लद्दाख: भारत कथित तौर पर चीन के साथ लगती सीमा पर लद्दाख क्षेत्र में घातक पोलैंड में बनाए गये वार्मेट ड्रोन का परीक्षण कर रहा है। इस वार्मेट हथियार का इस्तेमाल यूक्रेन, रूस के खिलाफ उसकी छोटी-छोटी छिपी हुई टुकड़ियों को खत्म करने के लिए कर रहा है और ये ड्रोन, रूसी सेना में तहलका मचा चुका है।
यूक्रेन इस मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) का इस्तेमाल रूस के साथ युद्ध में छोटी सैनिकों की टुकड़ियों और हल्के बख्तरबंद बंकरों को निशाना बनाने के लिए कर रहा है। यानि, जब युद्ध के दौरान सैनिक बंकर में छिपे रहते हैं, उन्हें खत्म करने के लिए इस यूएवी ड्रोन हथियार का इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि, कई रूसी टेलीग्राम रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि रूस ने इस सीरिज के कई यूक्रेनियन ड्रोन को मार गिराया और कुछ ड्रोन को रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए भी रख लिया। वहीं, कई रिपोर्ट्स में इस बात पर अजीब संयोग जताया गया है, कि ईरान में बना कामिकेज़ ड्रोन, जिसका तेहरान ने दो महीने पहले ही अनावरण किया है, वो डिजाइन में वार्मेट ड्रोन के समान ही है।
वार्मेट ड्रोन क्यों है दुश्मनों के लिए खतरनाक?
लद्दाख में भारत-चीन सीमा के बीच तनाव फिर से शुरू हो गया है, खासकर सैटेलाइट तस्वीरों में अक्साई चिन के पहाड़ों में सुरंगों के निर्माण की जानकारी मिली है। माना जा रहा है, कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) वहां गोला-बारूद जमा करने के साथ साथ कमांड एवं कंट्रोल सेंटर बना रही है।
ऐसी सुरंगे और संरचनाएं, युद्ध के दौरान सेना को काफी ज्यादा फायदा पहुंचाती हैं, क्योंकि इन सुरंगों में भारी संख्या में हथियार रखे जाते हैं और इन सुरंगों को नष्ट करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है, लिहाजा सेना के लिए ये सुरंगे अत्यधिक रणनीतिक लाभ पहुंचाती हैं।
लेकिन, वार्मेट और ईरानी कामिकेज ड्रोन का डिजाइन ही इसी तरह की लड़ाई के लिए किया गया है और ये ड्रोन, इस तरह की सुरंगों को उड़ाने में माहिर हैं। इस ड्रोन से सर्विलांस के साथ साथ हमला भी किया जा सकता है, लिहाजा भारत चीन से सटती सीमा में यूक्रेन में इस्तेमाल किया जाने वाले ड्रोन का टेस्ट कर रहा है, ताकि युद्ध की स्थिति में चीनी सुरंगों को नष्ट किया जा सके।
ऐसा माना जाता है, कि चीन के पास सर्विलांस और हमलों से लेकर हल्की रसद आपूर्ति के परिवहन तक के उद्देश्यों के लिए विभिन्न यूएवी, एकल और झुंड डिजाइन वाले कई हथियार हैं और भारत इन्हीं हथियारों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहा है, ताकि युद्ध की स्थिति में चीन के सेकंड लाइन डिफेंस को निशाना बनाया जा सके।
वार्मेट हथियार टेस्ट कर रही है इंडियन आर्मी
सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए दावा किया गया है, कि पूर्वी लद्दाख में वार्मेट ड्रोन भारतीय सेना की तरफ से उड़ाए गये हैं। हालांकि, हम वीडियो की पुष्टि करने में असमर्थ हैं, लेकिन रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि इंडियन आर्मी वार्मेट ड्रोन का टेस्ट कर रही है।
दावा किया गया है, कि पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों में वार्मेट ड्रोन को उड़ते हुए और लैंडिंग करते हुए देखा गया है।
रिपब्लिक वर्ल्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया है, कि वार्मेट को “नया शामिल किया गया है” और लद्दाख में “परीक्षण चल रहा है”। हालांकि, खरीदे गए ड्रोनों की संख्या और सौदे को लेकर जानकारियां फिलहाल अज्ञात हैं।
