उज्जैन। संस्कृत अब केवल पुजारी, पुरोहितों के लिए पंडिताई करने की विद्या नहीं रह गई है। यह देश के शीर्षस्थ संस्थानों में विद्यार्थियों को नौकरी के बेहतर अवसर उपलब्ध करा रही है। संस्कृत के विद्यार्थी देश की बड़ी शिक्षण संस्थाओं, प्रवेश परीक्षाओं में कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। आर्किटेक्ट, वास्तु, ज्योतिष व कर्मकांड केंद्रों के रूप में यह स्वरोजगार का भी बेहतर विकल्प है। कई कालेजों, विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर बन रहे हैं।
देश के बड़े संस्थानों में नौकरी के बेहतर विकल्प
बीते पांच हजार सालों से गुरु शिष्य परंपरा की संवाहक रही धर्मधानी उज्जैन में आज भी करीब चार हजार विद्यार्थी गुरुकुल पर से वेद, व्याकरण,संस्कृत साहित्य का अध्ययन कर रहे हैं। इतनी बड़ी तादाद में विद्यार्थियों के संस्कृत सीखन के बाद रोजगार की क्या संभावना है। क्या यह विद्यार्थी केवल पंडिताई व कर्मकांड का ही काम करेंगे या भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी इन्हें रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे, इस विषय पर नईदुनिया ने श्री महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डा.पीयूष त्रिपाठी से चर्चा की। उन्होंने बताया कि संस्कृत अब केवल पंडिताई की भाषा नहीं रह गई है। यह विद्यार्थियों को देश के शीर्षस्थ संस्थानों में नौकरी के बेहतर विक्लप उपलब्ध करा रही है।
सेना में संस्कृत के छात्र
शिक्षा के क्षेत्र में ही संस्कृत शिक्षकों के लाखों पर स्वीकृत है। इन पर नियुक्ति के लिए लगातार प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा उच्च शिक्षा में सहायक प्राध्यापक व प्राध्यापकों की कमी है, जहां योग संस्कृत छात्रों के लिए रोजगार की पर्याप्त संभावना है। सेना में संस्कृत के छात्र समान रूप से भाग ले सकते हैं, इनके लिए विशेष रूप से धर्म शिक्षक का पद सुरक्षित रहता है। वर्तमान में संस्कृत साहित्य के अध्ययन से आइएएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थियों के कई उदाहरण हैं।
देश-विदशे में योग शिक्षक की आवश्यकता
वर्तमान समय की आपाधापी भरी जिंदगी के कारण लोगों की शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक परेशानी बढ़ती जा रही है। इससे मुक्ति दिलाने के लिए एक मात्र साधन योग विज्ञान है, जिसे दुनिया ने स्वीकारा है और इससे लाभान्वित भी हुए हैं। योग शिक्षक के रूप में ना केवल भारत, अपितु दुनियाभर में रोजगार की असिम संभावना है। आयुर्वेद के क्षेत्र में भी संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए बेहत विकल्प मौजूद हैं।
महार्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद्य विद्या प्रतिठान चिंतामन
केंद्र सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान द्वारा 40 से अधिक गुरुकुलों का संचालन किया जाता है। यहां विद्यार्थियों को संस्कृत की स्कूली शिक्षा मिलती है।
महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान भोपाल
इससे संबंध शहर में छह से अधिक संस्कृत विद्यालय संचालित हो रहे हैं। श्री महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान भी इनमें से एक है। जल्द ही संस्थान को शोध पीठ की मान्यता मिलने जा रही है।
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय देवास रोड
संस्कृत महाविद्यालय द्वारा संस्कृत से संबंध विभिन्न डिग्री व डिप्लोमा कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। यहां से विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं
इन्होंने संस्कृत से पाई सफलता
यह है उच्च सफलता के उदाहरणशहर के संस्कृत शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थी यहीं उच्चपदों पर सेवारत है। हेमंत शर्मा व श्रेयष कौराने संस्कृत महाविद्यालय में पढ़े और अब यही प्रोफेसर के रूप में विद्यार्थियों को संस्कृत पढ़ा रहे हैं। महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान के विद्यार्थी विवेक त्रिपाठी नेट जीआरएफ के बाद अब बीएचयू से पीएचडी कर रहे हैं। संस्कृत में एमए हर्षवर्धन महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। इन्होंने अपने मकान की रजिस्ट्री भी संस्कृत में कराई है।