नई दिल्ली : दिल्ली में फ्री बिजली स्कीम को लेकर सरकार पर करोड़ों का बिल फट रहा है। दिल्ली सरकार की तरफ से साल 2022-23 में हर महीने 400 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले परिवारों को सब्सिडी पर लगभग 3,250 करोड़ रुपये खर्च करने की संभावना है। राज्य सरकार को बिजली विभाग के प्रस्ताव में बताया गया है कि आने वाले बजट के तहत इस राशि का उपयोग कैसे किया जाएगा। बिजली विभाग की तरफ से कहा गया है कि दो कैटेगरी में 43 लाख से अधिक उपभोक्ताओं की बिजली की खपत को सब्सिडी दें। बिजली विभाग के अनुसार इनमें से एक कैटेगरी उन परिवरों की है जो एक महीने में 200 यूनिट तक खपत करते हैं। दूसरी कैटेगरी उन परिवारों की है जो 201-400 यूनिट यूज करते हैं।
200 यूनिट से कम यूज करने वाले 27.7 लाख उपभोक्ता
दिल्ली सरकार का बजट सत्र 23 मार्च से शुरू हो रहा है। वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया के 25 मार्च को लगातार सातवां बजट पेश करने की उम्मीद है। अधिकारियों के अनुसार, आप सरकार ने 2021-22 में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को बजट अनुमानित सब्सिडी के रूप में 3,090 रुपये प्रदान किए थे। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में 54.5 लाख से अधिक घरेलू कनेक्शन उपभोक्ताओं में से लगभग 27.7 लाख उपभोक्ता हर महीने 200 यूनिट बिजली का उपयोग करते हैं। ऐसे में इनका बिजली का बिल जीरो होता है। वहीं, सरकार 201-400 यूनिट की खपत करने वाले लगभग 15.5 लाख उपभोक्ताओं के बिजली शुल्क का 50% सब्सिडी देती है। हालांकि, उनके लिए सब्सिडी की राशि 800 रुपये प्रति माह तय की गई है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, बिजली सब्सिडी का लाभ उठाने वाले घरेलू उपभोक्ता लगभग 86% है।
पहले 1 रुपये प्रति यूनिट था चार्ज
अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों स्लैब में उपभोक्ताओं की संख्या मौसम के अनुसार अलग-अलग होती है। गर्मियों में 0-200 यूनिट की खपत करने वाले परिवारों में पंखे और कूलर के रेगुलर यूज और सर्दियों के दौरान बढ़ जाती है। सस्ती बिजली और मुफ्त पानी आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था। पार्टी ने 2015 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 जीतने के बाद सत्ता संभाली थी। इससे पहले सरकार सबसे कम खपत वाले ब्रैकेट में आने वालों के लिए बिजली की दरों को आधा कर देती थी। सरकार ने गरीब परिवारों से शुल्क लेना शुरू कर दिया था। इसमें केवल एक पंखे और रोशनी जैसी बुनियादी बिजली की जरूरत और 200 यूनिट से कम की खपत के लिए सिर्फ 1 रुपये प्रति यूनिट शुल्क लिया जाता था।