मनप्रीत सिंह
पटना। लोकसभा चुनाव का प्रचार अपने चरम पर पहुंच रहा है। एक-दूजे पर बढ़त बनाने के लिए हरेक पार्टी के नेता कुछ नया दिखाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस प्रयास में कई बार वे अपनी सीमा भी भूल जाते हैं। तेजस्वी यादव की ताजा हरकत कुछ ऐसी ही है। लालू प्रसाद के बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के एक वीडियो ने चुनावी विमर्श में खान-पान को भी शामिल कर दिया है। हुआ यह कि तेजस्वी यादव ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के साथ मछली खाते एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिस पर सभी अपनी- अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने लगे हैं। कहा जा रहा है कि यह वीडियो नवरात्र के पहले दिन का है और नेताद्वय बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को आहत करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उनको अल्पसंख्यकों का वोट मिल सके।
देशभर में शाकाहारी परिवारों की संख्या!
बेशक, देश भर में शाकाहारी परिवारों की संख्या बहुत कम है। एक सर्वे में तो यहां तक कहा गया था कि बिहार प्रदेश में ही 92 प्रतिशत से अधिक लोग मांसाहारी हैं। इस सर्वे में तेलंगाना सबसे ऊपर था,जहां के 98.7 प्रतिशत लोग मांसाहार का सेवन करने वाले पाए गए थे। देश में एक नियमित अंतराल पर मांसाहार करने वालों की संख्या करीब 60 प्रतिशत है। मगर अन्य समुदायों को छोड़ दें, तो सिर्फ हिंदुओं में 44 फीसदी शाकाहारी को छोड़कर बाकी 39 फीसदी लोग ऐसे हैं,जो त्योहारी मौसम में मांसाहार से परहेज करते हैं या बिल्कुल ही नहीं खाते। ऐसे में, सवाल सिर्फ शाकाहारी अथवा मांसाहारी होने का नहीं है। निस्संदेह, देश की बड़ी आबादी मांसाहारी है, किंतु यह भी एक कटु सच है कि नवरात्र जैसे पावन पर्व पर ये लोग सामुदायिक आस्था का सम्मान करते हैं और इन विशेष अवसरों पर मांसाहार के सेवन से बचने का प्रयास करते हैं। लिहाजा, राष्ट्रीय जनता दल के नेता का वह वीडियो किस आबादी को तुष्ट करने का प्रयास था और किस आबादी को चिढ़ाने का, यह स्वतः स्पष्ट है।
तुष्टीकरण का ऐसा वातावरण !
असल में, देश में तुष्टीकरण का ऐसा वातावरण बना है कि किसी भी हद तक जाना पड़े, झूठे-सच्चे जो भी वायदे करने पड़े, न चाहते हुए भी नेतागण विशेष समुदाय का हमदर्द बनने की कोशिश करते रहते हैं। मगर ऐसा करते हुए वे भूल जाते हैं कि देश की मुख्यधारा, देश की संस्कृति, बहुसंख्यकों की आस्था, राष्ट्रीय भावनाओं से अलग होकर आप न अपना भला कर सकते हैं, न दूसरे का और न ही देश का चहुंमुखी विकास कर सकते हैं। उलटे, इससे उनको नुकसान ही हो सकता है।