भोपाल,25 जून (आरएनएस)। शिवराज के शासनकाल में एक बार नहीं अनेकों बार इस प्रदेश की जनता ने सबका विकास सबके साथ, के नारे का ढिंढोरा भी खूब सुनने को मिला तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के श्रीमुख से ही नहीं बल्कि उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों व संगठन के नेताओं के द्वारा स्वर्णिम मध्यप्रदेश की विकास का ढिंढोरा खूब पीटा जा रहा है लेकिन प्रदेश में हो रहे पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव के दौरान प्रदेशभर के अनेकों जिलों व कस्बों से कहीं सडक़ नहीं तो कहीं बिजली नहीं तो कहीं स्कूल नहीं बल्कि मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते एक दिन के राजा (मतदाता) ग्राम पंचायत व नगरीय निकाय के चुनावों का बहिष्कार करने तक के आक्रोशभरे बयान आ रहे हैं उससे यह साफ जाहिर होता है कि इस प्रदेश में विकास के नाम पर केवल घोषणायें हुई हैं पर यह विकास जमीन पर उतरता नजर नहीं आया, तभी तो प्रदेशभर के मतदाताओं द्वारा आक्रोश में आकर चुनाव के बहिष्कार करने की चेतावनी दी जा रही है, विकास की यदि यही परिभाषा रही तो आने वाले विधानसभा चुनाव में इस तरह की आक्रोशित मतदाताओं द्वारा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी देने का क्या आलम होगा इसकी तो कल्पना ही की जा सकती है, हां यह जरूर है कि चुनाव आयोग द्वारा संचार माध्यम से जो विज्ञापन सुनने को मिल रहे हैं उसमें तो यही दावा किया जा रहा है कि आप विकास के लिए मतदान कीजिए।
पता नहीं प्रदेश की जनता ने किस विकास के लिए मतदान किया है और यह विकास उनके क्षेत्र का हुआ या भाजपा नेताओं और अधिकारियों का, वैसे भाजपा के शासन के विकास की बात करें तो जांच एजेंसियों द्वारा डाले गये छापों में अदना सा अधिकारी करोड़पति निकल रहा है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि विकास किसका हुआ? मध्यप्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के दौरान प्रदेशभर में मतदाताओ की मूलभूत सुविधओं से वंचित चुनाव बहिष्कार की चेतावनी देना यह साबित करती है कि प्रदेश में विकास के नाम पर केवल ढिंढोरा ही पीटा गया जिसकी पोल इस होने वाले सेमिफायनल चुनाव ने खोलकर रख दी यह अलग बात है कि कांग्रेस 15 महीनों के शासनकाल के दौरान विकास के नाम पर जो खेल हुआ उसको लेकर भाजपा के नेता उन पर आरोप तो लगाने में नहीं थकते लेकिन मध्यप्रदेश में कागजों में हुए विकास के नाम पर आक्रोशित मतदाताओं द्वारा जो चेतावनी चुनाव बहिष्कार की दी जा रही है उस पर ध्यान नहीं दे रहे, यदि अब भी नहीं चेते तो आने वाले समय में कहीं 2018 का इतिहास पुन: इस जनता को दोहराने का मौका न मिल जाए, इसकी संभावनायें भी भाजपा के विकास के नाम पर पीटे जा रहे ढिंढोरे से अधिक दिखाई दे रही है?
अनिल पुरोहित/अशफाक