नई दिल्ली : बीजेपी नीत एनडीए ने एक बयान में विपक्षी दलों से नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। एनडीए के तमाम दलों ने बयान जारी करके विपक्षी दलों पर संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने के फैसले पर हमला बोला है। बयान में कहा गया है कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के खिलाफ विपक्ष का रुख उनका अपमान था और अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों का सीधा निरादर था।
एनडीए ने कहा, ”नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का विपक्ष का निर्णय भारत के लोकतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों का स्पष्ट निरादर है। विपक्ष ने पिछले नौ वर्षों में संसदीय प्रक्रियाओं का कोई सम्मान नहीं किया, सत्रों को बाधित किया, बहिर्गमन किया है। संसद के प्रति विपक्ष का घोर अनादर बौद्धिक दिवालियापन, लोकतंत्र के सार की परेशान करने वाली अवमानना को दिखाता है।” एनडीए के जिन-जिन दलों ने यह बयान जारी किया है, उसमें बीजेपी, शिवसेना, नेशनल पीपुल्स पार्टी, एनडीपीपी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा समेत कुल 13 दल शामिल हैं।
‘विपक्षी दल गैर-मुद्दे को मुद्दा बना रहे’
वहीं, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने के 19 विपक्षी दलों के फैसले को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए बुधवार को उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विपक्षी दल गैर-मुद्दे को मुद्दा बना रहे हैं और पूर्व में भी प्रधानमंत्रियों ने संसद भवन परिसर में इमारतों का उद्घाटन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। विपक्षी दलों का तर्क है कि नए संसद भवन के उद्घाटन का सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मिलना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं।
कांग्रेस, AAP समेत 19 विपक्षी दलों का बायकॉट का ऐलान
विपक्ष के 19 दलों ने संसद के नये भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का बुधवार को ऐलान किया और आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है तथा समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखने का अशोभनीय कृत्य, सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान और लोकतंत्र पर सीधा हमला है। वहीं दूसरी तरफ, सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को संसद के नये भवन का उद्घाटन करने वाले हैं।
बायकॉट करने वाले कौन-कौन से दल?
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी(आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने उद्घाटन समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने की घोषणा की है। समारोह का संयुक्त रूप से बहिष्कार करने वाले दलों में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कषगम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल भी शामिल हैं। इनके अलावा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है।