प्रकाश मेहरा
स्पेशल डेस्क
अयोध्या : अयोध्या के राम मंदिर पर मंगलवार (25 नवंबर ) को धार्मिक ध्वजा (धर्म ध्वजा) फहराने के एक दिन बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे “भारत में मुस्लिम सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर हमला” बताते हुए संयुक्त राष्ट्र (UN) और वैश्विक समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है। पाकिस्तान का दावा है कि “यह घटना भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया (इस्लाम-विरोध) और हिंदुत्व की प्रमुखतावादी विचारधारा का प्रमाण है, जो मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेल रही है।
क्या हुआ ? राम मंदिर पर ध्वजा फहराना
25 नवंबर को अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धार्मिक ध्वजा फहराई गई। यह मंदिर 1992 में ढहाए गए बाबरी मस्जिद स्थल पर बनाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समारोह में भाग लिया, जो मंदिर निर्माण के समापन का प्रतीक था। यह घटना राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह (जनवरी 2024) के बाद एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (FO) ने 25 नवंबर को एक आधिकारिक बयान जारी किया। प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा, “पाकिस्तान ने ऐतिहासिक बाबरी मस्जिद के स्थल पर बने ‘राम मंदिर’ पर ध्वजा फहराने पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर दबाव का एक व्यापक पैटर्न दर्शाता है और प्रमुखतावादी हिंदुत्व विचारधारा के तहत मुस्लिम सांस्कृतिक-धार्मिक विरासत को नष्ट करने का प्रयास है।”
पाकिस्तान ने UN और दुनिया से क्या मांगा ?
पाकिस्तान ने अपने बयान में मांगें रखीं UN की भूमिका में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की गई कि वे भारत में इस्लामी विरासत स्थलों को चरमपंथी समूहों से बचाएं। पाकिस्तान ने कहा, “UN को मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।” वैश्विक समुदाय से भारत में बढ़ते “इस्लामोफोबिया, घृणा भाषण और घृणा अपराधों” का संज्ञान लेने को कहा। दावा किया गया कि यह घटना क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है।
भारत सरकार को चेतावनी
भारत से सभी धार्मिक समुदायों, विशेषकर मुसलमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके पूजा स्थलों की रक्षा करने की मांग की। पाकिस्तान ने कहा कि “भारत को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का पालन करना चाहिए। ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी) और शाही ईदगाह मस्जिद (मथुरा) जैसे अन्य स्थलों पर भी “अपमान और विध्वंस का खतरा” होने का दावा किया।
पाकिस्तान के इस बयान को भारतीय मीडिया ने “ड्रामेबाजी” करार दिया है, क्योंकि यह देश खुद अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई अहमदी) पर अत्याचार के लिए जाना जाता है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं आम हैं।
राम मंदिर विवाद की जड़ें… बाबरी मस्जिद विध्वंस
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था, जिससे भारत में सांप्रदायिक दंगे भड़के और 2,000 से अधिक लोग मारे गए। पाकिस्तान ने तब भी UN और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) से अपील की थी। 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की अनुमति दी और मुसलमानों के लिए वैकल्पिक भूमि आवंटित की। मंदिर का निर्माण 2020 में शुरू हुआ और जनवरी 2024 में प्राण प्रतिष्ठा हुई। जनवरी 2024 की प्राण प्रतिष्ठा पर भी पाकिस्तान ने UN से हस्तक्षेप मांगा था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि “UN आंतरिक धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”
पाकिस्तान की हिपोक्रिसी पर हमला
पाकिस्तान में 1947 में 23% हिंदू आबादी अब घटकर 1% रह गई है। हाल ही में तंदो आदम (सिंध) में एक हिंदू राम मंदिर को तोड़ दिया गया, जहां भगवान की मूर्तियां और भगवद्गीता चुरा ली गई। पाकिस्तानी हिंदू समुदाय ने UN में राम मंदिर समर्थन में आवाज उठाई है, जबकि पाकिस्तान ज्ञानवापी और ईदगाह पर “चिंता” जता रहा है। भारत ने कहा है कि “राम मंदिर न्यायिक फैसले का परिणाम है और सभी धर्मों के प्रति सम्मान रखता है। अयोध्या में मुस्लिम समुदाय ने भी मंदिर निर्माण का समर्थन किया है।”
भारत-पाक तनाव को बढ़ाने का प्रयास
UN की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि “यह पाकिस्तान की “प्रोपगैंडा” रणनीति है, जो भारत-पाक तनाव को बढ़ाने का प्रयास है। भारत सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया, लेकिन विदेश मंत्रालय इसे “आंतरिक मामला” बताकर खारिज कर सकता है। यह घटना भारत-पाक संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ती है, जहां धार्मिक प्रतीक राजनीतिक हथियार बन जाते हैं।






