नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल पुलिस ने टीएमसी नेता शाहजहां शेख को गिरफ्तार कर लिया है. उस पर जमीन हड़पने से लेकर महिलाओं पर अत्याचार करने तक के आरोप हैं. उसकी 10 हजार करोड़ के राशन घोटाले में भी संलिप्तता सामने आई है. हालांकि, अभी गिरफ्तारी ईडी अधिकारियों पर हमले के मामले में हुई है. इस केस में वो 55 दिन से फरार चल रहा था. शाहजहां को लेकर ममता बनर्जी सरकार भी आरोपों से घिरी है. उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की महिलाओं से लेकर बच्चे-युवा और बुजुर्ग तक सड़कों पर उतरकर डेढ़ महीने से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. उससे जुड़ी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. जानिए शाहजहां शेख पर क्या-क्या आरोप हैं…
1. 10 हजार करोड़ के राशन घोटाले में संलिप्तता
प्रवर्तन निदेशालय ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में सबसे पहले बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक को गिरफ्तार किया. बाद में टीएमसी नेता शाहजहां शेख और बनगांव नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शंकर आद्या की भी संलिप्तता सामने आई. ईडी की टीम ने पूर्व बोंगगांव नगर पालिका अध्यक्ष और टीएमसी नेता शंकर आद्या को गिरफ्तार कर लिया. आद्या और शाहजहां को पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी माना जाता है. इससे पहले केंद्रीय एजेंसी ने आद्या और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों की जांच की थी. जांच एजेंसी का कहना है कि घोटाले की रकम में से करीब 2 हजार करोड़ रुपये अवैध रूप से दुबई भेजे गए थे. शंकर आध्या की कंपनी के जरिए विदेशों में धन की तस्करी की गई थी. शंकर आध्या की संलिप्तता ज्योतिप्रिय मलिक के एक पत्र के जरिए सामने आई.
2. ईडी की टीम को घेरकर हमला करने का आरोप
घोटाले से जुड़ी जांच के सिलसिले में 5 जनवरी को ईडी की टीम जब शाहजहां शेख के आवास पर छापा मारने पहुंची तो वहां उसके गुर्गों ने हमला कर दिया था. 200 से ज्यादा लोगों ने ईडी अधिकारियों और उनके साथ चल रहे अर्धसैनिक बलों के वाहनों को घेर लिया. अधिकारियों की गाड़ियों में तोड़फोड़ की. हमले में ईडी के तीन अधिकारी राजकुमार राम, सोमनाथ दत्त और अंकुर गुप्ता घायल हो गए.
3. ईडी अफसरों के साथ ‘लूट’ का भी आरोप
बंगाल पुलिस ने इस घटना से संबंधित तीन एफआईआर दर्ज की थीं, इनमें से एक शिकायत स्थानीय लोगों के आधार पर दर्ज की गई थी. ईडी का कहना था कि उसके तीन अधिकारी घायल हो गए. उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और वॉलेट उस समय ‘लूट’ लिए गए. स्थानीय लोगों ने अशांति पैदा करने के आरोप लगाए. बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने दखल दिया और जांच एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ पुलिस की जांच पर 31 मार्च तक रोक लगा दी.
3. जमीनों और खेतों पर कब्जा करने के आरोप
शाहजहां सालों पहले बांग्लादेश से भागकर पश्चिम बंगाल आया था. यहां शुरुआत में मजदूरी की. फिर पॉलिटिक्स जॉइन कर ली और इलाके में पकड़ बनाने में जुट गया. समय के साथ उसका दबदबा बढ़ता चला गया और उसने संदेशखाली में खेतों और जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. पहले उसने स्थानीय लोगों से उनके उपजाऊ खेत लीज पर लिए. उनमें पानी भरकर मछली और झींगा पालने के धंधे को आगे बढ़ाया. जिन किसानों ने जमीनें लीज पर नहीं दी, उन्हें तंग करना शुरू कर दिया. अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया. राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाया और एकक्षत्र राज करने लगा. स्थानीय लोग बताते हैं कि सैकड़ों किसानों ने इस संबंध में शिकायतें कीं, लेकिन सुनवाई की. हार-थककर हाथ पर हाथ रखे तमाश देखते रह गए.
