नई दिल्ली l पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहनों की ओर लोगों की रुचि बढ़ा रही है। बीते दो-तीन साल में सड़क पर कई कंपनियों के इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर और फोर व्हीलर देखने को मिले हैं जिससे साफ हो गया है कि, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स भविष्य में ट्रांसपोर्ट का एक जरिया बन सकते हैं। जबकि अभी हाइड्रोजन फ्यूलसे चलने वाले वाहनों की बहुताया नहीं है।
हाल ही में टोयोटा ने अपनी पहली हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कार लॉन्च की थी। जिसके जरिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पहली बार संसद भवन पहुंचे है। जिसके बाद पेट्रोल, डीजल, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली कारों में कौन सी बेहतर है इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। यहां हम आपको इन चारों में बेहतर विकल्प जानने में मदद करेंगे।
कितना शक्तिशाली है हाइड्रोजन फ्यूल – फ्यूल की पावर को गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा धनत्व के जरिए मापा जाता है। उदाहरण के लिए डीजल का गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा घनत्व 45MJ/kg है, जबकि प्राकृतिक गैस के लिए गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा घनत्व 55MJ/kg है। हाइड्रोजन ईंधन में डीजल के ऊर्जा घनत्व का तीन गुना (लगभग 120MJ/kg) होता है। ऐसे में हाइड्रोजन फ्यूल पावर को बदले में बेहतर दक्षता में परिणाम देता है क्योंकि हाइड्रोजन प्रति पाउंड ईंधन में अधिक ऊर्जा पैदा करता है।
पेट्रोल-डीजल के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता – देश में पेट्रोल-डीजल का उत्पादन नहीं होता इसलिए देश में पेट्रोल और डीजल का आयात किया जाता है। इसके लिए देश ओपेक देशों पर निर्भर है। जबकि हाइड्रोजन पूरी दुनिया में पर्याप्त मात्रा में है जो कि, भविष्य में पेट्रोल-डीजल का विकल्प बन सकता है।
जीरो प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन – जहां पेट्रोल-डीजल से कार्बन उत्सर्जन बहुत ज्यादा होता है। वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को चार्ज करने के लिए बिजली का उत्पादन करने में भी कार्बन उत्सर्जन होता है। जबकि हाइड्रोजन फ्यूल से वाहन चलाने और इसका उत्पादन करने में जीरो प्रतिशत कार्बन का उत्सर्जन होता है।