प्रकाश मेहरा
सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक शादी को लेकर आए फैसले के बाद अब ध्यान उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड या सामान नागरिक संहिता को लेकर बनाये पैनल पर जा सकता है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई स्पष्ट स्टैंड नहीं लिया था कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई जेंडर न्यूट्रल कानून बनाने की सम्भावना तलाश की जानी चाहिए।
द इकोनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार उत्तराखंड के UCC पैनल जिन मामलों पर विचार कर रहा है उनमे से एक समलैंगिक शादी है. पैनल पर ऐसे कानून की सलाह देने की जिम्मेदारी है, जिसमे विवाह और तलाक सम्बन्धी, गुजारा भत्ता, उत्तराधिकारी संबंधी कानून जैसे सभी परिवार सम्बन्धी कानूनों के उद्देश्यों को जगह दी जाए.
समलैंगिक शादी और लिव इन रिश्तों के दो मुद्दों पर अलग अलग तरह की राय मिलने के बाद पैनल में इन दो मुद्दों को लेकर तीखी बहस हुई जिसके बाद पैनल ने जेंडर न्यूट्रल रहने के तरीकों को अपनाया। अखबार लिखता है कि समलेंगिक शादी पर कई लोगों के अलावा आम जनता ने भी पैनल को राय दी थी।
इसमें प्रदेश के सुदूर इलाकों में रह रही महिलाएं भी शामिल थी जिन्होंने पैनल को अपनी राय भेजी थी इसमें से कई का कहना था कि समलैंगिक शादी को इस आधार पर इजाजत दी जानी चाहिए कि हर इंसान को सम्मान के साथ जीने का हक़ है.