नई दिल्ली : जन सेना पार्टी (JSP) प्रमुख पवन कल्याण ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी)-जेएसपी के साथ गठबंधन को औपचारिक रूप देने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेताओं से अनुरोध किया है। अभिनेता से नेता बने पवन ने बुधवार को कहा कि इस तरह के प्रयासों से उन्हें बहुत मानसिक पीड़ा हुई है।
चुनाव होने में बमुश्किल कुछ महीने बचे हैं पर भाजपा अभी तक गठबंधन पर फैसला नहीं किया है। पवन कल्याण के लिए जो बात ज्यादा परेशान करने वाली लगती है, वह है एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी के साथ जेएसपी का असहज गठबंधन। इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा सितंबर 2023 में की गई थी, जब नायडू आंध्र प्रदेश कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में जेल में थे।
समन्वय समिति की बैठकों में शामिल नहीं हुए दोनों दलों के नेता
गठबंधन के ऐलान के बाद से दोनों सहयोगी दलों के नेता समन्वय समिति की बैठकों में शामिल नहीं हुए और यहां तक कि मारपीट पर भी उतारू हो गए। दोनों दलों ने एकतरफा तौर पर दो-दो विधानसभा चुनाव उम्मीदवारों की भी घोषणा की। हाल ही में पवन कल्याण ने चंद्रबाबू नायडू पर आरोप लगाया कि उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया, जब टीडीपी प्रमुख ने जेएसपी से परामर्श किए बिना मंडपेटा और अराकू विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। इसके बाद उन्होंने यह भी घोषणा की कि उनकी पार्टी रज़ोल और राजनगरम विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
टीडीपी-जेएसपी के बीच सीट बंटवारा मुश्किल
एक तरफ जहां चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण दोनों ने अपने गठबंधन को राज्य के हित में वक्त की जरूरत कहा था, वहीं सूत्रों ने कहा कि उनकी पार्टियों के बीच सीट-बंटवारा मुश्किल हो रहा है, खासकर दो गोदावरी जिलों-पूर्व और पश्चिम में। सूत्रों के मुताबिक, करीब 20 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां दोनों पार्टियां आम सहमति बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इन सीटों में राजमुंदरी ग्रामीण, गन्नावरम, पिथापुरम, काकीनाडा ग्रामीण, एलुरु और ताडेपल्लीगुडेम शामिल हैं।
जेएसपी नेताओं का दावा है कि गोदावरी जिले उनके गढ़ हैं और इन सीटों पर समझौता करना पार्टी के हित में नहीं होगा। पूर्वी गोदावरी के एक जेएसपी नेता ने कहा, “2019 में सीटें नहीं जीतने के बावजूद, हमने इन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया और तब से यहां कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अब इन सीटों को छोड़ना पार्टी की संभावनाओं के साथ-साथ गठबंधन के लिए भी हानिकारक होगा।” दोनों पार्टियों के कैडर अपनी सीटों को अंतिम रूप देने में हो रही देरी से भी परेशान हैं। राजमुंदरी के एक टीडीपी कार्यकर्ता ने कहा, “एक तरफ सीएम जगन ने कई लिस्ट जारी की हैं और अपने सिद्धम अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं, वहीं हम अभी भी उम्मीदवारों के बारे में अनिश्चित हैं।”
भाजपा का निर्णय लेने में देरी
टीडीपी और जेएसपी के अपने सीट-बंटवारे और उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में देरी के प्रमुख कारणों में से एक गठबंधन में शामिल होने के संबंध में भाजपा का निर्णय लेने में देरी करना है। पिछले महीने दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ नायडू की बैठक के बाद टीडीपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि गठबंधन को अंतिम रूप दे दिया गया है और केवल इसकी घोषणा बाकी है। उन्होंने कहा कि टीडीपी ने बीजेपी-जेएसपी गठबंधन को 5-6 लोकसभा सीटें (कुल 25 लोकसभा सीटों में से) और 40 विधानसभा क्षेत्र (175 विधानसभा सीटों में से) की पेशकश की है। सूत्रों ने बताया कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए 10 सीटें मांगी हैं।
TDP के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि चर्चा हुई है और कुछ दिनों में सारी बात साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा, “हमारे नेता ने शीर्ष भाजपा नेताओं से बात की थी और उन्हें राज्य की स्थिति से अवगत कराया था। अगले कुछ दिनों में इस पर एक घोषणा सामने आएगी।” उन्होंने बताया कि जेएसपी पहले से ही भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा है।
आंध्र प्रदेश में बीजेपी का एक भी विधायक या सांसद नहीं
फिलहाल आंध्र प्रदेश में बीजेपी का एक भी विधायक या सांसद नहीं है। 2019 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी को केवल 0.9% वोट मिले, जो नोटा को मिले 1.5% से कम है। एक और चिंता जो टीडीपी और जेएसपी दोनों नेताओं ने जताई वह वोटों के ट्रांसफर को लेकर थी। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि उनके मूल भाई गठबंधन सहयोगियों को वोट देंगे या नहीं। एक टीडीपी नेता ने कहा, “गठबंधन कायम है लेकिन हमें अभी भी यकीन नहीं है कि हमारे मतदाता उन सीटों पर जेएसपी उम्मीदवार को वोट देंगे जहां उसके उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा, भाजपा के बारे में तस्वीर साफ नहीं होने से मतदाता अधिक भ्रमित दिख रहे हैं।”