नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों से ऐन पहले केंद्र सरकार की एक और एजेंसी हरकत में है। इससे राजनीतिक दलों, नेताओं और ऐसे वित्तीय संस्थानों की नींद उड़ गई है जो काले धन के लेन-देन में शामिल रहे हैं। देश की वित्तीय खुफिया इकाई (Financial Intelligence Unit- FIU) ने करीब 600 अफसरों की एक टीम तैनात की है जो 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कॉपरेटिव बैंकों में कैश जमा और निकासी पर कड़ी नजर रख रही है।
ये टीम चुनावों में काले धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए राजनीतिक हस्तियों और उनसे जुड़े लोगों के खातों पर नजर रख रही है। एजेंसी ने हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान ऐसे लेनदेन की रिपोर्ट करने में विफल रहे 12 कॉपरेटिव बैंकों की पहचान की है।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, FIU ने इस बार इनकम टैक्स, कस्टम, ईडी, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के 600 अधिकारियों की एक टीम बनाई है, जो इस ऑपरेशन को अंजाम दे रही है। मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एजेंसी उन सहकारी बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रही है जो पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान भारी मात्रा में हुए कैश लेनदेन को रिपोर्ट करने में विफल रहे हैं।
अधिकारी के मुताबिक, एजेंसी के राडार पर सभी बैंक हैं लेकिन कॉपरेटिव बैंकों पर विशेष नजर रखी जा रही है। 12 कॉपरेटिव बैंकों में एजेंसी को कई गड़बड़ियां मिली हैं। बता दें कि अमूमन चुनाव आयोग चुनावों के दौरान ऐसे अवैध या संदिग्ध लेनदेन या भारी नकदी निकासी या सोने के लेनदेन और शराब बांटने जासे मामलों पर इनकम टैक्स, कस्टम, स्थानीय पुलिस और अन्य एजेंसियों से संपर्क रखती थी लेकिन इस बार FIU ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कैश लेनदेन पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं।
क्या है FIU
FIU यानी Financial Intelligence Unit (वित्तीय खुफिया इकाई) केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली एक खुफिया राष्ट्रीय एजेंसी है जिसका मुख्य कार्य संदिग्ध लेनदेन, बड़े पैमाने पर नकद निकासी पर रिपोर्ट प्राप्त करना, उसका विश्लेषण करना और जरूरी होने पर उसे अन्य खुफिया और प्रवर्तन एजेंसियों से साझा करना है।
FIU रिपोर्टिंग संस्थाओं से प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर डेटा बेस भी स्थापित करता है और मनी लॉन्ड्रिंग और उससे जुड़े अपराधों से निपटने के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से वित्तीय खुफिया जानकारी का संग्रह और साझाकरण का काम करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग के ट्रेन्ड और टाइपोलॉजी पर रिसर्च और एनालिसिस भी करता है।