प्रकाश मेहरा
दिल्ली डेस्क
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण और सड़कों पर जमा गंदगी से निपटने के लिए हाईटेक सुपर सकर मशीनों सहित उन्नत इलेक्ट्रिक और CNG आधारित सफाई मशीनों को साल भर तैनात करने की योजना शुरू की है। इस पहल का उद्देश्य दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार करना और सड़कों को स्वच्छ रखना है।
सड़कों की नियमित सफाई सुनिश्चित
16 जून 2025 को दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिल्ली सचिवालय परिसर में इलेक्ट्रिक मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन, CNG मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीन, वॉटर स्प्रिंक्लर मशीन (एंटी-स्मॉग गन के साथ), लिटर पिकर मशीन, और सुपर सकर मशीन का प्रदर्शन देखा। धूल, मलबा और सड़कों पर जमा गंदगी से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करना, जो दिल्ली में सांस की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि धूल और गंदगी से होने वाला प्रदूषण दिल्लीवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक हाईटेक मशीन तैनात की जाएगी, जो साल भर सड़कों की नियमित सफाई सुनिश्चित करेगी।
सुपर सकर मशीन और उपकरणों की विशेषताएं
सुपर सकर मशीन यह मशीन सड़कों से गाद, कंक्रीट का मलबा, और अन्य भारी कचरे को हटाने में सक्षम है। यह पारंपरिक सफाई विधियों की तुलना में अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल है, क्योंकि यह धूल को हवा में फैलने से रोकती है। सुपर सकर मशीनें सीवर और नालियों की सफाई के लिए भी उपयोगी हैं, जो मानसून के दौरान जलभराव को रोकने में मदद करती हैं।
इलेक्ट्रिक और CNG मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें: ये सड़कों से धूल और छोटे कचरे को वैक्यूम की तरह साफ करती हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है। वॉटर स्प्रिंक्लर मशीन (एंटी-स्मॉग गन के साथ) ये मशीनें पानी का छिड़काव कर धूल को दबाती हैं और स्मॉग को कम करने में मदद करती हैं। लिटर पिकर मशीन सड़कों पर बिखरे कचरे को तेजी से एकत्र करने के लिए डिज़ाइन की गई है। वॉटर जेटिंग मशीन उच्च दबाव वाले पानी से सड़कों और नालियों की गहरी सफाई करती है।
दिल्ली में प्रदूषण और गंदगी की समस्या
दिल्ली की हवा दुनिया की सबसे प्रदूषित हवाओं में से एक है। नवंबर 2024 में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 494 तक पहुंच गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। सड़कों पर जमा धूल और निर्माण मलबा PM2.5 और PM10 जैसे हानिकारक कणों को बढ़ाते हैं, जो फेफड़ों की बीमारियों का कारण बनते हैं।
दिल्ली प्रतिदिन 11,000 टन ठोस कचरा पैदा करती है, जिसमें से 3,000 टन का प्रबंधन नहीं हो पाता। गाज़ीपुर, भलस्वा, और ओखला जैसे लैंडफिल साइट्स से मीथेन गैस का रिसाव और आग लगने की घटनाएं वायु प्रदूषण को और बढ़ाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में हर साल 20 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं, और दिल्ली में 22 लाख बच्चों के फेफड़े स्थायी रूप से प्रभावित हुए हैं।
इस पहल का प्रभाव
सड़कों से धूल और मलबे की नियमित सफाई से PM2.5 और PM10 के स्तर में कमी की उम्मीद है। IIT दिल्ली की एक स्टडी के अनुसार, बेहतर कचरा प्रबंधन और प्रदूषकों में कमी से प्रदूषण में 26% की कमी आ सकती है। हाईटेक मशीनें पारंपरिक झाड़ू और मैनुअल सफाई की तुलना में अधिक प्रभावी हैं, जिससे सड़कें स्वच्छ और धूल-मुक्त रहेंगी।
सुपर सकर और रिसाइक्लर मशीनें नालियों और सीवरों की सफाई कर जलभराव को कम करेंगी, जैसा कि अप्रैल 2025 में शुरू की गई रिसाइक्लर मशीन पहल में देखा गया। हालांकि मशीनें सफाई को स्वचालित करेंगी, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मौजूदा सफाई कर्मचारियों के रोजगार पर असर न पड़े।
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं
दिल्ली में कचरा पृथक्करण (सेग्रेगेशन) का स्तर बहुत कम है, जिससे लैंडफिल साइट्स पर दबाव बढ़ता है। हाईटेक मशीनों की लागत और रखरखाव एक बड़ी चुनौती हो सकता है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में मशीनों का संचालन मुश्किल हो सकता है, हालांकि सुपर सकर और रिसाइक्लर मशीनें कॉम्पैक्ट डिज़ाइन की हैं।
दिल्ली सरकार ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में इन मशीनों को तैनात करने की योजना बनाई है। कचरा पृथक्करण और रिसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। सीवर लाइनों की सफाई के बाद CCTV निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे पूरी तरह साफ हैं।
मानसून के दौरान जलभराव की समस्या
दिल्ली सरकार की हाईटेक सुपर सकर मशीनों और अन्य उन्नत सफाई उपकरणों की तैनाती प्रदूषण और गंदगी से जूझ रही राजधानी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल सड़कों को स्वच्छ रखेगी, बल्कि वायु गुणवत्ता में सुधार और मानसून के दौरान जलभराव की समस्या को कम करने में भी मदद करेगी। हालांकि, दीर्घकालिक सफलता के लिए कचरा पृथक्करण, रिसाइक्लिंग, और नागरिक जागरूकता पर ध्यान देना जरूरी होगा।