रुडकी। आईआईटी रुड़की और जल संसाधन विभाग व भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) संयुक्त रूप से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) और लैंडस्लाइड लेक आउटबर्स्ट फ्लड (एलएलओएफ) हिमालयी क्षेत्रों में आपदाएं विषय पर राष्ट्रीय हाइब्रिड संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी हिमनद और भूस्खलन झील के फटने के कारण बाढ़ से संबंधित खतरों के साथ इसके मानचित्रण और मॉडलिंग के लिए मानक कोड के विकास से संबंधित वर्तमान मुद्दों और इससे जुड़े वैज्ञानिक समुदाय के विभिन्न समूहों के बीच विचारों और ज्ञान के आदान-प्रदान के अवसर के रूप में कार्य करेगी।
बीआईएस राष्ट्रीय मानकीकरण के क्षेत्र में शीर्ष संगठन है। जो मानकीकरण के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करते हुए 16 डिवीजन परिषदों के माध्यम से किया जाता है। जल संसाधन विभाग बीआईएस के ऐसे 17 विभागों में से एक है जो इन नदी घाटी परियोजनाओं और भूजल से संबंधित क्षेत्र में मानकीकरण और मानकों के निर्माण से संबंधित हैं। ग्लेशियोलॉजी और क्रायोस्फेरिक साइंस के क्षेत्र में प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान दिए गए।
उप महानिदेशक (मानकीकरण-द्वितीय) बीआईएस संजय पंत ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र हिमनदों के पतले होने के कारण ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (जीएलओएफ) की चपेट में आते हैं। जिसके परिणामस्वरूप झीलें बहुत तेज गति से बढ़ रही है। इसके परिणामस्वरूप झीलें अस्थिर होने के साथ विनाशकारी बाढ़ का कारण बन रही है। बीआईएस इस क्षेत्र में राष्ट्रीय मानकों को तैयार कर रहा है।