सतीश मुखिया
मथुरा: उत्तर प्रदेश के धार्मिक शहर मथुरा के राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या : 19 और मसानी बायपास लिंक रोड पर अवैध रूप से शराब बिक्री का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। यह गंभीर मामला तब और चिंताजनक बन जाता है जब यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि क्षेत्र में स्थापित सरकारी देसी शराब ठेकों से प्रातः10:00 बजे से पहले और रात्रि 10:00 बजे के बाद भी धुआंधार शराब की बिक्री चोरी-छिपे जारी है जो कि सीधे तौर पर उत्तर प्रदेश आबकारी नियमावली का खुला उल्लंघन है।
यह लोग धड़ल्ले से ₹90 का क्वार्टर डेढ़ सौ रुपए में बेच रहे हैं। आबकारी विभाग की लापरवाही और कार्रवाई न करने के कारण यह लोग चोरी छुपे शराब बेचने से बाज नहीं आ रहे हैं। इन लोगो का देसी शराब बेचने का कारोबार अवैध रूप से प्रातः 10:00 बजे से पहले एवं रात्रि 10:00 के बाद जोर शोरों से चोरी छुपे चलता है इन लोगों को ना तो आबकारी विभाग का और न ही पुलिस का किसी प्रकार का कोई भय नहीं है। जब तक विभाग द्वारा भारी रकम पर दंड नहीं लगाया जाएगा तब तक यह लोग शराब बेचने से बाज नहीं आएंगे।
स्थानीय सूत्रों एवं प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार इन अवैध गतिविधियों की जानकारी कई बार संबंधित अधिकारी व उच्च अधिकारियों को दी गई, परंतु उनके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। इससे न केवल अवैध माफियाओं के हौसले बुलंद हो रहे हैं, बल्कि यह भी संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं विभागीय मिलीभगत तो नहीं?
आबकारी नियमों का खुला उल्लंघन
उत्तर प्रदेश आबकारी नियमों के अनुसार शराब की बिक्री केवल निर्धारित समयावधि प्रातः 10:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक के भीतर ही की जा सकती है। सुबह 6:00 बजे से ही शराब बिक्री शुरू हो जाती है और देर रात तक यह सिलसिला जारी रहता है। यह स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। इस देसी शराब विक्रेता से स्थानीय नागरिक भी काफी डरे रहते है बातचीत करने पर पता चला की पूरी रात शराब बिकती है।
जनता में असंतोष प्रशासन से कार्रवाई की मांग
अवैध तरीके से शराब बेचने के कारण क्षेत्रीय जनता में आक्रोश व्याप्त है। उनका कहना है कि शराब की अवैध बिक्री से न केवल युवाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है बल्कि क्षेत्र में अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं। स्थानीय सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने मांग की है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों, विशेषकर निरीक्षकों की भूमिका है, क्योंकि इन दोषि लोगों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाती है।
प्रशासन की निष्क्रियता या मिलीभगत?
इस पूरी स्थिति में विभाग की चुप्पी और निरीक्षकों द्वारा कार्रवाई न करना कई सवाल खड़े करता है। यदि आबकारी विभाग की ओर से शीघ्र प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई तो यह माफिया ताकतवर होकर आगे और बड़े पैमाने पर कानून व्यवस्था को चुनौती दे सकते हैं।