स्पोर्ट्स डेस्क
अहमदाबाद: विराट कोहली का नाम क्रिकेट की दुनिया में एक ऐसी शख्सियत के रूप में गूंजता है, जो न केवल रनों का पहाड़ खड़ा करता है, बल्कि जुनून, जिद और जीत की भूख का पर्याय बन चुका है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में कोहली का सफर एक रोलर-कोस्टर रहा है- हार की निराशा, आलोचनाओं की आंधी और फिर बार-बार वापसी कर जीत की कहानी लिखने का जज्बा। 2025 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली आईपीएल खिताबी जीत ने कोहली के इस जुनून को एक नया आयाम दिया। आइए इसे विस्तार में एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
कोहली और RCB… ट्राफी के लिए 18 साल का इंतजार
विराट कोहली एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 2008 से 2025 तक आईपीएल के हर सीजन में सिर्फ एक फ्रेंचाइजी RCB के लिए खेला। 18 साल, 263 मैच, 8,661 रन, 8 शतक, 63 अर्धशतक और फिर भी खिताब का सूखा। यह आंकड़े कोहली की निरंतरता और जुनून को दर्शाते हैं, लेकिन साथ ही उस दबाव को भी उजागर करते हैं, जो उन्होंने हर सीजन झेला।
2025 में RCB ने आखिरकार 18 साल के इंतजार को खत्म किया। अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 3 जून को हुए फाइनल में RCB ने पंजाब किंग्स को 6 रनों से हराकर पहला खिताब जीता। कोहली ने 35 गेंदों पर 43 रनों की पारी खेली, जो भले ही उनकी सबसे बड़ी पारी न हो, लेकिन उनकी भावनात्मक भागीदारी ने टीम को एकजुट किया। जीत के बाद कोहली की आंखों में आंसू, अनुष्का शर्मा के साथ गले मिलना और प्रशंसकों के लिए उनका भावुक बयान, “यह जीत उतनी ही प्रशंसकों की है, जितनी टीम की” ने दिखाया कि कोहली के लिए यह खिताब सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि 18 साल की मेहनत और समर्पण का प्रतीक था।
बार-बार लड़ना, हारना और फिर जीतना !
कोहली का करियर हार और जीत के बीच एक अंतहीन जंग की कहानी है। उनकी जिद और वापसी की क्षमता उन्हें अलग बनाती है। कोहली पर अक्सर “बड़े मैचों में फेल होने” का ठप्पा लगाया गया। 15 प्लेऑफ मैचों में उनका औसत 26.23 और 341 रन रहा, जिसमें सिर्फ 2 अर्धशतक शामिल हैं। 2025 के क्वालिफायर 1 में भी वे 12 रन बनाकर आउट हुए, जब काइल जैमीसन की गेंद पर वे ऑफ-स्टंप के बाहर शॉट खेलते हुए कैच दे बैठे। फिर भी, RCB ने वह मैच 8 विकेट से जीता, जिससे पता चलता है कि कोहली की मौजूदगी रनों से ज्यादा टीम की मानसिकता को प्रभावित करती है।
2024 में वापसी
2020-21 में कोहली का फॉर्म खराब रहा। लेकिन 2024 आईपीएल में उन्होंने 741 रन बनाकर ऑरेंज कैप जीता। 2025 में भी 11 पारियों में 505 रन, 7 अर्धशतकों के साथ, वे फिर ऑरेंज कैप की रेस में थे। यह उनकी उस मानसिकता को दिखाता है, जो हार के बाद भी हार नहीं मानती।
2025 का फाइनल
फाइनल में कोहली ने 43 रन बनाए, लेकिन उनकी सबसे बड़ी जीत थी टीम को प्रेरित करना। क्रुणाल पंड्या, भुवनेश्वर कुमार, और जोश हेजलवुड की गेंदबाजी ने पंजाब को 184/7 पर रोका और कोहली का नेतृत्व भावनात्मक रूप से टीम को एकजुट रखने में कामयाब रहा।
कोहली होने का मतलब
कोहली का “जीत” का मतलब सिर्फ ट्रॉफी नहीं है। यह उनके उस जुनून का प्रतीक है, जो हार के बाद भी उन्हें मैदान पर वापस लाता है। उनके कुछ बयानों से यह साफ होता है टेस्ट क्रिकेट के प्रति प्यार फाइनल जीतने के बाद भी कोहली ने कहा, “यह मेरे करियर का सबसे बड़ा क्षण है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट इससे पांच स्तर ऊपर है।” यह उनकी क्रिकेट के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि“मैंने इस टीम को अपनी जवानी, अपना सुनहरा समय, और अपना अनुभव दिया। यह जीत प्रशंसकों के लिए है।” यह कोहली की RCB और बेंगलुरु के प्रति वफादारी को दिखाता है। कोहली ने जीत को पूर्व खिलाड़ी एबी डिविलियर्स को समर्पित करते हुए कहा, “यह जीत उतनी ही उनकी है, जितनी हमारी।” यह उनकी नेतृत्व शैली और टीम भावना को उजागर करता है।
कोहली की विरासत
कोहली का आईपीएल करियर सिर्फ रनों का नहीं, बल्कि एक ऐसी मानसिकता का है, जो हार को स्वीकार नहीं करती। उनकी फिटनेस, जोश, और हर पारी को आखिरी पारी की तरह खेलने की भूख उन्हें अनूठा बनाती है। 2025 की जीत ने न केवल RCB का खिताबी सूखा खत्म किया, बल्कि कोहली के उस विश्वास को सही साबित किया कि “लड़ते रहो, जीत कदमों में होगी।”
हर बार मैदान पर उतरना
विराट कोहली होने का मतलब है—हर बार मैदान पर उतरना जैसे यह आखिरी मौका हो, हार से सीखना, और जीत के लिए हर कीमत चुकाने को तैयार रहना। 2025 की आईपीएल जीत कोहली के लिए सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि 18 साल की मेहनत, आलोचनाओं, और वापसी की कहानी का चरम है। जैसा कि कोहली ने कहा, “आज रात मैं बच्चे की तरह सोऊंगा।” यह जीत उनकी जिद, जुनून, और RCB के प्रति वफादारी का प्रतीक है।