नई दिल्ली। एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि पेड़ लोगों के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं और उन्हें बेवजह काटने की अनुमति नहीं है। न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ ने कहा कि पूरी तरह से उगाए गए पेड़ों को काटने के बजाय उनका प्रत्यारोपण करना तर्कसंगत और विवेकपूर्ण होगा। यह एक चिंताजनक मुद्दा है क्योंकि एक तरफ दिल्ली के हरित आवरण को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए प्रयास चल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ पूरी तरह से उगाए गए पेड़ों को काटने की अनुमति दी जा रही है। पीठ ने उक्त टिप्पणी अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद के माध्यम से याचिकाकर्ता नीरज शर्मा द्वारा दाखिल की गई अवमानना याचिका पर की।
यह मामला पूर्व दिल्ली के विकास मार्ग स्थित पेड़ों को काटने से जुड़ा है। अदालत में पेश की गई एक पेड़ की तस्वीर पर पीठ ने कहा कि पिछले आदेश से पता चलता है कि वन अधिकारी ने एक पूर्ण विकसित पेड़ को काटने की अनुमति दी है। यह संभवत: लगभग 25-30 वर्ष की आयु का था और इसका घेरा लगभग 200 सेमी था। मामले की प्रकृति को देखते हुए पीठ ने अदालत का सहयोग करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन को भी न्याय मित्र नियुक्त करते हुए यह भी कहा कि अकेले वृक्ष जितना अकेला है, उसका महत्व उतना अधिक है।ऐसे में वृक्ष के प्रति वन अधिकारी की अधिक जिम्मेदारी है। पीठ ने यह भी कहा कि पेड़ों लोगों की जिंदगी के लिए अनिवार्य हैं और किसी परियोजना के लिए पेड़ को काटने की अनुमति मांगने पर वन अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह देखे कि पेड़ों को काटने की कितनी जरूरत है।
पीठ ने उक्त टिप्पणी तब की जब याचिकाकर्ता नीरज शर्मा की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली में हर घंटे आधिकारिक मंजूरी के तहत एक पेड़ काटा जाता है।पीठ ने उक्त टिप्पणी करते हुए निर्देश दिया कि जिस पेड़ को काटा जाना है उसकी अनुमति देने से पहले वन अधिकारी प्रत्येक पेड़ के प्रतिरोपण पर उचित ध्यान दें।वन अधिकारी को पेड़ काटने की अनुमति देने से पहले निरीक्षण करना होगा और अनुमति देने या अस्वीकार करने का कारण प्रत्येक पेड़ के फोटो के साथ अपने आदेश में लिखना होगा।पीठ ने इसके साथ ही पांच मई होने वाली अगली सुनवाई पर वन अधिकारी को पेश होने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने साथ ही दिल्ली सरकार के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) विभाग को हलफनामा दाखिल करके पिछले तीन वर्षों में महीने-वार और क्षेत्र-वार काटे जाने वाले अनुमत पेड़ों की संख्या बताने को कहा। साथ ही यह भी बताने को कहा कि कितने पेड़ प्रतिरोपित किए गए और कितने प्रतिपूरक वनरोपण का कार्य पूरा कर लिया गया है।