इस्लामाबाद : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक नेता और ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को सोशल मीडिया पर समर्थन दे रही है। अमृतपाल सिंह के हथियारों से लैस सैकड़ों समर्थकों ने पिछले हफ्ते अमृतसर के पास अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला बोल दिया था। अगस्त 2022 में दुबई से भारत आने के बाद से ही अमृतपाल भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी अप्रत्यक्ष ‘फंडिंग रूट’ के माध्यम से सिंह का समर्थन कर रही है।
सीएनएन-न्यूज18 ने शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अमृतपाल सिंह के अचानक पंजाब में सक्रिय होने में आईएसआई की क्या भूमिका है? टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अमृतपाल सिंह को बढ़ावा देकर आईएसआई पंजाब में एक ‘कट्टर सांप्रदायिक नेता’ खड़ा करना चाहती है। वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले युवाओं के बीच अलगाववादी भावनाओं को भड़काना चाहती है।
अमृतपाल ने बनाई ‘प्राइवेट आर्मी’
वरिष्ठ अधिकारियों ने अखबार को बताया कि पिछले साल जब वह भारत लौटा, तब ‘पहले दिन’ से एजेंसियां उसे संभावित खतरा मान रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमृतपाल सिंह के समर्थक काफी बढ़ गए हैं। उसने बंदूकधारी समर्थकों की एक ‘प्राइवेट आर्मी’ तैयार की है, जिसकी संख्या 4-5 से बढ़कर 20-25 हो गई है। एक सूत्र ने टीओआई को बताया कि इस समय सिंह आईएसआई एजेंटों की ‘नजर’ में है।
कैसे जुड़े आईएसआई से तार?
रिपोर्ट में आगे एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया है कि सिंह को खालिस्तान टीवी से जुड़े ब्रिटेन के कट्टरपंथी नेता अवतार सिंह खांडा का समर्थन प्राप्त है। खांडा ने कथित तौर पर सिंह की ‘खालिस्तान समर्थक आइकन’ की छवि बनाने के लिए कट्टरपंथी सिख संगठनों के साथ अपने कथित संबंधों का इस्तेमाल किया। इन संगठनों के विदेशों में मौजूद नेता, आईएसआई के संपर्क में हैं।
आईएसआई के निशाने पर भारत के युवा सिख
आईएसआई सोशल मीडिया के माध्यम से 18 से 25 साल के युवा सिखों को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भारत में सिखों पर कथित ‘अत्याचार’ और ‘दमन’ की झूठी तस्वीरें दिखाकर टारगेट कर रही है। खुफिया सूत्रों ने आगे कहा कि ऐसी पोस्ट पर कमेंट्स भारत के पंजाब से नहीं बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से हैं जो वीपीएन के माध्यम से भारत में दिखाई दे रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि सिंह को फंडिंग कौन कर रहा है।