ऊना। हिमाचल प्रदेश के ऊना में गोबिंद सागर झील में डूबने से जान गंवाने वाले सातों युवकों के परिजन शवों को लेने के लिए मंगलवार सुबह क्षेत्रीय अस्पताल ऊना पहुंचे। शव गृह में अपने लाडलों को देखकर परिजन बिलख पड़े। शवों की शिनाख्त व अन्य प्रक्रिया के दौरान अस्पताल परिसर चीख पुकार से गूंज उठा। पंजाब के मोहाली के बनूड़ से पहुंचे परिजन अस्पताल की दीवार का सहारा लेकर विलाप करते रहे। परिजनों को ढांढस बंधाते हुए साथ आए कुछ लोग उन्हें शव गृह से कुछ दूरी पर ले गए। यहीं पर प्रशासनिक औपचारिकताएं भी पूरी की गईं। बनूड़ वार्ड-11 से पार्षद भजन लाल की अगुवाई में आए लोगों ने प्रशासन के साथ तालमेल रखते हुए प्रक्रिया पूरी की।
पंजाब से सात सरकारी एंबुलेंस शवों को लेने के लिए ऊना पहुंची थीं। पोस्टमार्टम के बाद एक के बाद एक एंबुलेंस ऊना से बनूड़ के लिए रवाना हुईं। मौके पर बंगाणा पुलिस के अलावा पंजाब पुलिस के जवान भी मौजूद रहे। इससे पहले तहसीलदार बंगाणा राहुल शर्मा ने मृतकों के परिजनों को 25-25 हजार रुपये फौरी राहत राशि दी। परिजन फौरी राहत राशि हाथ में नहीं ले पाए।
राहुल शर्मा ने बिलखते परिजनों की जेब में खुद राहत राशि डाली। पार्षद भजन लाल ने कहा कि पंजाब में स्थानीय और हिमाचल में ऊना प्रशासन का उन्हें भरपूर सहयोग मिला है। सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। गांव से साथ आए लोगों ने रमेश की हालत देखते हुए उसे शवगृह से दूर एक पीपल के पेड़ के नीचे बिठा दिया। लेकिन उसकी नजरें लगातार शवगृह की ओर ताकती रही। रमेश ने रुंधे गले से कहा कि साहब! गरीब परिवार से हैं और बड़ी मेहनत करके बच्चों का कंधा अपने बराबर किया था। पिछले साल एक भाई सड़क हादसे में घायल हो गया और वो अभी तक बिस्तर पर है। उसके दोनों बेटे चल बसे। मेरा एक बेटा शवगृह में पड़ा है और एक भाई है। अपनों को शव गृह में देखकर रमेश सुध-बुध खो बैठा। साथ आए परिजनों ने उसे संभाला, लेकिन अपनों को खोने के गम में रमेश किसी से कुछ नहीं कह पाया।
गौरतलब है कि सोमवार को सावन के महीने में मंदिरों में दर्शन करने के लिए पंजाब से आए सात युवकों की गोबिंद सागर झील में डूबने से मौत हो गई थी। ये सभी झील में नहाने के लिए उतरे थे और तैरना नहीं जानते थे। झील की गहराई का अंदाजा न होने के कारण अचानक एक युवक डूबने लगा तो अन्य ने चेन बनाकर बचाने की कोशिश की। लेकिन देखते ही देखते सभी झील में डूब गए। हादसे में दो परिवारों ने अपने दो-दो बेटे खोए हैं जबकि चार आपस में चाचा-भतीजा लगते थे।
हादसे में सुरजीत ने अपना एक बेटा पवन व तीन पौत्र रमन, लव व लखवीर खो दिए। 32 वर्षीय पवन कुमार तीन बेटियों व एक बेटे का पिता था। वह शराब फैक्टरी में मजूदरी करता था। उन पर ही सारे परिवार की जिम्मेदारी थी। लाल चंद के दोनों बेटे रमन और लाभ की डूबने से मौत हुई है। रमन सरकारी कॉलेज खूनीमाजरा में इलेक्ट्रिक्ल डिप्लोमा में दूसरे साल का छात्र था। वहीं लाभ सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 11वीं का छात्र था। इनकी दो बहनें हैं। लाल चंद की पिछले साल हादसे में चार जगह से टांग टूट गई थी। वह अभी तक बिस्तर पर है। वहीं लखवीर बनूड़ के स्कूल में 11वीं का विद्यार्थी था। विशाल (18) तीन भाइयों में बीच वाला था। उसके पिता मजदूरी करते थे। अरुण 8वीं का विद्यार्थी है। शिवा दसवीं कर रहा है। किशन, मोनू, फौजी और रमन भी इनके साथ गए थे।