शिमला। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि डॉ. वाईएस परमार की दूरगामी सोच में हिमाचल प्रदेश की खुद की पहचान निहित थी। डॉ. परमार की प्रतिबद्धता और समर्पण से ही अनेक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाब रहा। डॉ. परमार हिमाचली संस्कृति और परंपराओं के प्रति विशेष स्नेह और सम्मान के भाव रखते थे। मुख्यमंत्री ने वीरवार को पीटरहॉफ शिमला में हिमाचल निर्माता और प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की 116वीं जयंती पर राज्यस्तरीय कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कहा कि डॉ. परमार न केवल हिमाचल प्रदेश के निर्माता थे, बल्कि उन्होंने प्रदेश के विकास की मजबूत नींव भी रखी।
उन्होंने इस कार्यक्रम को विधानसभा के हाल से बाहर निकलकर विस्तृत तरीके से मनाने का निर्णय लिया। डॉ. परमार को पहाड़ी संस्कृति से विशेष लगाव था। मुख्यमंत्री ने डॉ. वाईएस. परमार के पुत्र और पूर्व विधायक कुश परमार और उनकी पत्नी को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने डॉ. राजेंद्र अत्री की लिखित पुस्तक ‘डॉ. यशवंत सिंह परमार मास लीडर-एन एपोस्टल ऑफ ऑनेस्टी एंड इंटीग्रेटी’ का विमोचन भी किया। शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डॉ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे। सूचना एवं जन संपर्क विभाग ने डॉ. परमार के जीवन पर निर्मित वृत्त चित्र प्रदर्शित किया। सीएम ने उनके जीवन और कार्यों पर आधारित एक फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रोशन लाल शर्मा ने डॉ. यशवंत सिंह परमार के जीवन और कार्यों पर शोध पत्र भी पढ़ा।
डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच थी : परमार
प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि तमाम बाधाओं एवं चुनौतियों के बावजूद सड़क निर्माण, बिजली, बागवानी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों के प्रति डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच थी। डॉ. यशवंत सिंह परमार एक ऐसे राजनेता थे, जो सदा हर क्षेत्र में प्रदेश के सर्वांगीण विकास की सोच रखते थे।
अथक प्रयासों से डॉ. परमार ने हिमाचल प्रदेश का गठन सुनिश्चित किया : मुकेश
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पुनर्गठन समिति ने अलग राज्य के रूप में हिमाचल के गठन का विचार ही खारिज कर दिया था, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के साथ बेहतर व्यक्तिगत संबंधों, दूरदर्शी सोच और अथक प्रयासों से डॉ. परमार ने हिमाचल प्रदेश का गठन सुनिश्चित किया था।
डॉ. परमार जयंती को हल्के में लेने पर तल्ख हुए मुकेश अग्निहोत्री, सीएम ने भी स्वीकारा
हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की जयंती को हल्के में लेने पर वीरवार को नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री तल्ख हो गए। मंच से बोले, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस कार्यक्रम को लाइब्रेरी हाल से निकालकर पीटरहॉफ शिमला में रखा, लेकिन इस बारे में अफसरशाही गंभीर नहीं है। गुरुवार को पीटरहॉफ में मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक और सरकार के अधिकारी सिटिंग प्लान के हिसाब से नहीं जुट पाए। कुर्सियां खाली नजर आईं।
डॉ. परमार जयंती पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कार्यक्रम को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पुस्तकालय से बाहर निकालकर पीटरहॉफ तक पहुंचा दिया। वह कोई आलोचना नहीं करना चाहते हैं, मगर वह अफसरशाही से जरूर कहना चाहेंगे कि आपने मुख्यमंत्री की भावना को ट्रांसलेट नहीं किया। कार्यक्रम की रूपरेखा जो कही थी, वैसी नहीं बनी है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वह खुद दिल्ली से आए हैं और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी से आए हैं।
सीएम भी बोले कि डॉ. सिंह परमार का जिस रूप में योगदान रहा है, उनकी जयंती उसी स्वरूप में मनानी चाहिए। वह देख रहे हैं कि जिस तरह से इस कार्यक्रम के लिए भाव था, वह पूरा नहीं हुआ। कार्यक्रम का आयोजन उसी भाव के साथ होना चाहिए। यह बात भी सही है कि आजकल सबकी व्यस्तता बढ़ गई है। जिस तरह से रुचि लेनी चाहिए थी, उसमें कमी रह गई है।
हल्के-फुल्के अंदाज में बतियाते नजर आए जयराम-मुकेश
पीटरहॉफ शिमला में हुए इस समारोह में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और मुकेश अग्निहोत्री हल्के-फुल्के अंदाज में नजर आए। दोनों में खूब गपशप होती रही। मंच पर जब कार्यक्रम खत्म हुआ तो भी दोनों मंच से बतियाते हुए उतरे। कुछ दिन पहले दोनों ने एक-दूसरे पर तीर-कमान ताने हुए थे।