वार्मेट ड्रोन, लाइन-ऑफ़-विज़न (एलओएस) के माध्यम से 30 किलोमीटर के दायरे में ऑपरेट होता है। यह एक इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा संचालित होकर, 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। वही ड्रोन के पंख का फैलाव 1.6 मीटर, बॉडी की लंबाई 1.1 मीटर और अधिकतम टेक-ऑफ वजन 5.7 किलोग्राम है।
समुद्र तल से 150 से 300 मीटर की ऊंचाई पर काम करने वाली यह प्रणाली, उच्च विस्फोटक और थर्मोबैरिक सहित विभिन्न प्रकार के हथियारों को लेकर उड़ान भरने में सक्षम है।
इसकी अधिकतम गति 150 किलोमीटर तक हो सकती है। ये ड्रोन सेमी-ऑटोनॉमस है और लक्ष्य क्षेत्र के आसपास घूमता रहता है। इस ड्रोन में इंटीग्रेटेड कंट्रोल मॉड्यल्स और सर्विलांस प्रणालियां लगी हैं, जो हमले की स्थिति में इस ड्रोन पर बेहतरीन नियंत्रण बनाए रखने की इजाजत देता है।
हालांकि, भारत… इज़राइली एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) हारोप और स्वदेशी रूप से विकसित टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) वर्टिकल टेक-ऑफ लैंडिंग (वीटीओएल) ड्रोन का भी संचालन करता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च महीने के बाद इंडियन आर्मी को 100 ऐसे ड्रोन मिले हैं।
यूक्रेन युद्ध के दौरान, रूसी रक्षा मंत्रालय (आरयूएमओडी) ने दर्जनों हमलों के वीडियो जारी किए हैं, जिसमें लैंसेट-3 को गोला बारूद के साथ हमला करते हुए देखा गया है। माना जा रहा है, कि ये वही ड्रोन है, जिसका भारत टेस्ट कर रहा है।
रूस ने पकड़ा, ईरान ने क्लोन किया!
10 मई को, रूसी डिफेंस पोर्टल रयबर ने बताया, कि रूसी “तकनीकी हथियार कंपनी को रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए वार्मेट (अन्य ड्रोनों के बीच) जैसे गिराए गए यूएवी से बोर्ड और हिस्से भी प्राप्त हुए हैं।”
टेलीग्राम पर प्रमुख रूसी सैन्य ब्लॉगर चैनलों के अनुसार, रूसी सेना के साथ वार्मेट की आखिरी रिपोर्ट 21 अप्रैल को थी। हैंडल ने कहा कि यूएवी विस्फोट किए बिना रूसी इकाइयों के आसपास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। जिसके पूर्जों को रूसी डिफेंस कंपनियों को रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए सौंपे गये हैं।
वहीं, जेन्स की रिपोर्ट से पता चलता है, कि इस ड्रोन का एनालॉग ईरान में भी है, जिसने 2 जुलाई को एक प्रदर्शनी के दौरान वार्मेट ड्रोन की तरह की डिजाइन वाले एक ड्रोन की प्रदर्शनी लगाई थी।
प्रदर्शनी में आने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की प्रचार सामग्री में “यूएवी को एक छोटे कैमरे के साथ दिखाया गया है, जो वार्मेट की तरह अपनी नाक पर एक विनिमेय वारहेड में लगा हुआ है, हालांकि इसे पोलिश मूल की तुलना में जमीन से नियंत्रित करने के लिए अधिक प्रमुख एंटीना के साथ दिखाया गया है। ईरानी सूत्रों ने हथियार की पहचान ज़ुबिन के रूप में की है।”
लिहाजा, सवाल उठ रहे हैं, कि क्या ईरान ने रूसियों द्वारा कब्जा की गई इकाइयों में से एक से वार्मेट की एक प्रति हासिल की या फिर उसकी डिज़ाइन की नकल की है, फिलहाल इस सवाल का जवाब अज्ञात है। लेकिन, वाशिंगटन पोस्ट (वापो) और कॉन्फ्लिक्ट आर्मामेंट रिसर्च (सीएआर) की रिपोर्टों से पता चलता है, कि दोनों देशों के बीच उभरते रक्षा-तकनीकी और विनिर्माण सहयोग को देखते हुए, इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।