नई दिल्ली l अपने मोबाइल आप कौन सा वेब ब्राउजर करते हैं? आपमें से ज्यादातर कहेंगे Google Chrome. बात भी सही है. गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला वेब ब्राउजर है. लेकिन ऐसा नहीं की ये बेस्ट है. इस वेब ब्राउजर की कमियां/खामियां हैं. भले ही आप इस ब्राउजर को यूज करना जारी रखें या छोड़ दें, लेकिन हमारा फर्ज है आपको हम गूगल क्रोम ब्राउजर्स की खामियों के बारे में बताएं.
बैटरी और डेटा का भूखा है गूगल क्रोम ब्राउजर….
गूगल क्रोम ब्राउजर आपके सिस्टम का रैम और बैटरी भारी मात्रा में खपत करता है. कई बार आप नोटिस करेंगे कि आपके कंप्यूटर या मोबाइल की सबसे ज्यादा बैटरी गूगल क्रोम की वजह से खपत हुई है. Windows ऑपरेटिंग सिस्टम में आप टास्क मैनेजर ओपन करके देख सकते हैं. आपको अंदाजा हो जाएगा कि गूगल क्रोम कितना रैम कंज्यूम कर रहा होता है. ऐसा स्मार्टफोन और कंप्यूटर दोनें में ही होता है.
आपकी प्राइवेसी की कद्र नहीं…
गूगल क्रोम वेब ब्राउजर को आपकी प्राइवेसी की कद्र नहीं है. कहने को तो गूगल क्रोम में कई तरह के प्राइवेसी फोकस्ड फीचर्स हैं और कंपनी बड़े दावे भी करती है. लेकिन ये पर्याप्त नहीं है. चूंकि गूगल बिजनेस का बड़ा रेवेन्यू विज्ञापन से आता है. इसलिए आपका डेटा कलेक्ट करना गूगल के लिए सबसे महत्पूर्ण है. गूगल क्रोम आपका डेटा कलेक्ट करने में गूगल की मदद करता है.
गूगल क्रोम यूज करते हुए आप किसी वेबसाइट पर कुछ कर रहे हैं. ऐसे में आपका डेटा उस वेबसाइट पर तो जा रही रहा है, साथ में गूगल भी आपका डेटा कलेक्ट कर रहा है. अब सोचिए इसकी क्या जरूरत है?
ये आप सब को पता होगा कि गूगल आपको कई तरह से ट्रैक करता है. इनमें से एक गूगल क्रोम भी है. अगर आप गूगल सर्च नहीं भी यूज कर रहे हैं या गूगल की कोई दूसरी सर्विस यूज नहीं कर रहे हैं तो भी गूगल क्रोम की वजह से आपके डिवाइस की आईपी गूगल को पता है. यहां तक की अगर VPN यूज कर रहे हैं तो भी.
इनकॉग्निटो मोड की कड़वी सच्चाई…
कई लोग गूगल क्रोम का इनकॉग्निटो (Incognito Mode) यूज करते हैं. इस उम्मीद पर की वहां किए गए सर्च या ऐक्टिविटी ट्रैक नहीं होगी. लेकिन ऐसा नहीं है. इनकॉग्निटो मोड पर किया गया हर काम गूगल के पास स्टोर है. इनकॉग्निटो मोड का सिर्फ एक ही बड़ा फायदा है कि ब्राउजिंग हिस्ट्री सेव नहीं होती है. लेकिन गूगल के पास ब्राउजिंग हिस्ट्री सेव हो रही है. इसलिए ये लोगों को सिक्योरिटी के गलत सेंस दे देता है. अगली बार से इनकॉग्निटो मोड यूज करते समय ये जरूर याद रखेंगे आप.
मार्केट से कंपटीशन खत्म हो रहा है…
इंटरनेट पर एक तरह से कहा जा सकता है कि गूगल का कब्जा है. सर्च इंजन और ब्राउजर से लेकर मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के मार्केट में गूगल बड़ा शेयर है. कह सकते हैं कि दूसरी कंपनियां रेस में ही नहीं हैं. ऐसा नहीं है कि गूगल क्रोम बेस्ट ब्राउजर है. देखेंगे तो कई वेब ब्राउजर मिलेंगे जिनमें अच्छे फीचर्स मिलते हैं. प्राइवेसी फोकस्ड वेब ब्राउजर में हैं.
