 1, 2025
Load More

पीएम मोदी किसी भी राजनेता को यह छूट नहीं देते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मामले में भले इंदिरा गांधी जैसी चालें चलते दिखते हों, किंतु वे अपनी पार्टी में किसी भी राजनेता को यह छूट नहीं देते कि उसके किसी भी काम से उनकी पार्टी की छवि को धक्का पहुंचे. पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में उन्होंने उत्तर प्रदेश के दो ताकतवर काबीना मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और सत्य देव पचौरी को लोकसभा चुनाव लड़वाया था. कहने को तो वे लखनऊ से दिल्ली आ गए, किंतु मंत्री का पद चला गया.

मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तीन केंद्रीय मंत्री भी मैदान में उतारे गए थे. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा चुनाव लड़वाया गया. इनके अलावा चार सांसद भी विधायकी का चुनाव लड़ने के लिए भेजे गए. ये थे- रीती पाठक, उदय प्रताप, राकेश सिंह और गणेश सिंह. इनमें से दो मंत्री और तीन सांसद तो चुनाव जीत गए मगर कुलस्ते और गणेश सिंह हार गए.

राजस्थान में भी सात सांसद विधानसभा के रण में थे. लोकसभा के सदस्य राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी चुनाव मैदान में थे. साथ ही राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा भी विधायकी का चुनाव लड़ रहे थे. यहां भी चार ने ही जीत दर्ज की. राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा तो जीत गए, लेकिन देव जी पटेल, नरेंद्र कुमार और भगीरथ चौधरी के हाथ पराजय ही लगी.

छत्तीसगढ़ में केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव तथा विजय बघेल को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया था. विजय बघेल चुनाव हार गए हैं. उनके सामने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहे थे. तेलंगाना में बीजेपी ने बंडी संजय, अरविंद धर्मपुरी और सोयम बापूराव को लड़वाया. तीनों चुनाव हार गए.

भाजपा ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की
भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो सांसद विधानसभा चुनाव जीत गए हैं, उन्हें सांसदी छोड़नी पड़ेगी, यानी वे अब विधायक ही रहेंगे. जो केंद्र में मंत्री थे, उन्हें संभव है प्रदेश में मंत्री का पद मिल जाए, लेकिन केंद्र में मंत्री रहने की तुलना में उन्हें प्रदेश का मंत्री बनना कैसा लगेगा? यह भाजपा की चुनावी रणनीति है. शायद यह परंपरा पहली बार बनायी जा रही है कि जो सक्षम नहीं साबित हुआ, वह बाहर.

भाजपा आगे की राजनीति फिक्स करती है. अब शायद भविष्य में हर पार्टी इसी लीक पर चले. जिन परिवारों या समूहों ने राजनीति को अपना जेबी बना लिया है. उनके लिए यह एक सदमा है. अभी तक तो स्थिति यह थी कि भले जन प्रतिनिधि काम करे न करे या वह कतई लोकप्रिय न हो लेकिन उसको हर चुनाव में टिकट मिलेगा ही क्योंकि पार्टी में उसका परिवार रसूख वाला है. ऐसे लोग जीतते तो लोकसभा अथवा विधानसभा में जाते और यदि हारे तो राज्यसभा या विधान परिषदों में. जिन राज्यों में विधान परिषद नहीं है, वहां उन्हें और किसी तरीके से उपकृत किया जाता.

नरेंद्र मोदी की भाजपा ने इस मिथक को तोड़ने की कोशिश की है. हालांकि पार्टी से किसी भी रसूखदार को निकलना इतना आसान नहीं होता इसलिए इस तरह का चातुर्य जरूरी है. जो लोग स्वयं चुनाव नहीं जीत सकते, उनसे कैसे उम्मीद की जाए कि वे बेहतर जन प्रतिनिधि बन सकते हैं. अमेरिका और कनाडा में, जहां आधुनिक लोकतंत्र है, हर एक को नीचे से चुनकर आना पड़ता है, तब ही वह केंद्रीय पार्लियामेंट अथवा प्रोविंशियल पार्लियामेंट का टिकट पा सकता है.

