नई दिल्ली l केंद्र सरकार कोविड-19 से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ऑफलाइन कक्षाओं (School Reopen In India 2022) के लिए स्कूलों को क्रमबद्ध तरीके से खोलने के लिए एक मॉडल पर काम कर रही है। वायरस के नए ओमीक्रोन वेरिएंट के सामने आने के बाद देश के अधिकांश हिस्सों में स्कूलों की ऑफलाइन कक्षाएं बंद कर दी गई हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण, स्टूडेंट्स शॉर्ट टाइम पीरियड को छोड़कर लगभग दो वर्षों से ज्यादातर ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं।
सूत्रों ने कहा, ‘जैसा कि माता-पिता स्कूलों को खोलने की मांग कर रहे हैं, केंद्र सरकार कोविड से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्कूलों को खोलने के लिए एक मॉडल पर काम कर रही है।’
महामारी विज्ञानी और सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की अध्यक्ष यामिनी अय्यर के नेतृत्व में माता-पिता के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से मुलाकात कर 1,600 से अधिक अभिभावकों की ओर से हस्ताक्षरित एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें स्कूलों को फिर से खोलने की मांग की गई थी। कुछ अन्य राज्यों में भी इसी तरह की मांग की गई है, हालांकि अभिभावकों का एक अन्य वर्ग ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखने के पक्ष में रहा है।
हमें स्कूल जाने का इंतजार
पूर्वी दिल्ली के खिचड़ीपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय की छात्रा सोनम झा भी स्कूल खोलने का समर्थन कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘कोरोना ने हमारी दिनचर्या बदल दी है। पढ़ाई क्लासरूम में नहीं, मोबाइल फोन पर होने लगी है। अब हमें वैक्सीन लग गई है तो स्कूल खुलने चाहिए। हम बच्चे कोरोना प्रॉटोकॉल्स का पालन करेंगे तो स्कूल जाने के संभावित खतरे को टाला जा सकता है।’ सोनम केवीएस में कक्षा 11वीं की छात्रा हैं। उन्होंने कहा, ‘हम बच्चे कोविड से पहले की तरह साथियों के साथ पढ़ सकें, उनके साथ खेल-कूद सकें, यही तमन्ना संजोए हैं। हमारी परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो रही हैं। इससे हमें अपनी ही काबिलियत पर पूरा यकीन नहीं हो पाता है। इसलिए भी स्कूल खुलने ही चाहिए।’
ऑनलाइन सिर्फ औपचारिकता
केवीएस खिचड़ीपुर के ही छात्र सौरभ भी स्कूल खुलने की पैरवी कर रहे हैं। उनका कहना है कि दो सालों से स्कूल नहीं जा पाने से बच्चों का मानसिक-शारीरिक विकास बाधित हो रहा है। सौरभ ने कहा, ‘कक्षा में शिक्षकों और साथियों के साथ पठन-पाठन का अलग ही लाभ है जो ऑनलाइन पढ़ाई में संभव नहीं हो पाता है।’ उनका कहना है कि वैसे भी ऑनलाइन मोड से पढ़ाई के लिए सभी जरूरी सुविधाएं सभी बच्चों को मयस्सर नहीं हो पातीं। ऊपर से तकनीकी समस्याओं के कारण भी पढ़ाई बाधित होती है। सौरभ ने चुनावी रैलियों के हवाले से भी गंभीर प्रश्न खड़ा किया है। उन्होंने कहा, ‘नेता तो जमकर रैलियां करते हैं, फिर बच्चों को स्कूल जाने से क्यों रोका जा रहा है? क्या यह गलत नहीं है?’