देहरादून : सशक्त उत्तराखंड @25 के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में विभिन्न विभागों की समीक्षा की। राज्य के समग्र विकास के लिए आगे की रणनीति के लिए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए। बता दें, राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह(सेनि) की मंजूरी के बाद वित्त विभाग ने शनिवार से शुरू हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्यय के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे। इस वित्तीय वर्ष के लिए 77407.08 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है। इसमें पूंजीगत परिव्यय के लिए 13133.80 करोड़ का प्रावधान है।
गत वर्ष की तुलना में इसमें 21.16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने उच्च अधिकारियों के साथ सभी विभागाध्यक्ष एवं वित्त नियंत्रकों को विभागों को कहा गया है कि वे पूंजीगत परिव्यय की 80 फीसदी चालू कार्यों पर खर्च करेंगे। नए कार्यों पर केवल 20 प्रतिशत खर्च होगा। जो स्वीकृत कार्य किसी कारणवश शुरू नहीं हो पाए, उन्हें निरस्त कर नए आगणन के आधार पर नए सिरे से मंजूरी दिलाने पर विचार किया जाएगा।
सभी विभागों को मितव्ययिता का खास ध्यान रखने को कहा गया है। राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह(सेनि) की मंजूरी के बाद वित्त विभाग ने सभी विभागों को वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। लघु निर्माण की धनराशि के सापेक्ष कम से कम 10 प्रतिशत धनराशि दिव्यांगजनों के कल्याण व सुगम्यता बनाने के लिए खर्च की जाएगी।
पांच करोड़ से अधिक की लागत के कार्यों का ऑडिट अनिवार्य
शासन ने निर्देश दिए कि पांच करोड़ से अधिक की राशि वाले कार्यों का अनिवार्य रूप से लेखा परीक्षा कराया जाएगा। विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे 50 लाख से कम लागत के कार्यों के लिए एकमुश्त धनराशि अवमुक्त कर देंगे। 50 लाख से दो करोड़ तक लागत के कार्यों के लिए दो किश्तों (60 व 40 फीसदी) के तौर पर अवमुक्त होगी। दो करोड़ से अधिक की परियोजनाओं के लिए 40-40-20 प्रतिशत के आधार पर धनराशि जारी होगी।
प्रदेश सरकार ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का अग्रणीय राज्य बनाने का संकल्प लिया है। उसके संकल्प बजटीय प्रावधानों के रूप में शामिल किए गए हैं। सरकार के सामने बजट के उपयोग और वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने की चुनौती है।