अमिताभ सिन्हा
निस्संदेह प्राकृतिक आपदाएं जीवन और संपत्ति की बड़ी तबाही का कारण बनती हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार चक्रवात, भूकंप और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावित लोगों के जीवन को सुरक्षित करने और आवश्यक सहायता/आवश्यकताएं प्रदान करने के लिए हमेशा से प्रतिबद्ध रही है. सरकार की यह प्रतिबद्धता प्राकृतिक आपदाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमने युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अपने नागरिकों का तत्काल बचाव, महामारी में प्रभावी योजनाओं और उसके निष्पादन में देखा है.
मोदी सरकार ने भारत में आपदा प्रबंधन के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है. पहले की सरकारों की एप्रोच आपदा के बाद राहत की होती थी आज एप्रोच आपदा से पहले की तैयारियों से जीरो casualty की है. तकनीकी कार्यान्वयन में कई सुधारों ने इसे संभव बनाया है. गृह मंत्रालय के इन प्रयासों से चक्रवातों के कारण जानमाल के नुकसान में लगभग 98% की कमी आई है.
तूफान से पहले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय हरकत में आया
13 जून को आपदा प्रबंधन के लिए 8000 करोड़ रुपये से अधिक की तीन प्रमुख योजनाओं की घोषणा की है. यह राशि शहरी क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने, फायर ब्रिगेड सेवा को मजबूत करने और भूस्खलन शमन के लिए केंद्र सरकार राज्यों को आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्रदान करेगी. राज्यों में अग्निशमन सेवा के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये की परियोजना शहरी बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए सर्वाधिक जनसंख्या वाले सात महानगरों-मुंबई, चेन्नई, कोलकाता बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे के लिए 2,500 करोड़ रुपये की परियोजना, भू-स्खलन के लिए 17 राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों में 825 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय भू-स्खलन जोखिम शमन योजना तैयार की गई है. आपदा प्रबंधन पर समान कानून बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय सभी राज्यों को पत्र भी लिखेगा.
चक्रवात ‘बिपरजॉय’ से निपटने में मोदी सरकार ने की मदद
गृह मंत्रालय ने चक्रवात ‘बिपरजॉय’ की तैयारियों को लेकर 13 जून को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से वर्चुअल माध्यम से चर्चा की. गृहमंत्री ने राज्य की ओर से चक्रवात से निपटने के लिए की गई तैयारियों को लेकर चर्चा की और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद की बात कही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को चक्रवात से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए केंद्र और गुजरात के मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ बैठक की थी. इस तूफान से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए केंद्र और राज्य की एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं.
तूफान से पहले ही मिशन मोड में बचाव कार्य
गुजरात के आठ तटीय जिलों में कुल 1 लाख से ज्यादा लोगों को अस्थायी आश्रयों में ले जाया गया है. अकेले कच्छ जिले में लगभग 34,300 लोगों को, जबकि जामनगर में 10,000, मोरबी में 9,243, राजकोट में 6,089, देवभूमि द्वारका में 5,035, जूनागढ़ में 4,604, पोरबंदर जिले में 3,469 और गिर सोमनाथ जिले में 1,605 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. इसके साथ, एनडीआरएफ की 15, एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की 12, राज्य सड़क एवं भवन विभाग की 115 और राज्य बिजली विभाग की 397 टीम विभिन्न तटीय जिलों में तैनात की गई हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को तीनों सेना प्रमुखों से बात की और चक्रवात ”बिपरजॉय” के प्रभाव से निपटने के लिए सशस्त्र बलों की तैयारियों की समीक्षा की.
आपदा निधि वितरण
मोदी सरकार ने 2014-15 से 2022-23 तक NDRF के तहत 76 हजार करोड़ जारी किए जबकि SDRF के लिए 1 लाख 7 हजार करोड़ जारी किए. यूपीए शासन काल से तुलना करें तो 2005-06 से 2013-14 तक, इन 9 वर्षों में, SDRF से 35,858 करोड़ रुपये जारी हुए थे, जबकि 2014-15 से 2022-23 तक, इन 9 वर्षों में, 1,07,940 करोड़ रुपये जारी हुए अर्थात 3 गुना की बढ़ोतरी हुई. यूपीए शासन काल में 2005-06 से 2013-14 तक, इन 9 वर्षों में, NDRF से 25,036 करोड़ रुपये जारी हुए थे, जबकि 2014-15 से 2022-23 तक, इन 9 वर्षों में, 76,709 करोड़ रुपये जारी हुए अर्थात 3 गुना की बढ़ोतरी हुई.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फरवरी, 2021 में नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन फंड (NDMF) का गठन किया. NDMF के अंतर्गत 13,693 करोड़ रुपये आवंटित किये गए, और राज्य डिजास्टर मिटिगेशन निधि (SDMF) के अंतर्गत 32,031 करोड़ रुपये आवंटित किये गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) शुरू की. आपदा प्रबंधन संबंधी सभी एजेंसियों और विभागों के बीच होरिजेंटल एवं वर्टिकल एकीकरण कर अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को एक मैट्रिक्स प्रारूप में भी निर्धारित किया गया. तत्काल राहत प्रदान करने के लिए अपेक्षित सामग्री सूचि तैयार रखने के लिए 250 करोड़ रुपये के रेवोल्विंग फंड के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन रिजर्व (NDRR) बनाया गया.
NDRF बल की सक्रिय उपलब्धता और पहले से तैनाती की नीति के तहत 26 राज्यों में तैनाती, NDRF की टीमें 28 शहरों में रीजनल रेस्पोंस सेंटर के रूप में काम कर रही है. साथ ही सभी राज्यों में SDRF का गठन.