राजनीतिक दल के भीतर भी लोकतंत्र रहना चाहिए
भारत में सदैव ऊपर से प्रत्याशी भेजा गया. इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो 1946 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव था, तब कांग्रेस की 15 में से 12 राज्य कमेटियों ने सरदार पटेल का नाम भेजा था. एक ने आचार्य कृपलानी का और दो ने मौलाना आजाद का. परंतु गांधी जी के आग्रह पर जवाहर लाल नेहरू को अध्यक्ष बनाया गया था.

लोकतांत्रिक पद्धति तो यही है कि किसी भी राजनीतिक दल के भीतर भी लोकतंत्र रहना चाहिए. जो पार्टी कार्यकर्ता अपनी पार्टी के भीतर से चुनकर जन प्रतिनिधि के लिए चुनाव लड़ेगा, वही सच्चा नेता होगा. मगर भारत की राजनीति में कभी इस तरह का माहौल नहीं पनपा. वामपंथी दलों को छोड़कर किसी भी पॉलिटिकल पार्टी ने इस सिद्धांत को नहीं अपनाया. भले वह कांग्रेस रही हो या भाजपा.

इसलिए नरेंद्र मोदी की भाजपा ने अपने तौर-तरीकों से ऐसे लोगों को उनकी लोकप्रियता के आधार पर समेटने की कोशिश की है. आखिर एक सांसद जब अपने लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, तब जाहिर है वह उस लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली पांच या छह विधानसभा सीटों का भी प्रतिनिधि होता है. ऐसा सांसद क्या एक विधान सभा सीट नहीं जीत सकता?

इसी सोच पर भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने अपने 21 सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ने को भेजा. इनमें से 9 हार गए. हालांकि तीन सांसद जो तेलंगाना भेजे गए थे, वहां भाजपा का अभी व्यापक आधार नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सांसदों की हार चौंकाती है. खासकर मध्य प्रदेश में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का हार जाना.

शिवराज चौहान तो विलेन बना दिए गए
किसी केंद्रीय मंत्री के विधानसभा चुनाव हार जाने से यह पता तो चलता ही है कि उसका अपने क्षेत्र में जनसंपर्क बिल्कुल नहीं है. प्रदेश के मंडला जिले की निवास सीट से उनकी पराजय कोई 11000 वोट से हुई. इस जिले की तीन विधानसभा सीटों में से दो पर भाजपा हारी है और एक सीट ही उसे मिल पाई. अब हार का ठीकरा तो कुलस्ते के माथे आएगा ही.

यह सही है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में मोदी मैजिक खूब चला और इसलिए इन तीनों राज्यों की विधानसभा भाजपा के खाते में गईं. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान तो विलेन बन चुके थे. कोई भी नहीं मान रहा था कि यहां भाजपा जीतेगी. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकारें थीं. इसके बावजूद भाजपा का कमल इन तीनों राज्यों में खिला.

यह मोदी मैजिक का ही कमाल था, लेकिन जिन सांसदों को विधानसभा में लड़ने के लिए भेजा गया, उसे अधिकतर ने इसे अपनी पदावनति माना. इसलिए वे बेमन से चुनाव लड़े. जिनको जीत भी मिली वह भी कोई बम्पर नहीं रही. जो जीते हैं, उनका तो 2028 तक ठीक, लेकिन हारने वालों के लिए हरि नाम ही बचा है.

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
CM Dhami

CM धामी ने किया तीन दिवसीय पहले गजा घण्टाकर्ण महोत्सव का शुभारंभ

May 27, 2025
India-France

परमाणु पनडुब्बी, फाइटर जेट इंजन… फ्रांस ने भारत को दिया बड़ा ऑफर

September 22, 2024
court

निर्लज्जता के युग में अवमानना की राजनीति

April 16, 2024
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • टैरिफ वार : भारत पर लगा दिया जुर्माना, इन आंकड़ों से बेनकाब हो गया ट्रंप का हर झूठ
  • प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण की कोशिश, 5 लोग गिरफ्तार
  • पहलगाम के हमलावरों की पाकिस्तानी ID सामने आई, और कितने सबूत चाहिए?

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.