4. आदिवासियों और किसानों पर अत्याचार के आरोप
यह इलाका आदिवासी बहुल्य है. ज्यादातार आदिवासियों का धंधा मछली और झींगा पालन है. इन आदिवासी किसानों का आरोप है कि शाहजहां अपनी दबंगई के बल पर जमीनें लीज पर लेता था. शुरुआत में हर महीने कुछ पैसे दे देता था. लेकिन, बाद में उसने पैसे देना भी बंद कर दिया. धीरे-धीरे इलाके में बाहुबली बन गया और लोग ‘भाई’ कहकर बुलाने लगा. जिस किसी ने उसके खिलाफ आवाज उठाई, उसके साथ मारपीट की गई. सालों से उनकी जमीन पर कुंडली मारकर बैठ गया. वो इन जमीनों पर मछली, झींगा और केकड़ा पालन कर रहा है. स्थानीय लोग कहते हैं कि उसकी राजनीति में अच्छी पकड़ है. इसलिए बेबस लोगों की चीखें संदेशखाली में ही शांत पड़ जाती थीं. स्थानीय लोग कहते हैं कि शाहजहां शेख के गुर्गे भी बड़ी संख्या में है. ये सिर्फ शाहजहां की जमीनों और अवैध धंधों से जुड़े कामों को देखते हैं. इनमें दो नाम प्रमुख हैं- शिबू हजरा और उत्तम सरदार. ये दोनों लोग शाहजहां के लिए काम करते हैं. शिबू हजरा और उत्तम सरदार इलाके के खेतों को चिह्नित करते और खेतों पर कब्जा कर लेते थे. इलाके में पैसा उगाही का काम करते थे. शिबू हाजरा टीएमसी का ब्लॉक प्रमुख है और उत्तम सरदार जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के क्षेत्रीय अध्यक्ष (अब निष्कासित) रहा है.
5. महिलाओं से यौन शोषण, धमकाने और मारपीट के आरोप
शाहजहां के गुर्गों ने किसानों के परिवार की महिलाओं को भी प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. महिलाओं की शिकायत है कि शिबू हाजरा उन्हें रात में मीटिंग के नाम पर दफ्तर में बुलाते थे. उन पर अत्याचार करते थे. पूरी रात घर तक नहीं जाने देते थे. जो किसान विरोध करते थे, उनके परिवार की महिलाओं को उठा लिया जाता था. उनके साथ यौन शोषण किया जाता था. यह सारे अत्याचार इसलिए किए जाते थे, ताकि गांव में डर का माहौल बना रहे. महिलाओं के बाद गांव की लड़कियों का भी यौन शोषण किया जाता था. इन लड़कियों को मनोरंजन के बहाने दफ्तर बुलाया जाता था और उनके साथ यौन शोषण किया जाता था.
‘एक महीने से चल रहे विरोध-प्रदर्शन’
बताते चलें कि संदेशखाली में बड़ी संख्या में महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर जमीन हड़पने और जबरदस्ती यौन शोषण करने का आरोप लगाया है. शेख और उसके साथियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर संदेशखाली में एक महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. राज्यपाल सीवी आनंद बोस वहां दौरा कर पीड़ित परिवारों से मिले हैं. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और महिला आयोग भी जा चुका है. मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी संदेशखाली जाकर पीड़ितों से मुलाकात की है. बंगाल पुलिस ने भी संदेशखाली में कैंप लगा दिए हैं. सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं. धारा 144 लगाई गई है. वहां की सुरक्षा में इजाफा किया है.
‘शाहजहां के खिलाफ 1200 से ज्यादा शिकायतें’
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को शाहजहां और उनके सहयोगियों के खिलाफ आदिवासी परिवारों की महिलाओं के साथ यौन शोषण और जमीन हड़पने की 50 शिकायतें मिली हैं. राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा, हमें करीब 1,250 शिकायतें मिली हैं, जिनमें 400 भूमि मुद्दों से संबंधित हैं. शाहजहां शेख के गुनाहों से गुस्सा ऐसा है कि आए दिन वहां उग्र प्रदर्शन देखन को मिल रहे थे. पीड़ित नाराजगी जता रहे हैं. इसके साथ ही इंसाफ मांग रहे हैं. पीड़ितों का कहना है कि शाहजहां को फांसी दे दो. महिलाओं का कहना है कि यदि शेख गिरफ्तार भी हुआ और जेल से छूट गया तो हमें नहीं छोड़ेगा. हम लोगों को छीन कर खा लेगा. हम नहीं रह पाएंगे. लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आवेदन कर रहे हैं कि उसे पकड़कर फांसी पर लटका देना चाहिए.