नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भीतर एक नई सियासी हलचल शुरू हो गई है। जिस पार्टी ने हमेशा वंशवाद की राजनीति का मुखर विरोध किया है, अब उसी के कई कद्दावर नेता ‘पुत्र मोह’ में घिरे नजर आ रहे हैं। 70 साल की उम्र पार कर चुके ये दिग्गज नेता, जिनके अपने टिकट कटने की प्रबल संभावना है, अब दिल्ली से पटना तक अपने बेटों के लिए विधानसभा टिकट सुनिश्चित करने की जोर-आजमाइश में जुट गए हैं।
यह स्थिति बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है, जहां उन्हें वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और पार्टी के युवा चेहरे पेश करने के संतुलन के बीच पुत्र मोह की इस नई लहर से निपटना होगा। आइए जानते हैं, कौन हैं वे नेता और उनके बेटे जो इस बार राजनीति की विरासत संभालने को तैयार हैं।
नंदकिशोर यादव
बिहार विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष और पटना साहिब से कई बार विधायक रहे नंदकिशोर यादव (70+ वर्ष) का नाम भी टिकट कटने वालों की सूची में है। वे अपने बेटे नितिन कुमार ‘रिंकू’ को पटना साहिब से टिकट दिलाने को प्रयासरत हैं।
अवधेश नारायण सिंह
पार्टी के कद्दावर नेता और वर्तमान में बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी अपने बेटे सुशांत रंजन और प्रशांत रंजन को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं। उनका पसंदीदा विधानसभा क्षेत्र आरा है।
रामकृपाल यादव
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव के बेटे अभिमन्यु (Abhimanyu Yadav) अपने संगठन ‘टीम अभिमन्यु’ के नाम से फतुहा क्षेत्र में सक्रिय हैं। रामकृपाल अपने बेटे के लिए फतुहा से टिकट चाहते हैं, जहां पिछली बार बीजेपी के सत्येन्द्र सिंह चुनाव लड़े थे।
अश्विनी चौबे
केंद्र में मंत्री रह चुके अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत भी भागलपुर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। अर्जित 2018 की भागलपुर सांप्रदायिक घटना में भी चर्चा में रहे थे और हाल ही में सनातन महाकुंभ में काफी सक्रिय थे।
आरके सिन्हा
बीजेपी के सीनियर लीडर आरके सिन्हा के बेटे ऋतुराज (Rituraj Sinha) पहले पटना साहिब से लोकसभा का टिकट चाहते थे। अब चर्चा है कि वे पटना की किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वे अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं और संगठन में अभी राष्ट्रीय सचिव की भूमिका निभा रहे हैं।
अमरेंद्र प्रताप सिंह
आरा विधानसभा से लगातार जीतते रहे कद्दावर नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह (70+ वर्ष) भी अपनी विरासत अपने बेटे को सौंपने की तैयारी में हैं और आरा विधानसभा से उनके बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं।
विनोद नारायण झा
मधुबनी से विधायक रहे विनोद नारायण झा, जो पूर्व में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री भी रहे, अब अपने बेटे डॉ. विभय झा को राजनीति में उतारना चाहते हैं। हालांकि, डॉ. विभय झा वर्तमान में चिराग पासवान की पार्टी (लोजपा-रामविलास) में सक्रिय हैं।
अरुण सिन्हा
कुम्हरार से लगातार (2005-2020) जीतते रहे विधायक अरुण सिन्हा (70+ वर्ष) भी अपने बेटे अशीष सिन्हा (Ashish Sinha) के लिए कुम्हरार विधानसभा से टिकट चाह रहे हैं। अशीष सिन्हा पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में बीजेपी युवा मोर्चा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
रामप्रीत पासवान
बिहार सरकार में पूर्व पीएचईडी मंत्री और मधुबनी के राजनगर से विधायक रामप्रीत पासवान भी अपने बेटे दीपक कल्याण को टिकट दिलाने के लिए पैरवी कर रहे हैं। दीपक कल्याण क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं और अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं।
प्रेम कुमार
गया शहर से 8 बार लगातार विधायक रहे और वर्तमान में पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार (70 वर्ष) भी अपने बेटे के लिए गया शहर से टिकट चाह रहे हैं। उनकी लोकप्रियता के बावजूद, उम्र का फैक्टर उनके लिए चुनौती बन सकता है।