नई दिल्ली: अमेरिका ने यूक्रेन में रूस के युद्ध में मदद करने वाले लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर बुधवार को प्रतिबंध लगा दिए। इनमें चार भारतीय कंपनियों का नाम भी शामिल है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम “तीसरे देशों की चोरी को रोकने के लिए सबसे मजबूत प्रयास” है।
ट्रेजरी विभाग ने 270 से अधिक लोगों और कंपनियों को भी नामित किया है
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि “हम आज लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं जो रूस के युद्ध को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। इसमें 120 से अधिक व्यक्तियों और कंपनियों पर प्रतिबंध शामिल हैं। इसके अलावा ट्रेजरी विभाग ने 270 से अधिक लोगों और कंपनियों को भी नामित किया है। वाणिज्य विभाग ने 40 नई कंपनियों को अपनी सूची में जोड़ा है।”
इन कंपनियों में ‘एसेंड एविएशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ भी है, जिसने मार्च 2023 से मार्च 2024 के बीच रूस की कंपनियों को 700 से अधिक सामान भेजे। इन सामानों में अमेरिकी विमान के हिस्से शामिल थे, जिनकी कीमत 200,000 डॉलर से ज्यादा है। इसके अलावा ‘मास्क ट्रांस’ नाम की एक और कंपनी का भी जिक्र किया गया है, जो रूस की एस 7 इंजीनियरिंग को 300,000 डॉलर के विमान के हिस्से भेजने में शामिल है।
अमेरिका ने ‘टीएसएमडी (TSMD) ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड’ और ‘फुट्रेवो’ जैसी कंपनियों का भी नाम लिया है, जिन्होंने रूस की कंपनियों को महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सामान की आपूर्ति की है। इन सामान की कीमत 1.4 मिलियन डॉलर से अधिक है। अमेरिका का कहना है कि इन प्रतिबंधों का मकसद रूस के युद्ध में मदद को रोकना है। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रूस तीसरे देशों से तकनीक और सामान न खरीद सके जो उसके युद्ध प्रयासों में मदद कर सके।
इससे पहले भी भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लग चुके हैं। नवंबर 2023 में, ‘Si2 माइक्रोसिस्टम्स’ को रूस की सेना को अमेरिकी सामान की सप्लाई करने पर रोक लगाई गई थी। अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने हाल ही में चेतावनी दी थी कि कोई भी भारतीय कंपनी जो रूस के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंधों का उल्लंघन करती है, उसे इससे जुड़ी “परिणामों” के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ये बिना किसी “हलचल” के हैं।