नई दिल्ली l संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में बुधवार को यूक्रेन पर रूसी हमले के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया जहां भारत ने पिछली बार की तरह ही वोटिंग से खुद को दूर रखा. अमेरिका ने भारत के इस रुख पर कहा है कि वो भारत को रूसी आक्रमण की आलोचना करने के लिए मना रहा है लेकिन अमेरिका के अब तक के ऐसे सभी प्रयास असफल रहे हैं.
अमेरिका के असिस्टेंट स्टेट सेक्रटरी डोनल्ड लू ने विदेश संबंध समिति के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन पर रूस की आक्रामकता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में मतदान करने के लिए अमेरिका भारत को मनाने का काम कर रहा है, लेकिन भारत ने कई बार हुई वोटिंग से खुद को दूर रखा है.
लू ने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि हम सभी भारत से स्पष्ट रुख अपनाने, रूस की कार्रवाई के खिलाफ स्टैंड लेने का आग्रह करने के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन हमने अब तक क्या देखा है? हमने कई बार भारत को वोटिंग से परहेज करते ही देखा है.’
भारत के अखंडता वाले बयान का ये मतलब निकाल रहा अमेरिका
भारत ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के एक सत्र में बिना किसी देश का नाम लिए कहा था कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करना चाहिए. डोनल्ड लू ने भारत के इस संतुलित बयान पर कहा, ‘हमने पिछले कुछ दिनों में एक दिलचस्प प्रगति देखी है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने सभी देशों से अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करने का आह्वान किया. भारत का ये संदेश रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र चार्टर और यूक्रेन की संप्रभुता के उल्लंघन का एक बहुत स्पष्ट संदर्भ है.’
लू ने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी यूक्रेन को लेकर भारतीय समकक्षों के साथ उच्च स्तरीय वार्ता कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘भारत ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश करते समय दो चीजों पर ध्यान केंद्रित किया है. एक ये कि वो इस संघर्ष का राजनयिक समाधान चाहता है. और दूसरी बात जिस पर वे जोर दे रहा है, वो ये है कि भारत में अभी भी यूक्रेन में 18 हजार छात्र हैं. भारत छात्रों की सुरक्षा के लिए यूक्रेन और रूस दोनों सरकारों के साथ काम करने की कोशिश कर रहा है.’