देहरादून : चिकित्सा क्षेत्र में ड्रोन क्रांति को एम्स की निदेशक ने दुर्गम क्षेत्रों के लिए संजीवनी करार दिया है। आपातकालीन स्थिति में दवा, चिकित्सा उपकरण और खून मरीजों तक पहुंचाने में ड्रोन सबसे कारगर साबित होंगे। यही नहीं, टेलीमेडिसिन सेवा से जोड़ने पर भविष्य में ड्रोन उपचार और दवा दोनों मरीजों तक पहुंचाएंगे।
उत्तराखंड में ड्रोन से दवा सप्लाई एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. मीनू सिंह का ड्रीम प्रोजेक्ट है। फिलहाल एम्स की ओर तीन किलो की भार वहन क्षमता वाले ड्रोन का ट्रायल किया गया। टेक ईगल इनोवेशन कंपनी के अधिकारी गौरव आसुधानी ने बताया कंपनी के पास आठ किलो की क्षमता वाला ड्रोन भी उपलब्ध है। 25 किलो की क्षमता वाले प्रोटोटाइप पर भी काम चल रहा है। यह ड्रोन 2024 में लॉन्च होगा।
बीवीएलओएस तकनीक पर काम करता है ड्रोन
चिकित्सा क्षेत्र में प्रयोग होने वाला ड्रोन बियांड विजुअल लाइन ऑफ साइट (बीवीएलओएस) तकनीक पर काम करता है। ड्रोन का संचालन करने वाला व्यक्ति उसको भौतिक रूप से देख नहीं सकता है। ड्रोन में प्लाइट रूट मैप फीड किया जाता है। अक्षांश और देशांतर निर्धारित किए जाते हैं। इससे ड्रोन अपने ऊपर लगे जीपीएस सिस्टम के जरिये उड़ान भरता है। सामान निकालने के बाद ड्रोन का बटन दबाकर दोबारा फ्लाइट मोड पर डाला जाता है और वापसी के लिए उड़ान भरता है।
अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा
एम्स से टिहरी गढ़वाल के जिला अस्पताल दवा पहुंचाने वाले ड्रोन का वजन 16.5 किलो है। इसकी भार ले जाने की क्षमता तीन किलो है। अधिकतम गति 120 किमी प्रति घंटा है। तेज रफ्तार का कारण ड्रोन का एयरो डायनामिक डिजाइन है। यह 45 हजार मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है। इसकी आवाज से पक्षी दूर रहते हैं। पक्षियों से टकराव को रोकने के लिए सेंसर भी लग हैं।
चारधाम यात्रियों तक आपात स्थिति में पहुंचेगी मदद
एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. मीनू सिंह ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों को हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक और अन्य समस्या होने पर ड्रोन से समय पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण पहुंचाए जा सकते हैं। टेलीमेडिसिन और ड्रोन की सुविधा के एक साथ प्रयोग से किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में मरीजों को परामर्श और दवा उपलब्ध हो पाएगी।