शिमला : हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने सूबे की जेलों में सजा काट रहे कैदियों के कल्याण के लिए नई पहल की है। कैदियों को हिमकेयर योजना के दायरे में लाया गया है। कैदियों की बीमारी का इलाज अब हिमकेयर योजना के तहत होगा। इसके लिए राज्य सरकार उनके हिमकेयर कार्ड बनाएगी। बता दें कि हिमाचल सरकार की ओर से जनवरी 2019 में हिमकेयर योजना शुरू की गई थी। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों को लाभ देना था जो आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
इस योजना के तहत एक परिवार के पांच सदस्य लाभ उठा सकते हैं। पांच सदस्य होने पर दो कार्ड बनवाने होते हैं। हिमकेयर योजना के लाभार्थियों को प्रीमियम देने पर पीजीआई एवं आईजीएमसी समेत हिमाचल के सरकारी अस्पतालों और चयनित प्राइवेट अस्पतालों में मुफ्त उपचार की सुविधा मिलती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को शिमला जिला के आदर्श केंद्रीय कारागार कंडा में बंदियों के लिए ‘हिमकेयर योजना’ का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बंदियों को हिमकेयर कार्ड भी प्रदान किए। मुख्यमंत्री ने जेलों और अन्य संस्थानों के बंदियों के लिए एकीकृत एसटीआई, एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस (आईएसटीएचटी) अभियान के शुभारंभ की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस योजना के तहत बंदियों का पंजीकरण शुरू किया गया है। शीघ्र ही शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया जाएगा। सरकार जेल बंदियों के कल्याण के लिए उनके प्रीमियम की किस्त अदा करेगी।
इसके अतिरिक्त, राज्य के बाल सुधार गृहों में रहने वाले बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से एक योजना शुरू करने पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कारावास के बंदी हिमकेयर योजना के लाभ से वंचित थे। उन्हें बीमारी के दौरान उपचार के लिए धन अभाव का सामना करना पड़ता था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने जेल के बंदियों को इस योजना के दायरे में लाने का निर्णय लिया है।
सीएम सुक्खू ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य 14 जून, 2023 तक राज्य की 14 जेलों के 3218 बंदियों और राज्य भर के किशोर गृह, नारी निकेतन और नशा मुक्ति केंद्र के 1278 आवासियों की जांच और उपचार करना है। उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए जिला एड्स कार्यक्रम अधिकारी, आईसीटीसी, एआरटी काउंसलर, लैब टेक्नीशियन, फ्रीजर पीयर मोबिलाइजर और पैरामेडिकल स्टाफ जैसे विभिन्न चिकित्सा पेशेवरों को समायोजित कर जिला स्तर पर टीमों का गठन किया गया है।
इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग जेल बंदियों को एचआईवी, टीबी, एसटीआई और हेपेटाइटिस के लिए निःशुल्क परामर्श, उपचार और दवाएं प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि बंदियों की रिहाई के बाद अन्य लोगों में बीमारी के संक्रमण को फैलने का खतरा बना रहता है इसे रोकने के लिए उनका समय पर उपचार अति आवश्यक है।