शिमला। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान हिमाचल प्रदेश इस बार खास सुर्खियों में बना हुआ है। भजापा की उम्मीदवार और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत मंडी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरने से यह क्षेत्र एक हॉट सीट बन गई है। मंडी सीट से मौजूदा सांसद और हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह अगर एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरीं तो उनका मुकाबला कंगना से होगा। हालांकि कांग्रेस ने अभी इस सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है।
जानकारी के अनुसार, प्रतिभा सिंह पिछले साल राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से ही से नाखुश हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान उनका असंतोष खुलकर सामने आ गया था, जब कांग्रेस के छह विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को जिताने के लिए क्रॉस वोटिंग की और प्रतिभा ने उनकी निंदा करने से साफ इनकार कर दिया। वहीं उनके बेटे विक्रमादित्य, जो सुक्खू सरकार में मंत्री हैं बागियों में शामिल होने की धमकी दी थी।
प्रतिभा सिंह मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद हैं और वह वीरभद्र सिंह की पत्नी और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री विक्रमादित्य सिंह की मां हैं। इसके बावजूद इस बार उन्होंने फिर से चुनाव लड़ने की अनिच्छा व्यक्त की थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना मन बदल लिया है।
भाजपा ने हिमाचल की सभी चार लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, साथ ही अयोग्य ठहराए जाने के बाद खाली हुई छह विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के बागियों को मैदान में उतार दिया है। हालांकि कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान क्यों नहीं किया सभी के मन में यह सवाल उठ रहे हैं। पहले मंडी से चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकीं प्रतिभा ने अब लगता है कि अपना मन बदल लिया है।
मैं स्पष्ट कर दूं कि मैंने ऐसा कभी नहीं कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी। मैंने आलाकमान को अपनी इच्छा बताई थी चूंकि कांग्रेस को छह विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव लड़ना है, इसलिए मैं खुद चुनाव न लड़कर पार्टी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हूं। हालांकि, आलाकमान जो भी फैसला करेगा, मैं उसका पालन करूंगी। पहले भी मैंने हमेशा हाईकमान के आदेश का पालन किया है।
2021 में मेरे पति वीरभद्र सिंह के निधन के बमुश्किल दो महीने बाद हाईकमान ने मुझे मंडी लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए कहा था। मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी, लेकिन फिर भी मैंने आलाकमान के फैसले का सम्मान किया। उस समय राज्य के साथ-साथ केंद्र में भी बीजेपी की सरकार थी। इस बार भी आलाकमान जो कहेगा, मैं वही मानूंगी।