कोई माने या न माने, लेकिन संसद है तो लोकतंत्र का मंदिर ही। ऐसा मंदिर जहां 140 करोड़ जनता के प्रतिनिधि देश के वर्तमान और भविष्य को गढ़ते हैं। लेकिन यह मानने में संकोच नहीं होता कि लोकतंत्र का यह मंदिर धीरे-धीरे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के मंच में तब्दील होता जा रहा है। सत्र चाहे बजट का हो या शीतकालीन, या फिर मानसून का, संसद में विधायी कामकाज खानापूर्ति का पर्याय बनता जा रहा है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद चर्चा के दौरान पक्ष और विपक्ष के भाषणों को देखकर लगा नहीं कि जनप्रतिनिधि देश के भविष्य को और सुनहरा बनाने के बारे में सामूहिक सोच रखते हों। चार दिन चली चर्चा में एक दूसरे को घेरने की राजनीति के अलावा कुछ खास नजर नहीं आया।
चर्चा के दौरान मंगलवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अडानी ग्रुप को लेकर आई एक रिपोर्ट को लेकर केंद्र सरकार को घेरा। सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर उन्हें आरोपों के घेरे में लिया। प्रधानमंत्री पर अडानी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगाए। इस पर भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया हुई और कहा गया कि इन आरोपों के न कोई सबूत हैं और न कोई आधार है। चर्चा पर जवाब देते हुए बुधवार को प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को भी लपेटा तो इशारों-इशारों में राहुल गांधी पर निशाना भी साधा। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के 2004 से 2014 तक के शासनकाल के घोटालों की चर्चा की और इस दौरान हुईं आतंकी घटनाओं का भी जिक्र किया। संसद में किस नेता का भाषण कैसा था, यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होता कि चर्चा को राष्ट्रपति के अभिभाषण तक ही सीमित रखा जाता। अडानी समूह के बारे में आई रिपोर्ट और शेयर बाजार में हुई उठा-पटक पर अलग से चर्चा कर ली जाती तो क्या बेहतर नहीं होता?
बीते दो दशक के दौरान संसदीय कार्यप्रणाली पर नजर डाली जाए, तो संसद में सार्थक बहस बंद सी हो गई है। न सांसद तैयारी करके आना उचित समझते हैं और न मंत्री अपने दायित्व को बखूबी निभाते हैं। पूरा संसद सत्र वोटों की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है। क्या इसे स्वस्थ लोकतंत्र माना जा सकता है? संसद की सार्थकता तभी साबित हो पाएगी, जब दलगत राजनीति को संसद से बाहर छोडक़र देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कर कुछ सकारात्मक निष्कर्ष निकालने के प्रयास किए जाएं। संसद को राजनीति से निकाल कर गंभीर चर्चा का मंच बनाने की जिम्मेदारी जितनी विपक्ष की है, उतनी ही सत्ता पक्ष की भी है।