स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच लंबे समय से तनाव चला आ रहा है, जो हाल के महीनों में और गहरा गया है। खासकर, इजरायल द्वारा 13 जून 2025 को शुरू किए गए “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमलों ने स्थिति को और जटिल कर दिया है।
इन हमलों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत की खबरें आई हैं, साथ ही नतांज और फोर्डो जैसे प्रमुख परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचा है। जवाब में, ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस थ्री” के तहत इजरायल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए। इस तनाव के बीच ईरान का परमाणु हथियारों से संबंधित हालिया ऐलान वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। आइए इस विश्लेषण को एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
ईरान का बड़ा ऐलान
ईरान ने दावा किया है कि वह जल्द ही परमाणु शक्ति संपन्न देश बन सकता है। कुछ स्रोतों के मुताबिक, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए “चरणबद्ध प्रक्रिया” को तेज करने का संकेत दिया है। यह ऐलान इजरायल के हमलों और अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी संस्था IAEA की 12 जून 2025 की रिपोर्ट के बाद आया, जिसमें ईरान पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। IAEA ने दावा किया कि ईरान के पास 60% तक संवर्धित यूरेनियम की मात्रा है, जिससे वह संभावित रूप से छह परमाणु हथियार बना सकता है।
ईरान ने घोषणा की है कि “वह एक नई, गुप्त यूरेनियम संवर्धन साइट शुरू करेगा और फोर्डो जैसे भूमिगत परमाणु संयंत्रों में छठी पीढ़ी की सेंट्रीफ्यूज मशीनें तैनात करेगा। हालांकि, ईरान का आधिकारिक बयान है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, और परमाणु हथियार बनाने का उसका कोई इरादा नहीं है। फिर भी, इजरायल और अमेरिका का दावा है कि ईरान गुप्त रूप से हथियार बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
इजरायल-ईरान तनाव का कारण
इजरायल का मानना है कि “ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व के लिए खतरा है। 1960 के दशक में परमाणु हथियार विकसित करने वाला इजरायल किसी भी अरब देश को परमाणु शक्ति बनने से रोकना चाहता है। इसके लिए उसने 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के परमाणु रिएक्टरों पर हमले किए थे।
इजरायल ने दावा किया कि “ईरान ने नौ परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम जमा कर लिया है, जिसके चलते उसने नतांज, फोर्डो, और इस्फहान जैसे ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी, चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी, और कई परमाणु वैज्ञानिक मारे गए।
ईरान का क्या है जवाबी रुख
ईरान ने इजरायल के हमलों को “अवैध और उकसावे वाला” करार देते हुए जवाबी हमले किए। उसने यरुशलम, हाइफा, और वेस्ट बैंक पर मिसाइलें दागीं और धमकी दी कि वह इजरायल को “कड़ी सजा” देगा। ईरान का कहना है कि “इजरायल और अमेरिका उसके शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं ताकि उस पर हमले का बहाना बनाया जा सके।
क्या है अमेरिका की भूमिका ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए सैन्य और कूटनीतिक दोनों विकल्प खुले रखे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ईरान परमाणु समझौते पर सहमत नहीं होता, तो और गंभीर हमले हो सकते हैं। ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि “उन्हें इजरायल के हमलों की पहले से जानकारी थी, हालांकि अमेरिका ने इन हमलों में प्रत्यक्ष भागीदारी से इनकार किया है।
क्या होंगे वैश्विक और क्षेत्रीय प्रभाव
इजरायल और ईरान के बीच खुले युद्ध ने मध्य पूर्व में अस्थिरता को बढ़ा दिया है। जॉर्डन ने अपना हवाई क्षेत्र फिर से खोल दिया, लेकिन क्षेत्र में तनाव बरकरार है। सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों ने इस स्थिति पर चिंता जताई है, जबकि कुछ देशों ने कूटनीतिक समाधान की वकालत की है। भारत ने दोनों देशों के साथ अपने अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए तनाव कम करने की अपील की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इजरायल और ईरान में मौजूद भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी है।
इजरायल-ईरान युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में 12% की उछाल आई है, जो भारत के व्यापारिक घाटे और महंगाई को बढ़ा सकती है। भारतीय रुपये पर भी दबाव बढ़ा है, जो 86.20 तक गिर गया, हालांकि RBI के हस्तक्षेप से यह 86.04 पर स्थिर हुआ।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर !
तेल की कीमतों में उछाल और सोने की कीमतों में तेजी (MCX पर 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक) ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा की है। सेंसेक्स में 1100 अंकों की गिरावट और 8 लाख करोड़ रुपये के निवेशक धन का नुकसान इस तनाव का प्रत्यक्ष परिणाम है।
IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के पास 60% तक संवर्धित यूरेनियम है, जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम (90% शुद्धता) के करीब है। यह मात्रा छह परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त मानी जा रही है। हालांकि ईरान ने बार-बार कहा है कि “उसका परमाणु कार्यक्रम ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए है। राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने मार्च 2025 में कहा था कि सर्वोच्च नेता खामेनेई के धार्मिक आदेश के कारण परमाणु हथियार बनाना वर्जित है। वहीं इजरायल का दावा है कि ईरान ने गुप्त रूप से हथियार बनाने की “ब्रेकआउट क्षमता” हासिल कर ली है, यानी वह कुछ हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य
इजरायल ने स्पष्ट किया है कि जब तक ईरान का परमाणु खतरा खत्म नहीं होता, “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” जारी रहेगा। दूसरी ओर, ईरान ने जवाबी हमलों को तेज करने और अपनी बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई है। अमेरिका और इजरायल के बीच समन्वय के बावजूद, कूटनीतिक वार्ताएं (जैसे मस्कट में प्रस्तावित परमाणु वार्ता) रद्द हो चुकी हैं, जिससे युद्ध का खतरा और बढ़ गया है। वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और भारत जैसे देश, इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कूटनीति और संयम की वकालत कर रहे हैं।
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल
ईरान का परमाणु हथियारों की दिशा में कथित कदम और इजरायल के आक्रामक रुख ने मध्य पूर्व को एक खतरनाक मोड़ पर ला खड़ा किया है। ईरान का दावा कि वह जल्द ही परमाणु शक्ति बन सकता है, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती पेश करता है। भारत जैसे देशों पर इसका आर्थिक और सामरिक प्रभाव पड़ रहा है, और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप की जरूरत है। यह युद्ध न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर विनाशकारी परिणाम ला सकता है, खासकर अगर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हुआ।