नई दिल्ली। 8वां वेतन आयोग के लागू होते ही केंद्र और राज्य सरकारों पर बड़ा वित्तीय बोझ आने की आशंका जताई जा रही है। आयोग का गठन हो चुका है और इसके टर्म ऑफ रेफरेंस (TOR) को मंजूरी भी मिल गई है। अब कर्मचारी और पेंशनर्स इसके लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। प्रक्रिया के अनुसार रिपोर्ट तैयार होगी, फिर मंत्रियों का समूह उसकी समीक्षा करेगा और उसके बाद यह सिफारिशें केंद्र सरकार के पास अंतिम निर्णय के लिए भेजी जाएंगी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पूरा प्रोसेस 2 से 3 साल तक चल सकता है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य और इकोनॉमिस्ट नीलकंठ मिश्रा ने चेतावनी दी है कि 8वें वेतन आयोग (8th pay commission) को लागू करते ही देश के पब्लिक फाइनेंस पर भारी दबाव बढ़ेगा। उनका कहना है कि आने वाले वर्षों के बजट में इस बोझ का बहुत सतर्कता से आकलन करना होगा।
कुल बोझ 9 लाख करोड़ रुपए तक
नीलकंठ मिश्रा (Neelkanth Mishra) के अनुमान के अनुसार, आयोग की सिफारिशें लागू होने पर वेतन और पेंशन का कुल भुगतान 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकता है। अगर इसमें पांच तिमाहियों के बकाया को भी जोड़ दिया जाए तो कुल राशि करीब 9 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है।
CII इंडियाएज 2025 समिट में उन्होंने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों के साथ राजकोषीय दबाव काफी बढ़ जाएगा। ऐसे में सरकार को डेट-टू-जीडीपी नियमों को ध्यान में रखते हुए बेहद सावधानी के साथ इसे लागू करना होगा।
सरकार के ट्रेजरी फंड पर भी असर
यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब भारत वित्त वर्ष 2027 से डेट-जीडीपी ट्रेजरी फ्रेमवर्क में बदलाव की तैयारी कर रहा है। मिश्रा का कहना है कि अभी देश की अर्थव्यवस्था में कम महंगाई दर के कारण अतिरिक्त क्षमता मौजूद है, लेकिन 8वें वेतन आयोग का भारी खर्च सरकार की ट्रेजरी टाइटनिंग की गुंजाइश को सीमित कर सकता है।
8वें वेतन आयोग पर नया अपडेट
TOR जारी होने के बाद यूनियनों ने शिकायत की थी कि उसमें पेंशन संशोधन का साफ जिक्र नहीं है। इससे यह चिंता बढ़ गई थी कि कहीं पेंशन को आयोग के दायरे से बाहर तो नहीं कर दिया गया। चूंकि 69 लाख से अधिक पेंशनर्स पेंशन संशोधन पर निर्भर हैं, इसलिए यह बड़ा मुद्दा बन गया था। अब सरकार ने राज्यसभा में स्थिति स्पष्ट कर दी है। फाइनेंस राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 8वां वेतन आयोग सैलरी, भत्ते और पेंशन तीनों पर सिफारिशें करेगा। यानी पेंशन संशोधन आयोग के दायरे में ही रहेगा।
DA को बेसिक में मर्ज करने का कोई प्रस्ताव नहीं
वित्त मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि महंगाई भत्ता (DA) या महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन में मिलाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। इससे नवंबर से जारी भ्रम अब दूर होने की उम्मीद है।







