सीएसआईआर. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर (आईएचबीटी) हिमाचल प्रदेश के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा अरोमा मिशन चरण-II के अंतर्गत सगंधित गेंदा की खेती को बढ़ावा देने के लिए जून 22, 2022 जिला कांगड़ाए हिमाचल प्रदेश के विभिन्न गाँव का दोरा किया व किसानों के लिये प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए। डॉ संजय कुमार, निदेशक सीएसआईआर.आईएचबीटीए पालमपुर के अनुसार सीएसआईआर अरोमा मिशन चरण -II परियोजना के अंतर्गत हमारा संस्थान सगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिये काम कर रहा है जिसका लक्ष्य मार्च 2023 तक लगभग 30000 हेक्टेयर क्षेत्र को सगंधित फसलों के तहत लाना है। यह फसलें बंजर, बेकार, खराब भूमि और जानवरों से प्रभावित क्षेत्र में खेती करने के लिए उपयुक्त विकल्प हैं क्योंकि यह फसलें आवारा और जंगली जानवरों से प्रभावित नहीं होती हैं । हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंदीदा, उच्च मांग वाले सगंधित घटकों के साथ सगंधित तेल का उत्पादन करने के लिए उपयुक्त है। उच्च गुणवत्ता वाले सगंधित तेल का उत्पादन करके अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश में किसानों के लिए सगंधित फसलों की खेती अत्यधिक फायदेमंद होगी। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान पूरे देश में काम कर रहा है और क्षेत्र के छोटे किसान मिलकर काम कर सकते हैं और अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
सीएसआईआर.. आईएचबीटी की टीम एचपी एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेडए शिमला और ष्सेवा फाउंडेशनष् (एनजीओ) धर्मशाला के सहयोग से सीएसआईआर अरोमा मिशन चरण II के तहत गांव खारी बहीए पोस्ट ऑफिस करेरी, विकास खंड रैत और ग्राम मट, पोस्ट ऑफिस ढ्ग्वार, विकास खंड धर्मशाला, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश में सगंधित गेंदा की उन्नत खेती पर दो प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। इस कार्यक्रम में 50 से अधिक युवा किसानों, सेवा फाउंडेशन (एनजीओ) की अध्यक्ष, श्रीमति शिवानी नेगी, कैप्टन जेएम पठानिया, (आई ए एस) , प्रबंध निदेशकए एचपी एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेडए शिमला और मीडिया के साथ लोगों ने कार्यक्रम में भाग लिया। ग्राम पंचायतों के प्रधान एवं उप. प्रधान ने भी इस प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया।
किसानों को सगंधित गेंदा की खेती और कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित किया गया और खेत में पूरी तकनीकी जानकारी (बीज, खाद, पिंचिंग, सिंचाई) और व्यावहारिक प्रदर्शन भी दिया गया। डॉ राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सह नोडल अरोमा मिशन चरण-II ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सगंधित फसलों की क्षमता और उनके महत्व के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि हिमाचल प्रदेश में उगाई जाने वाली संभावित सगंधित फसल सगंधित गेंदा है क्योंकि इन क्षेत्रों से उत्पादित सगंधित तेल अच्छी गुणवत्ता का होता है जिसकी बाजार में अधिक मांग है जिससे किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। टीम सीएसआईआर.आईएचबीटी ने किसानों को अपने क्षेत्र में सगंधित गेंदा के लिए खेत की तैयारी, फसल की आवश्यकताओं, प्रबंधन तकनीकों और प्रसंस्करण प्रक्रियाओं के बारे में सूचित किया।
कैप्टन जेएम पठानियाए (आई ए एस) , प्रबंध निदेशकए एचपी एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिमला ने बताया कि यह संगधित फसलें पारंपरिक फसलों के मुक़ाबले एकअच्छा विकल्प हैं। इन फसलों को लगाकर किसान अपनी आमदनी को दुगना कर सकते हैं।
टीम ने किसानों को सगंधित गेंदे के 36 किलो बीज बिना किसी मूल्य के वितरित किए तथा उनके खेतों का दोरा किया और उन्हें बीज लगाने से कटाई तक के सारे प्रावधानों के बारे में उचित दिशा निर्देश दिये।