इंदौर,30 जून (आरएनएस)। इतने शालीन तरीके से भाजपा, कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी और पार्षद प्रत्याशियों का विरोध तो कोई समझदार ही कर सकता है और वाकई ये वो सारे समझदार वरिष्ठजन हैं जो पहले कभी सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़े रहे और सेवानिवृत्त होने के बाद से पेंशन सुधार संबंधी मांगों को लेकर सरकार की वादाखिलाफी का शिकार हो रहे हैं। पेंशनर संघ ने फैसला किया है कि इन दोनों दलों के किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने की अपेक्षा नोटा बटन दबाना पसंद करेंगे। ऐसा नहीं है कि इनकी नाराजगी भाजपा सरकार या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही से है। कांग्रेस शासन के पंद्रह महीने रही कमलनाथ सरकार से भी है। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी रिटायर हो चुके कर्मचारी नाखुश हैं तो इसलिए कि बघेल सरकार ने पेंशनरों के संबंध में मप्र सरकार द्वारा मांगी गई स्वीकृति पर अपना रुख साफ नहीं किया है। पेंशन भत्ते 17 फीसदी करने संबंधी छत्तीसगढ़ सरकार की मंजूरी इसलिए जरूरी है कि सन 2000 में जब अविभाजित मप्र से छत्तीसगढ़ को अलग राज्य का दर्जा दिया गया था तब सैंकड़ों कर्मचारियों ने सेवा के लिए मप्र को चुना था, अब सेवानिवृत्त हो चुके ऐसे सारे पेंशनर को 17 प्रतिशत डीएआर का लाभ मप्र सरकार ने अब तक छग सरकार की मंजूरी नहीं मिलने से अटका रखा है।
पेंशनर संघ के अध्यक्ष शंभु नाथ मिश्रा और मीडिया प्रभारी शिवाकांत वाजपेयी का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस इन दोनों सरकारों की सांठगांठ के चलते पेंशनरों का अहित हो रहा है। वाजपेयी के मुताबिक मप्र सरकार के 56 विभागों के इंदौर में ही तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद से रिटायर 45 हजार पेंशनर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। इन पेंशनर परिवारों के साथ हम सतत संपर्क में हैं। सभी की यह सहमति बनी है कि इंदौर में भाजपा प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव हों या कांग्रेस के संजय शुक्ला और इन दोनों दलों के प्रत्याशियों को दोनों राज्यों से पेंशनरों के हकों की अनदेखी के चलते मतदान नहीं करेंगे। मीडिया प्रभारी शिवाकांत वाजपेयी का कहना है कि सहमति यही बनी है कि निगम चुनाव में मतदान का इंदौर सहित पदेश में सभी जगह बहिष्कार करेंगे। किसी दबाव-प्रभाव के चलते मतदान के लिए जाना भी पड़ा तो मतदान में नोटा का उपयोग करेंगे या इन दोनों दलों के अलावा किसी अन्य दल या निर्दलीय प्रत्याशी बेहतर होगा तो उसके पक्ष में मतदान करेंगे।
अनिल पुरोहित/अशफाक