प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : 13 जून 2025 को इजरायल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, जिसके बाद मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर पहुंच गया। इस हमले में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी, मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख अमीर अली हाजीजादेह और छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों सहित कई लोग मारे गए। इजरायल ने दावा किया कि यह हमला ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को नष्ट करने के लिए था, क्योंकि खुफिया जानकारी के अनुसार ईरान के पास 15 परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम जमा हो चुका है।
ईरान को डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले के बाद ईरान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ और X पर कहा, “मैंने ईरान को बार-बार समझौते का मौका दिया। मैंने सख्त शब्दों में कहा, ‘बस कर डालो,’ लेकिन वे समझौता नहीं कर सके। अभी भी वक्त है, डील कर लो, वरना अगले हमले और भी भयावह होंगे।” ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका को इसराइल के हमले की पहले से जानकारी थी और यह “शानदार” था। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका दुनिया के सबसे घातक हथियार बनाता है, और इसराइल के पास इनकी बड़ी संख्या है, जिसे वह उपयोग करना जानता है।
ट्रंप ने ईरान से परमाणु समझौते के लिए बातचीत की मेज पर लौटने की अपील की, ताकि “नरसंहार और विनाश” रुक सके। उन्होंने कहा कि ईरान के “कट्टर नेता” जो डील का विरोध कर रहे थे, अब मारे जा चुके हैं, और यह “बस शुरुआत” है। ट्रंप का इशारा 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) की ओर था, जिससे वे अपने पहले कार्यकाल में 2018 में बाहर निकल गए थे।
FROM PRESIDENT DONALD J. TRUMP:
“I gave Iran chance after chance to make a deal…” pic.twitter.com/lsCQHkyT2f
— The White House (@WhiteHouse) June 13, 2025
ईरान ने दी प्रतिक्रिया
ईरान ने इजरायल के हमले को “युद्ध की घोषणा” करार दिया और जवाबी कार्रवाई की धमकी दी। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि इसराइल और अमेरिका को “कठोर और निर्णायक” जवाब मिलेगा। ईरान ने इसराइल पर 100 मिसाइलें और ड्रोन हमले किए, जिससे तेल अवीव में धुआं उठता देखा गया। ईरानी विदेश मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल बैठक बुलाने की मांग की और इसराइल पर अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने का आरोप लगाया।
ईरान ने यह भी स्पष्ट किया कि “वह यूरेनियम संवर्धन पर कोई समझौता नहीं करेगा, क्योंकि वह इसे अपना अधिकार मानता है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उपयोग (जैसे ऊर्जा उत्पादन) के लिए है, न कि हथियार बनाने के लिए।
President Trump entered office saying that Iran should not have nuclear weapons. That is actually in line with our own doctrine and could become the main foundation for a deal.
As we resume talks on Sunday, it is clear that an agreement that can ensure the continued peaceful…
— Seyed Abbas Araghchi (@araghchi) June 11, 2025
इजरायल का रुख
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि “ऑपरेशन राइजिंग लायन” तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का परमाणु खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता। उन्होंने रूस की TASS न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में दावा किया कि इसराइल ईरान के साथ पूर्ण युद्ध के लिए तैयार है। इसराइल ने यह भी कहा कि ईरान हमास को समर्थन देकर क्षेत्र में अस्थिरता फैला रहा है।
Moments ago, Israel launched Operation “Rising Lion”, a targeted military operation to roll back the Iranian threat to Israel's very survival.
This operation will continue for as many days as it takes to remove this threat.
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Statement by Prime Minister Benjamin Netanyahu: pic.twitter.com/XgUTy90g1S
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) June 13, 2025
क्या है भारत की स्थिति
भारत ने इस संघर्ष में तटस्थ रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीति के जरिए समाधान निकालने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतन्याहू और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची से फोन पर बात की, जिसमें क्षेत्रीय शांति पर जोर दिया गया। भारत के लिए चुनौती यह है कि वह इजरायल के साथ रक्षा साझेदारी और ईरान के साथ तेल आपूर्ति व चाबहार बंदरगाह जैसे रणनीतिक हितों के बीच संतुलन बनाए रखे।
Received a phone call from PM @netanyahu of Israel. He briefed me on the evolving situation. I shared India's concerns and emphasized the need for early restoration of peace and stability in the region.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 13, 2025
क्या पड़ेगा वैश्विक प्रभाव !
इजरायल के हमले और ईरान की जवाबी कार्रवाई से मध्य-पूर्व के महत्वपूर्ण जलमार्गों, जैसे होर्मुज जलडमरूमध्य, में रुकावट का खतरा बढ़ गया है, जो वैश्विक तेल व्यापार को प्रभावित कर सकता है। अमेरिका ने इसराइल का खुला समर्थन किया है और ईरान की मिसाइलों को रोकने में सहायता की है। ब्रिटेन ने खाड़ी क्षेत्र में जहाजों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, जबकि सऊदी अरब ने भी ईरान को अमेरिका के साथ डील करने की सलाह दी है।
ट्रंप की चेतावनी और इजरायल के हमले ने मध्य-पूर्व को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जबकि अमेरिका और इजरायल मिलकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए दबाव बना रहे हैं। भारत इस स्थिति में तटस्थ रहकर शांति और कूटनीति की वकालत कर रहा है, लेकिन क्षेत्रीय अस्थिरता और तेल की कीमतों में उछाल भारत के लिए आर्थिक और कूटनीतिक चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।