नई दिल्ली l विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं सांसदों द्वारा दिल्ली के विभिन्न स्कूलों का दौरा किया और दिल्ली एवं देश की जनता के सामने केजरीवाल सरकार की वर्ल्ड क्लास शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई को उजागर किया। भाजपा नेताओं द्वारा दिल्ली सरकार के स्कूलों का किया गया रियलिटी टेस्ट पूरी तरह से फेल हो गया। नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुस्ताफाबाद और सांसद प्रवेश साहिब सिंह एवं रमेश बिधूड़ी ने अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों के दिल्ली सरकार के विद्यालयों में जाकर जर्जर स्थिति को उजागर किया।
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि पिछले सात सालों में गर्ल्स-ब्वायज सैकंडरी स्कूल मुस्ताफाबाद के विद्यालय का केजरीवाल सरकार ने इमारत तक नहीं बना पाए और आज चार शिफ्टों में चलने वाले इस विद्यालय में लगभग 6000 छात्र-छत्राएं पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की विज्ञापन रुपी शिक्षा मॉडल की सच्चाई आज पूरी दुनिया जान चुकी है और सबको पता है कि केजरीवाल स्कूल की जर्जर हो चुकी इमारत तक नहीं बनवा पाए, तो वह अन्य व्यवस्था को कैसे ठीक करेंगे।
सांसद प्रवेश साहिब सिंह ने आज पंडवाला खुर्द के दिल्ली सरकार के एक विद्यालय का दौरा कर केजरीवाल सरकार को उनकी वर्ल्ड क्लास विद्यालय की सच्चाई का आईना दिखाया जहां होर्डिंग्स के अलावा सब कुछ जर्जर स्थिति में था। उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में जाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री विद्यालयों का भ्रमण कर रहे हैं, लेकिन दिल्ली के स्कूलों की स्थिति क्या है, उसको जानने की कोशिश तक नहीं कर रहे हैं। केजरीवाल विद्यालय के नाम पर सिर्फ करोड़ो रुपये का विज्ञापन लगाकर दिल्ली वालों को गुमराह कर रहे हैं और उनका विज्ञापन और जोरो से हो, इसके लिए शिक्षा बजट को डेढ़ गुना बढ़ाने की बात कर रहे हैं। आज जिन विद्यालयों के मकान को जर्जर घोषित कर दिया गया है, उसमें भी बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, मतलब ये कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के बच्चों की जान जोखिम में डाल रही है।
सांसद रमेश बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार के पांच स्कूलों का निरीक्षण किया और कहा कि दिल्ली के अधिकतर विद्यालयों में शिक्षकों एवं सफाईकर्मियों की कमी है। राजकीय उच्च माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर दो रेलवे कॉलोनी, मोलरबंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल एवं बच्चन प्रसाद सीनियर सेकेंडरी स्कूल देवली इत्यादी स्कूलों में जाने के बाद पता चला कि वहां बच्चों की मूलभूत जरुरतों की भी कमी है। विद्यालय में पहुंचने के बाद वहां पर पोस्टर चिपका दिया जाता है कि कार्य प्रगति पर है जबकि उसी विद्यालय में जब सुबह के वक्त गया था तो बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं जिसकी वीडियो भी बनाई गई है।