भोपाल,25 जून (आरएनएस)। प्रदेश में कभी तीसरी ताकत का दंभ भरने वाली बहुजन समाज पार्टी लगातार कमजोर हो रही है तो कभी प्रदेश की विधानसभा में चार विधायक पहुंचाने वाली समाजवादी पार्टी भी अब दमहीन नजर आ रही है। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने का काम शुरु कर दिया है। सक्रिय तो आप प्रदेश में पहले से ही थी पर इस बार शहर सरकार केच ुनाव में वह पूरी तराकत से मैदान में उतरी है। आप ने प्रदेश के आधा दर्जन शहरों में मेयर के केंडीडेट उतारे हैं तो प्रदेश के अधिक जिलों में पार्षद पद पर भी उसके प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने और गोवा में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद आप के हौंसले बुलंद हैं। वह प्रदेश में तीसरी ताकत बनने की रणनीत पर काम कर रही है। सालभर बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर उसकी नजर है। यही वजह है कि वह नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश के लगभग सभी शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। आप ने इस बार इंदौर, मुरैना, ग्वालियर, सागर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, सतना, कटनी और सिंगरौली में मेयर के लिए अपने प्रत्याशी उतारे हैं तो पार्षद पद के प्रत्याशी उसने जिलों समेत छोटे शहरों में भी उतारे हैं। भोपाल के 85 वार्डों में से करीब 73 पर उसके प्रत्याशी हैं तो इंदौर और अन्य शहरों में भी अधिकांश वार्डों में उसने प्रत्याशी उतारे हैं। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों की नगरपालिकाओं समेत छोटे शहरों की नगरपरिषद में भी पार्षद पद के लिए उसके उम्मीदवार मैदान में हैं।
आप के रणनीतिकारों का मानना है कि इन चुनावों में मिलने वाले वोट उसे विधानसभा चुनाव का आंकलन देेंगे। आप अगर कुछ स्थानों पर जीत जाती है तो उसका खाता प्रदेश में खुलेगा। दिलचस्प यह भी है कि बसपा और सपा की तरह आप ने भी भाजपा और कांग्रेस से टिकट न मिलने वाले लोगों पर भी दांव खेला है। ग्वालियर में इसकी मेयर प्रत्याशी रुचि गुप्ता कांग्रेस की बागी हैं। वहीं सिंगरौली में उसने रानी अग्रवाल को मैदान में उतारा है। प्रदेश के 14 शहरों में मेयर का चुनाव लड़ रही बसपा ग्वालियर-चंबल में भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ सकती है। इन इलाकों में बसपा का प्रभाव काफी पहले से माना जाता है। सतना में कांग्रेस छोडक़र बसपा से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री सईद अहमद ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है, वहीं मुरैना में आप की प्रत्याशी ममता मौर्य कांग्रेस की शारदा सोलंकी और भाजपा की मीना जाटव को कड़ी टक्कर दे रही हैं। यहां शारदा सालंकी पिछला चुनाव काफी कम मार्जिन ेस हारी थी। जबलपुर में बसपा के लखन सिंह अहिरवार को मिलने वाले वोट भाजपा और कांग्रेस के जीत के समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं यूपी से लगे विंध्य, ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में सपा को अपना वोट बैंक है। उसके प्रत्याशी भी पार्षद पदों में उलटफेर कर सकते हैं।
अनिल पुरोहित/अशफाक