सिंकदराबाद में शुक्रवार को दो ट्रेनें पूरी रफ्तार के साथ एक-दूसरे की तरफ दौड़ीं. लेकिन ये आपस में टकराई नहीं हैं. इसके पीछे रेलवे ने वजह कवच को बताया है, जो रेलवे द्वारा दुनिया का सबसे ज्यादा सस्ता ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम बताया जा रहा है. इनमें से एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और दूसरे गाड़ी में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सवार थे. रेल मंत्री वैष्णव ने इसके बाद बताया कि कवच SIL-4 सर्टिफाइड है, जो सुरक्षा सर्टिफिकेशन का सबसे ऊंचा स्तर है. रेल मंत्री ने बताया कि भविष्य में इसे बहुत तेजी के साथ इस्तेमाल करने और दूसरे देशों को भी इसका निर्यात करने की योजना है.
वैष्णव ने कहा कि इस साल ने इसे दो हजार किलोमीटर पर शुरू करेंगे और आने वाले सालों में हर वर्ष चार हजार से पांच हजार किलोमीटर पर इसका विस्तार किया जाएगा.
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में विकसित ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम को रेलवे के शून्य दुर्घटना के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के लिए विकसित किया गया है. कवच को इस तरीके से तैयार किया गया है, जिससे ट्रेन खुद ऑटोमैटिक तौर पर रूक जाए, जब वह कुछ निर्धारित दूरी से उसी ट्रैक पर आती दूसरी ट्रेन को देखती है. रेलवे के मुताबिक, ट्रेनें उस स्थिति में भी अपने आप रूक जाएंगी, जब डिजिटल सिस्टम कोई गलती जैसे रेड सिग्नल पर नहीं रूकना या किसी दूसरी खामी को देखता है.
रेलवे ने बताया है कि एक बार लागू हो जाने के बाद, इसका संचालन करने के लिए 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च होगा. दुनिया भर में इस पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव संतनगर-शंकरपल्ली सेक्शन पर मौजूद रहे हैं.
ट्रेन की स्पीड को करता है कंट्रोल
कवच सिस्टम ब्रेक के ऑटोमैटिक ऐप्लीकेशन के द्वारा ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल करता है, जब लोगो पायलट ऐसा करने में असफल रहता है. रेलवे के मुताबिक, यह सिस्टम ज्यादा फ्रिक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का इस्तेमाल करके लगातार मूवमेंट करने के सिद्धांत पर काम करता है. बयान के मुताबिक, यह SIL-4 (सेफ्टी इंटिग्रिटी लेवल- 4) का भी पालन करता है, जो सेफ्टी सर्टिफिकेशन का सबसे ऊंचा स्तर है.
रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि RFID टैग ट्रैक और स्टेशन यार्ड पर दिए जाते हैं. इनका इस्तेमाल ट्रैक, ट्रेन की लोकेशन और ट्रेन की दिशा को पहचानने में किया जाता है. ऑन बोर्ड डिस्प्ले ऑफ सिग्नल एस्पेक्ट (OBDSA) विजिबिलिटी के कम होने पर भी, बोर्ड कंसोल्स पर सिग्नल को चेक करने में भी मदद करता है. इसके साथ एक बार जब सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है, तो पांच किलोमीटर की रेंज के अंदर साथ वाले ट्रैक पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी ट्रेनों को हॉल्ट करना होगा.