नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार से संकट दूर नहीं हुआ है. दो दिन से पार्टी हाईकमान बगावत को खत्म करने में लगा है. राज्य संगठन से लेकर मुख्यमंत्री और नाराज नेताओं से बातचीत की जा रही है और सामंजस्य का फॉर्मूला निकाला जा रहा है. इस बीच, कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का बयान आया है. प्रतिभा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने हमारी बात नहीं सुनी है और हमारी बातों को अनदेखा किया है. उन्होंने यह भी कि आज 6 विधायकों को अयोग्य घोषित करने से भी निराशा हुई है.
प्रतिभा सिंह का कहना था कि पार्टी विधायकों की कई बार अनदेखी की गई है. लोगों ने वीरभद्र जी की विरासत को ध्यान में रखते हुए वोट किया था. जिन विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है, वे सभी कांग्रेस के बहुत महत्वपूर्ण नेता हैं. विधायकों का सम्मान नहीं करना चाहिए था. फिलहाल, आज (गुरुवार) शाम 5 बजे हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल की बैठक होने जा रही है. शिमला में दो समानांतर बैठकें चल रही हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यहां कांग्रेस विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह अपने आवास पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रही हैं.
‘अब हाईकमान के पाले में गेंद’
प्रतिभा ने कहा, हाईकमान ने ऑब्जर्वर के तौर पर भूपेंद्र हुड्डा जी, डीके शिवकुमार, राजीव शुक्ला और भूपेश बघेल को हिमाचल प्रदेश भेजा है. उनके सामने हमने विस्तारपूर्वक अपनी बात रख दी है. उन लोगों को ही आगे निर्णय लेना है और फैसला करना है. कल विक्रमादित्य सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और जो बातें उन्होंने कही हैं, उन बातों का भी हाईकमान को संज्ञान लेना पड़ेगा. हमने वीरभद्र जी की मूर्ति लगाने के बारे में उनसे बात की है. हिमाचल की जनता यह चाहती है. हमने इस बारे में विस्तार से चर्चा की है. निर्णय का इंतजार किया जा रहा है.
‘सरकार ने मूर्ति पर निर्णय क्यों नहीं लिया?’
प्रतिभा ने कहा ये सिर्फ हमारी भावनाएं (वीरभद्र की मूर्ति लगाने के बारे में) नहीं हैं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लोगों की भावनाएं हैं. लोगों के साथ भावनात्मक रिश्ता रहा है. लोगों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाई है. इस पर क्यों निर्णय नहीं किया गया? पिछली बार जब हमारी राहुल गांधी जी से बात हुई थी तो उनके सामने भी यह बात रखी गई थी. तब भी सरकार ने इस बात का संज्ञान लिया है.
‘विधायकों बात नहीं सुनी गई’
प्रतिभा ने कहा, सरकार को बने एक साल हो गया है. यह सभी जानते थे कि कुछ विधायक सरकार के कामकाज से खफा चल रहे हैं. लेकिन उनसे बातचीत नहीं की गई. उनकी बात नहीं सुनी गई. उनका कारण नहीं जाना गया. मुख्यमंत्री को संज्ञान लेना चाहिए था. विधायकों ने इंतजार किया. बात गंभीरता से नहीं ली गई तो उन्होंने बागी होने जैसा कदम उठाया.
‘दुखी मन से विधायकों ने कदम उठाया’
प्रतिभा ने कहा, मैंने बार-बार यह बात हाईकमान से की. यहां तक कि सोनिया गांधी जी से मिली और अपनी बात रखी. केसी वेणुगोपाल से भी मिलना हुआ. यह भी बताया कि हमारे कुछ लोग नाराज चल रहे हैं. उनसे चर्चा करें और समस्या का निराकरण करवाएं. सरकार में क्या स्थान दे सकते हैं, इस पर चर्चा की जाए. लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारी बात को नहीं सुना गया. आखिरकार दुखी मन से उन्होंने यह कदम उठाया.
‘दोनों पक्षों से बात कर निर्णय करे हाईकमान’
प्रतिभा ने कहा, मैं लीडरशिप चेंज करने की बात तो नहीं कह सकती हूं. लेकिन आगे निर्णय हाईकमान को करना है. हमारा कर्तव्य बनता है कि अपनी बात उन तक पहुंचाएं. वरिष्ठ लोग मंथन कर रहे हैं. दोनों पक्षों से बात करें और रास्ता निकालें. हमने प्रियंका गांधी से भी बात की है. हमने उनको बताया कि हिमाचल में यह परिस्थिति बनी है. आगे मुख्यमंत्री को निर्णय लेना है कि वो क्या कदम उठा सकते हैं.
‘प्रतिभा के बेटे ने एक दिन पहले मंत्री पद से दिया था इस्तीफा’
प्रतिभा सिंह, पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी हैं और लोक निर्माण विभाग में मंत्री विक्रमादित्य सिंह की मां हैं. विक्रमादित्य ने एक दिन पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. हालांकि हाईकमान से बातचीत के बाद देर शाम उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया था. लेकिन सरकार से रार नहीं कम हुई है