जी.एस.परिहार
दुनिया के धनवान 20 देशों के आने पर इंडिया मरा गुलामी की मौत! क्योंकि एक बड़ा सम्मेलन भारत मंडपम प्रगति मैदान में होने वाला है और उस समय किसी देश का भला आदमी यह पूछ लेता, कि यह इंडिया ,इंडिया क्या है, कोन दादा था इंडिया नाम का, कोन परदादा या कोन महापुरुष था. इंडिया नाम का कुछ तो बताने को चाहिए ना! अब तक मानसिक गुलामी वाले देश की मुख्य गद्दी पर बैठा जो इडियट था कुछ भी कहो सम्मान और अपमान उसको पता ही नही था। जैसे नौकर मानसिकता वाले मनमोहन सिंग उनको किधर भी धक्का मारो कुछ भी अहसास नही होता था, दरवाजे पर अटका के रखो फिर वह जगह मूक प्राणी वफादार किसी कुत्ते की क्यों न हो, उसका फर्क नहीं पड़ता उनको।
फिर उनके कपड़े उतरे या अपमान भी हो उनका स्वाभिमान को कभी ठेस नही पहुंचा पूरे दस वर्ष. तो हम 130 करोड़ का क्या ध्यान रखते बेचारे. गुलामी में जिए और अपना समय काट लिए लेकिन विश्व पटल पर जो व्यक्ति अपने स्वाभिमान से समझौता किसी भी स्तिथि में नही करने वाला तो फिर भारतीयता का झंडा बुलंद करने वाले दुनिया के २० धनवान देशों के मंच पर मानसिक गुलामी का कलंक कैसे लगा सकता है? 140 करोड़ भारतीयों के सम्मान को अतः बंदे में दम हे कर दिखाने का और निमंत्रण पत्र पर लिखवा दिया भारत का राष्ट्रपति आपको बुला रहा है। इंडिया का गुलाम मानसिक वाला राष्ट्रपति नही । अतः आज से भारत और भारतीयता का समय शुरू हुआ, अब इंडिया गेट, इंडियन रिजर्व बैंक, इंडियन सर्विसेज और जैसे कुछ मानसिक और शाब्दिक गुलामी के चिन्हों को ओखला के गंदे नाले में बहाने का समय आ चुका है।