नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पूछा कि वह आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन (Money Laundering Case) मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने क्यों नहीं पेश हो रहे हैं. इसके अलावा न्यायालय ने केजरीवाल की उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से उसका रुख पूछा, जिसमें उन्होंने आबकारी नीति मामले से जुड़े कथित घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में अपने खिलाफ जारी समन को चुनौती दी है. सीएम केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी हाईकोर्ट में पेश हुए. वकील के माध्यम से केजरीवाल ने कोर्ट से कहा कि मैं ईडी के सामने पेश होऊंगा. मैं प्रश्नावली का उत्तर भी दूंगा, लेकिन मुझे सुरक्षा की आवश्यकता है. मैं इसे टाल नहीं रहा हूं. मैं ईडी से दूर नहीं भाग रहा हूं. मैं खुद आऊंगा लेकिन मुझे सुरक्षा चाहिए, कोई जबरदस्ती वाला कदम नहीं. मैं कोई आम अपराधी नहीं हूं. मैं कहां भाग सकता हूं?
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. याचिका में धन शोधन निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने केजरीवाल से पूछा, ‘आप समन मिलने पर पेश क्यों नहीं होते? आपको पेश नहीं होने से कौन रोक रहा है?’ उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि पहला समन पिछले साल अक्टूबर में जारी किया गया था. कोर्ट ने कहा कि किसी भी अन्य चीज से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता केजरीवाल देश के नागरिक हैं. इस मामले में याचिकाकर्ता केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उनका मुवक्किल ईडी के सामने पेश होगा, लेकिन इस मामले में दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की आवश्यकता है, क्योंकि चुनाव नजदीक होने पर उन्हें (केजरीवाल को) पकड़ने की एजेंसी की मंशा स्पष्ट है.
केजरीवाल ने ईडी के समन को बताया है अवैध
सीएम केजरीवाल ने हाल में मिले ईडी के समन के मद्देनजर अदालत का रुख किया है. ईडी द्वारा जारी नौवें समन में उनसे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत पूछताछ के लिए 21 मार्च को पेश होने के लिए कहा गया है. मुख्यमंत्री ने ईडी के समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के समक्ष पेश होने से लगातार इनकार किया है. अदालत ने कहा कि जांच के ‘पहले या दूसरे दिन’ गिरफ्तारी ‘सामान्य प्रक्रिया’ नहीं है क्योंकि एक जांच एजेंसी पहले ऐसा करने के कारणों को दर्ज करती है, यदि मामले में आरोपी की गिरफ्तारी का आधार बनता है.