दूसरे ब्राउजर्स को जगह मिले, इसके लिए आपको कभी कभी न कभी उन ब्राउजर्स को ट्राई करना होगा. ऐसे में उन्हें मौका मिलेगा और मार्केट में कंपटीशन बढ़ेगा. एक समय पर शायद गूगल भी स्ट्रिक्ट प्राइवेसी अपने क्रोम ब्राउजर में देने पर मजबूर हो सके. गूगल क्रोम ब्राउजर पर की गई आपकी तमाम ऐक्टिविटी को कंपनी आपके गूगल अकाउंट से लिंक कर देता है. ऐसे में आपकी लोकेशन सहित ऐक्टिविटी तक गूगल ट्रैक कर रहा है.
आपका इसी डेटा को यूज करके कंपनियां आपको विज्ञापन दिखाती हैं. कई बार ये विज्ञापन आपको परेशान करते हैं. कई बार आप इन ऐड्स को देख कर जो चीज ना खरीदनी होती है वो भी खरीद लेते हैं. पैनिक बाइंग के चक्कर में पैसे भी काफी खर्च हो जाते हैं.
गूगल क्रोम के एक्स्टेंशन्स भी बन सकते हैं सरदर्द…
गूगल क्रोम ब्राउजर के एक्स्टेंशन्स आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं. जिस तरह से एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में गूगल प्ले स्टोर से आपको फोन में मैलवेयर अटैक होता है. यहां भी संभव है. आए दिन हम रिपोर्ट करते हैं कि गूगल क्रोम के एक्स्टेंशन्स में खामी मिली जिससे डेटा चोरी हो गया. गूगल क्रोम यूजर्स काफी एक्स्टेंशन्स यूज करते हैं. ये एक्स्टेंशन्स आपका फायदा तो करते ही हैं साथ ही भारी नुकसान भी करा देते हैं.
इंटरनेट पर गूगल का कंट्रोल…
सोचिए आप एक वेबसाइट बनाते हैं और आपको गूगल की गाइडलाइन फॉलो करनी पड़ती है. एक तो इसलिए, क्योंकि आपकी वेबसाइट गूगल सर्च में दिखे और दूसरा ये कि गूगल क्रोम वेब ब्राउजर पर आपकी वेबसाइट अच्छे से दिखे.
अगर गूगल ये तय करता है कि आपकी वेबसाइट अगल गाइडलाइन को फॉलो नहीं करती है तो उसे क्रोम से ब्लॉक कर दिया जाए. ऐसे में कोई गूगल क्रोम ब्राउजर पर आपकी वेबसाइट देख भी नहीं पाएगा. ऐसे में क्या करेंगे आप?
यहीं बात आती है कंपटीशन की. अगर लोग गूगल क्रोम के अलावा दूसरे ब्राउजर भी यूज करना शुरू कर दें तो गूगल की ये मोनॉपली नहीं चलेगी और दूसरे प्लेयर्स को भी मौका मिलेगा.
कुछ ब्राउजर्स ऐसे भी हैं जो आपका डेटा स्टोर नहीं करते, आपको ट्रैक नहीं करते हैं और ना ही आपकी ऐक्टिविटी पर नजर रखते हैं. ये ब्राउजर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स और प्राइवेसी एडवोकेट्स द्वारा टेस्टेड हैं और इनपे भरोसा भी किया जा सकता है.
हालांकि इन ब्राउजर्स की अपनी लिमिटेशन्स है. चूंकि ये आपको ट्रैक नहीं करते हैं, इसलिए आपके बिहेवियर के हिसाब से आपको ऐड नहीं मिलेगा. सर्च प्रेडिक्शन नहीं मिलेगा. लेकिन ये सब कमियों को आप अपनी प्राइवेसी और इंटरनेट को एक फ्री स्पेस बनाए रखने के लिए एक बार को दरकीनार कर सकते हैं. बाकी आपकी मर्जी है.