नई दिल्ली: घड़ी की सुई टिक-टिक घूम रही है और लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं. ऐसे में एक तरफ तमाम दल अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने, सीट शेयरिंग और रणनीति बनाने में जुटे हैं लेकिन कांग्रेस एक अलग ही टेंशन से जूझ रही है. ये टेंशन है कई राज्यों में सीट शेयरिंग फाइनल ना होना.
कहा जा रहा है कि 15-16 मार्च को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो सकता है. मगर कई राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस अब तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल नहीं कर पाई है. और जिन राज्यों में हुआ, वहां बस किसी तरह कांग्रेस को एडजस्ट किया गया है. विपक्षी दलों का I.N.D.I.A गठबंधन बन तो गया है लेकिन साथियों की आपस में ही सहमति नहीं बन पा रही है.
42 सीटों पर ममता ने उतारे उम्मीदवार
पहले बात करते हैं बंगाल की. रविवार को ममता बनर्जी की टीएमसी ने राज्य की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया. कांग्रेस कहती रह गई कि ममता बनर्जी को अपने उम्मीदवारों के नामों के ऐलान में संयम बरतना चाहिए था. कांग्रेस टीएमसी के साथ गठबंधन के लिए कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती. लेकिन ममता ने उसे आईना दिखा दिया. जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की संभावनाएं ही नहीं बन पाईं. जबकि दिल्ली, गुजरात, गोवा में कांग्रेस को मन मारकर ही गठबंधन करना पड़ा है.
कश्मीर में भी हालात डांवाडोल
उधर कश्मीर में भी हालात ठीक नहीं लग रहे हैं. उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने साफ कह दिया है कि लोकसभा चुनावों के लिए महबूबा मुफ्ती के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा, जिसके बाद मुफ्ती भड़क गईं और उन्होंने गेंद कांग्रेस के पाले में फेंक दी है. अगर तीनों पार्टियों के बीच कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाती है तो वोट बैंक बिखर जाएगा और कश्मीर में नुकसान झेलना पड़ सकता है. जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा सीटें हैं, जिसमें दो जम्मू क्षेत्र में आती हैं. ये बीजेपी के पास हैं. जबकि कश्मीर की 3 सीटों पर एनसी का कब्जा है. लद्दाख में एक सीट है, जो बीजेपी के पास है.
तमिलनाडु में हालांकि पार्टी के लिए सुखद खबर है. लेकिन वहां भी बंटवारा 2019 के फॉर्मूले से ही हुआ है. तमिलनाडु में कांग्रेस को 9 और पुडुचेरी में 1 सीट दी गई है.
महाराष्ट्र-बिहार में भी फंसा है पेच
इसके अलावा INDIA गठबंधन में कांग्रेस के लिए कई सीटों पर महाराष्ट्र से लेकर बिहार में भी पेच फंसा हुआ है. महा विकास अघाड़ी की दो पार्टियों शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और कांग्रेस के बीच रार पैदा हो गई है. शनिवार को ठाकरे की शिवसेना ने नॉर्थ वेस्ट मुंबई से अमोल कीर्तिकर को उम्मीदवार बनाया है, जिसके बाद कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ठाकरे की शिवसेना को जमकर सुनाया. उन्होंने एक्स पर लिखा कि यह कांग्रेस को नीचा दिखाने की हरकत है. शिवसेना प्रत्याशी को निरुपम ने खिचड़ी स्कैम का घोटालेबाज और शिवसेना को बची-खुची पार्टी तक बता डाला.
बिहार भी कांग्रेस के लिए अग्निपथ जैसा ही है. वहां भी सीट शेयरिंग को लेकर कई मुद्दे राह में रोड़ा बनकर पड़े हुए हैं. इंडिया गठबंधन के करीब 7 विधायक दामन छोड़कर एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं. यही दलबदलू सबसे ज्यादा कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की चिंता बढ़ा रहे हैं. अब देखना ये होगा कि कांग्रेस कितनी जल्दी अपनी राह में पड़े सीट शेयरिंग के पत्थर को हटा पाती है.