सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान की टीम ने जून 7, 2022 को ईवॉक (गैर सरकारी संस्था) कमांद, तहसील सदर, जिला मंडी, हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर सगंध फसलों की खेती एवं प्रसंस्करण पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी), मंडी में किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 से ज़्यादा किसानों, वैज्ञानिकों एवं सगंध इंडस्ट्री के लोगों ने भाग लिया। टीम सीएसआईआर-आईएचबीटी ने किसानों के खेतों में निरीक्षण किया एवं सगंध फसलें लगाने के लिए उचित दिशा-निर्देश और जानकारी प्रदान की। विज्ञानियों ने किसानों को अपने क्षेत्र में सगंधित फसलों की खेती के लिए खेत की तैयारी, फसल की आवश्यकताओं, प्रबंधन तकनीकों और प्रसंस्करण प्रक्रियाओं के बारे में बताया।
सीएसआईआर- आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार, ने अपने संदेश में बताया कि हाल के वर्षों में, किसान अपने खेतों में मक्की, धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलों की खेती नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इन फसलों को आवारा और जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है, ऐसे प्रभावित क्षेत्रों के किसानों के लिए सगंध फसलों की खेती एक उपयुक्त विकल्प हैं। सगंध फसलों की खेती से पहाड़ी क्षेत्र के किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं। यह प्रशिक्षण शिविर भी इसी परियोजना के अंतर्गत किसानों को सगंध फसलों की खेती करने की जानकारी प्रदान करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्होने बताया की कमांद क्षेत्र के किसानों के लिए अरोमा मिशन के अंतर्गत सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर द्वारा एक तेल निकासी सयंत्र भी स्थापित किया गया है तथा किसानों को सगंध गेंदे की उत्तम किस्म हिम स्वर्णिमा का बीज भी निशुल्क प्रदान किया गया है।
डॉ राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक व अरोमा मिशन के सह नोडल अधिकारी, सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय बाजार में पसंदीदा, उच्च मांग वाले सगंधित घटकों के साथ सगंध तेल का उत्पादन करने के लिए उपयुक्त हैं। उच्च गुणवत्ता वाले सगंध तेल का उत्पादन करके अपनी आजीविका बढ़ाने के लिए पहाड़ी क्षेत्र के किसानों के लिए सगंध फसलों की खेती बहुत लाभदायक होगी। सगंध गेंदे के तेल की वार्षिक माँग लगभग 25 टन के लगभग है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू कश्मीर के पहाड़ी इलाक़े 800-2500 मीटर की ऊँचाई वाले इलाक़े इस की खेती के लिए काफी उपयुक्त हैं। सगंध गेंदे की फसल से किसान 5-6 माह में लगभग दस से बारह हजार रूपये प्रति बीघा शुध लाभ अर्जित कर सकते हैं। ड़ा अरविंद वर्मा, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने किसानों को सगंध गेंदे की बीजाई का खेत में प्रशिक्षण प्रदान किया ।
प्रशिक्षण शिविर में हरी इंडस्ट्री, बग्गी, सुंदरनगर, मंडी से श्री सुरेन्द्र मोहन एवं विकास मोहन जी ने भी भाग लिया व किसानों को सगंध गेंदे के तेल की विपणन के बारे में विस्तृत जानकारी दी। ईवॉक (गैर सरकारी संस्था) कमांद की अधिकारी श्रीमती संध्या मेनन ने सभी वैज्ञानिकों, किसानों एवं इंडस्ट्री से आए हुये लोगों का धन्यबाद किया। उन्होने किसानों से आग्रह किया वह सगंधित गेंदे की फसल को वैज्ञानिक तरीकों से लगाएं ताकि वो अधिक से अधिक फसल उगा कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें।