नई दिल्ली। भारतीय रेल अब यात्रियों के लिए सुगम यात्रा बनाने के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर रही है, जिससे अब यात्रियों को यात्रा में लगने वाले समय की बचत होगी. राजस्थान में इसी तरह की कवायद को अमलीजामा पहनाया जा रहा है. आगरा-झांसी अप लाइन पर ट्रेनों की औसत स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने अब पुराने स्लीपरों को हटाकर नए डिजायन से तैयार स्लीपर को बिछाने का निर्णय लिया है. इन स्लीपरों को अलग तरह से तैयार किया है. इन्हें पहले से अधिक भारी बनाया है और अलग-अलग लाइन को आगे आसानी से जोड़ा भी जा सकेगा.
धौलपुर-झांसी की अप रेल लाइन पर दौड़ने वाली ट्रेनें अब अधिकतम 160 की रफ्तार पकड़ सकेंगी. अभी इस लाइन पर 130 प्रति किलोमीटर अंतिम रफ्तार है. नई स्लीपर बिछाने के लिए रेलवे का इंजीनियर विभाग तैयार है. ट्रैक पर दो से तीन दफा रेलवे के तकनीकी अधिकारी निरीक्षण कर चुके हैं. माना जा रहा है कि जल्द नए स्लीपर बिछाना शुरू कर दिया जाएगा. इस कार्य के लिए रेलवे की ओर से बजट स्वीकृत हो चुका है.
बता दें कि पुराने स्लीपर होने से ट्रेनें ज्यादा रफ्तार नहीं पकड़ पाती थीं, जिससे कुछ ट्रेनें तो पांच-पांच घंटे भी देरी से निकलती हैं. दिल्ली-मुंबई मुख्य रेलवे लाइन होने की वजह से इस पर ट्रेनों का भार भी अधिक है. अप-डाउन के साथ यहां पर थर्ड लाइन बिछाने का कार्य भी जोरों पर चल रहा है.
भार बढ़ने से स्लीपर्स की बढ़ेगी लाइफ
पटरियों के नीचे बिछे स्लीपर के अधिक वजन के बिछाने के निर्णय से रेलवे को फायदा होगा. बार-बार स्पीपर्स नहीं बदलने पड़ेंगे. साथ ही अधिक लोडिंग की मालगाडि़यों का ट्रैक आसानी से भार उठा सकेगा और बेहतर सस्पेंशन मिलेगा. वजन अधिक होने से बार-बार क्रेक होने की घटनाओं पर भी काफी हद तक अंकुश लगेगा.
15 किलोमीटर बदले जाएंगे स्लीपर्स
रेलवे सहायक अभियंता दिगंबर सिंह ने बताया कि भांडई आगरा स्टेशन से अजई तक 15 किलोमीटर के रूट पर स्लीपर्स बदले जा रहे हैं, जिसमें 12 किलोमीटर के स्लीपर बदल दिए जा चुके हैं. 3 किलोमीटर के शेष रहे हैं, उन्हें भी जल्द बदला जाएगा.
एक स्लीपर्स होगा 310 किलो वजनी
रेलवे नए ट्रैकों में अब 275 किलो भार वर्ग की जगह 310 किलो भार वाले स्लीपर्स काम में ले रहा है. इससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी. अभी इस रूट पर अधिकतम 130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से ट्रेनें चल रही हैं. स्लीपर बदलने पर रफ्तार बढकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटे हो सकेगी, जिससे शताब्दी एक्सप्रेस, वंदे भारत और लम्बे रुट की ट्रेनों को फायदा होगा.