नई दिल्ली। दीपावली के बाद भयंकर वायु प्रदूषण की मार झेल रही दिल्ली में अगले तीन दिनों में पहली बार कृत्रिम बारिश देखने को मिल सकती है। गुरुवार को एक सेना विमान क्लाउड सीडिंग मिशन के लिए रवाना हो गया है। एक दिन पहले ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि जाड़ों में दिल्ली-एनसीआर के जहरीले कोहरे (स्मॉग) को साफ करने के उद्देश्य से किए जाने वाले बहुप्रतीक्षित कृत्रिम बारिश के प्रयोग के लिए उपयुक्त बादल नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सरकार को 25 अक्टूबर तक कोई उम्मीद नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन के लिए सेसना विमान कानपुर से मेरठ के लिए रवाना हो चुका है। अगर मौसम की स्थितियां अनुकूल बनती हैं,तो अगले तीन दिनों में कभी भी कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन अत्यंत गोपनीय है और इसका विवरण पूरा होने के बाद ही साझा किया जाएगा।
कैसे होगी कृत्रिम बारिश?
क्लाउड सीडिंग तकनीक के तहत,सेसना विमान के दोनों पंखों(Wings) के नीचे आठ से दस जेबें (pockets) लगाई गई हैं। इन जेबों में रसायन (सीडिंग सामग्री) जमा हैं। वर्षा शुरू करने के लिए,इन रसायनों को कॉकपिट से नियंत्रित करके बादलों के नीचे छोड़ा और विस्फोटित किया जाएगा,जिससे बारिश शुरू हो सकेगी।
अधिकारियों ने बताया कि यह पायरोटेक्निक प्रक्रिया (Pyrotechnic Process) फ्लेयर्स (रसायन वाली बत्तियां) जारी करेगी, जो बादलों के साथ क्रिया करके बारिश शुरू कर देगी। उन्होंने कहा कि इस क्लाउड सीडिंग ऑपरेशन का अनुमानित प्रभाव क्षेत्र लगभग 100 किलोमीटर होगा। 22 अक्टूबर को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि जैसे ही स्थितियां अनुकूल होंगी,परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “जिस दिन हमें उपयुक्त बादल मिलेंगे,हम तुरंत परीक्षण करेंगे क्योंकि अनुमति से लेकर उड़ान की व्यवस्था तक सभी तैयारियां पहले ही पूरी हो चुकी हैं।”
बार-बार क्यों हुई देरी?
पिछले हफ्ते यह संकेत दिया गया था कि यह परीक्षण दीवाली के बाद किसी भी दिन हो सकता है। भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से शुरू की गई दिल्ली सरकार की यह क्लाउड सीडिंग परियोजना विभिन्न कारणों से कई बार टाल दी गई है। शुरुआत में यह जुलाई के लिए निर्धारित थी,लेकिन इसे मॉनसून के कारण,फिर बदलते मौसम के पैटर्न और व्यवधानों के कारण टाला गया और अब यह उपयुक्त बादलों की कमी के कारण रुकी हुई थी।