शिमला. हिमाचल प्रदेश में रिवाज नहीं बदला है. विधानसभा चुनाव की जारी मतगणना में बीजेपी के हाथ से सत्ता फिसल गई. हिमाचल के CM जयराम ठाकुर ने प्रदेश में पार्टी की हार स्वीकार कर ली. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध तीन बजे के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस 38 सीटों पर लीड कर रही है. पार्टी 11 सीट जीत चुकी है, 28 पर बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी 9 सीटों पर अपनी झोली में डाल चुकी है, 17 पर बढ़त बनाए हुए है. दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई है. 1 पर निर्दलीय उम्मीदवार लीड कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी का जादू हिमाचल में देखने को नहीं मिला. पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई है. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को जीत की खुशबू आने लगी है. यही वजह है कि पार्टी ने केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजने का फैसला किया है. कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर हिमाचल जाएंगे. प्रभारी राजीव शुक्ला भी हिमाचल जाएंगे.
बीजेपी के लिए आज का दिन कई मायनों में अहम है. पार्टी गुजरात में ऐतिहासिक जीत हासिल करने जा रही है. गुजरात में बीजेपी की आंधी देखने को मिल रही है. बीजेपी 155 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. हिमाचल की बात करें तो बीजेपी ने यहां भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा. पार्टी ने ‘पांच साल में सरकार बदलने’ के ट्रेंड को बदलने के लिए ताकत झोंकी लेकिन अभी तक के रुझानों के मुताबिक, बीजेपी के हाथ से सत्ता निकलती नजर आ रही है.
हिमाचल में बीजेपी को भारी पड़ी बगियों की नारजगी
हिमाचल में बीजेपी ने पार्टी ने एक मंत्री सहित 11 विधायकों का टिकट काटे थे. दो मंत्रियों की सीटों में बदलाव किया था. हिमाचल में बीजेपी को बागियों के चलते भारी नुकसान हुआ है. जिन सीटों पर बीजेपी पीछे चल रही है, उनमें बीजेपी के बागी उम्मीदवार ही पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की हार की वजह बन रहे हैं. सबसे ज्यादा वोट उन्होंने पार्टी के ही काटे.
किन्नौर सीट
किन्नौर सीट पर 2017 में बीजेपी ने तेजवंत सिंह नेगी को चुनाव मैदान में उतारा था. हालांकि वह कांग्रेस के जगत सिंह नेगी से सिर्फ 120 वोट से चुनाव हार गए थे. इस बार बीजेपी ने सूरत नेगी को यहां से पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी सौंपते हुए टिकट दिया. तेजवंत सिंह ने पार्टी से बगावत करके पर्चा भर दिया. पार्टी उन्हें नहीं मना पाई. बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित भी कर दिय. तेजवंत को 8574 वोट मिले हैं. वह तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के जगत सिंह नेगी लीड बनाए हुए हैं. बीजेपी प्रत्याशी छह हजार से ज्यादा वोट से पीछे चल रहे हैं.
इन्दौरा सीट
कांगड़ा की इन्दौरा की सीट पर मौजूदा बीजेपी विधायक रीता धीमान पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए फिर से टिकट थमाया था. पार्टी से टिकट न मिलने से पूर्व विधायक मनोहर धीमान ने बगावत कर दी. मनोहर को 4393 वोट मिले हैं. बीजेपी की रीता धीमान कांग्रेस उम्मीदवार मलेंदर राजन से करीब दो हजार वोट से पीछे चल रही हैं.
नालागढ़ सीट
सोलन जिले में आने वाली नालागढ़ सीट से बीजेपी के बागी केएल ठाकुर 13264 वोट से कांग्रेस उम्मीदवार से आगे चल रहे हैं. बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर है. ठाकुर पिछली बार कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा से चुनाव हार गए थे. ठाकुर 2012 में विधायक रह चुके हैं.
इसके अलावा, फतेहपुर, चंबा, धर्मशाला, बड़सर, मंडी, देहरा, कुल्लू और मनाली में भी बीजेपी के बागियों ने ही पार्टी के उम्मीदवारों की हार की वजह बने.
2. कांग्रेस का ओल्ड पेंशन स्कीम का वादा बना ट्रंप कार्ड
ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर राज्य में आंदोलन हुए. बीजेपी की ओर से OPS को लेकर कोई ठोस वादा नहीं किया गया. दूसरी ओर कांग्रेस ने पहले तो इसे बड़ा मुद्दा बनाया. साथ ही वादा किया कि अगर सरकार आई तो पहली कैबिनेट बैठक में ही OPS लागू करने का फैसला लिया जाएगा. कांग्रेस के लिए यह मुद्दा ट्रंप कार्ड साबित हुआ. बीजेपी की हार की एक अहम वजह बना.
3. सरकार के कामकाज के प्रति नाराजगी
हिमाचल में जयराम ठाकुर सरकार के के खिलाफ जनता में नाराजगी का असर चुनाव में देखने को मिला. सत्ता-विरोधी भावनाओं से पार्टी जूझती रही. नतीजा पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. सरकार के तीन मंत्रियों को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा.